Tamil movie Bahubali - The Beginning in hindi, Bahubali Movie Summary film review,

When Sanga and her husband, part of a tribe living around the province of Mahismathi, save a drowning infant, little do they know the background of the infant or what the future holds for him. The kid grows up to as Shivudu, a free-spirit wanting to explore the mountains and in the process learns of his roots and then realizes the whole purpose of his life and ends up confronting the mighty Bhallala Deva

तो नमस्कार भाइयों और उनकी प्यारी बहनों फिर से स्वागत है हमारे इस चैनल फिल्मी फीडबैक में आज हम बात करने वाले हैं साल 2015 में आई हुई ACTION और DRAMA मूवी Baahubali: The Beginning के बारे में 2 घंटे 39 मिनट की यह मूवी 9 JULY 2015 को Telugu और Tamil लैंग्वेज में रिलीज कर दी गई थी अगर उसके बाद इस मूवी को हिंदी लैंग्वेज में भी डब किया गया है आप इस मूवी को हिंदी लैंग्वेज मैं वॉच करना चाहते हैं तो इस वीडियो में मैं आपको बता दूंगा यह मूवी को आप कैसे देख पाएंगे तो प्लीज वीडियो को पूरा देखें


इस मूवी के स्टार कास्ट की बात करें तो Prabhas है इस मूवी में अबनेन्द्र बाहुबली के नाम से जानेंगे

Rana Daggubati को हम इस मूवी में Bhallaladeva के नाम से जानेंगे

Anushka Shetty को हम इस मूवी में Devasena के नाम से जानेंगे

Tamannaah Bhatia को हम इस मूवी में Avanthika के नाम से जानेंगे

Sathyaraj को हम इस मूवी में Kattappa के नाम से जानेंगे

Ramya Krishnan को हम इस मूवी में Shivagami के नाम से जानेंगे

Nassar को हम इस मूवी में Bijjaladeva के नाम से जानेंगे इनके अलावा और भी किरदार इस मूवी में दिखाई देंगे

इस मूवी के डायरेक्टर S.S. Rajamouli हैं

अबनेन्द्र बाहुबली यानी मैं राजमाता शिवगामी देवी को साक्षी मानकर यह शपथ लेता हूं कि मुझे अगर प्राण त्यागने पड़े तो संकोच नहीं करूंगा जैसा कि आप सभी को पता है कि बाहुबली का थर्ड पार्ट जल्द ही आने वाला है और हो सकता है कि बाहुबली के फर्स्ट पार्ट और सेकंड पार्ट की स्टोरी को आप भूल भी गए होंगे तो उसी भूले हुए पार्ट की स्टोरी को मैं फिर से आपकी याद को तारों और ताजा करना चाहता हूं जिससे कि आप थर्ड पार्ट में जब एंटर करें तो आपको पिछले पार्ट की स्टोरी धुंधली ना पड़ जाए


Baahubali: The Beginning इस मूवी की शुरुआत में हम एक औरत को भागते हुए देखते हैं जिसकी गोद में एक छोटा सा बच्चा होता है और वह अपनी जान बचाकर कुछ सैनिकों से छुपा कर भाग रही होती है और हम देखते हैं कि उसके पीठ पर तीर घुसा हुआ है वह सैनिक उसका पीछा करते हैं उसके सामने खड़े हो जाते हैं और वह औरत उन सैनिकों को मार गिराती है इसके बाद वह वहां से निकलने की कोशिश करती है मगर पानी का बहाव इतना तेज होता है कि वह उसे बहन में फिसल जाती है और वहां से नीचे पहुंच जाती है वह नहीं चाहती थी कि इस बच्चे को कुछ भी हो इसीलिए वह अपनी जान तक गवा देती है और उसे बच्चे को अपने हाथ से खड़ा करके उसे बच्चों को पानी से छूने तक नहीं देती है और इस तरह से वह अपनी जान गंवाकर भी उसे बच्चों को बचा लेती है वहां पर उसे औरत को एक लकड़ी का टुकड़ा मिलता है जिसके सहारे वह रात भर वह औरत उसे बच्चे को जिंदा रखती है

उसके बाद रात से दिन हो जाता है दूसरी सुबह हम देखते हैं कि इस गांव की कुछ लोग उस बच्चे को पानी से ऊपर उठा देख एक शख्स भाग कर जाता है और उस बच्चे को उठा लेता है तब हम देखते हैं कि जब उसके हाथ से उसे बच्चे को उठाया जाता है तब उस औरत की एक उंगली ऊपर पहाड़ की तरफ इशारा कर रही होती है वही इस उसे कबीले की मुखिया की बीवी का नाम सांगा होता है और सांगा कहती है कि लगता है भगवान ने इस बच्चे को खुद मेरी झोली में डल दिया है और वह उसे बच्चों को अपना लेती है और वह कहती है कि यह मेरा बेटा है और उसका नामकरण भी कर देती है और उसका नाम शिव रखती है समय के साथ-साथ शिवा जवान हो रहा था और शिव जब भी उसे पहाड़ को देखा था तो उसे यह लगता था कि मुझे उसे पहाड़ पर जाना है जहां से वह इस गांव में आया था गांव के लोग हमेशा उससे कहा करते थे की बो तो ऊपर आसमान से गिरा था और उस पहाड़ से नीचे आया था इसीलिए शिव बचपन से ही हर बार कोशिश करता था उसे पहाड़ पर चढ़ने की उसे पहाड़ से गिरता जल को वहां के लोग जलप्रपात कहते थे मगर कई कोशिशें के बावजूद भी वह पहाड़ पर चढ़ नहीं पता था और हर बार वह गिर जाता था और उसकी यह हरकत उसकी मां सांगा को पसंद नहीं आती थी इसलिए उसके इलाज के लिए गांव की योगी बाबा से उसके लिए प्रार्थना करती है तो योगी बताते हैं कि शिवलिंग पर जल चढ़ाओ उससे खुद शिव भगवान खुश होंगे और तेरे बेटे को सद्बुद्धि देंगे और उसकी मां उसे योगी की बात को मानते हुए जलप्रपात से यूं बार-बार पानी भरकर शिवलिंग पर चढ़ा रही थी मगर अपनी मां को बार-बार पानी लाते हुए देख शिव को बर्दाश्त नहीं होता है और वह बड़ा सा एक सरिया लेकर उसे शिवलिंग पर जोरदार प्रहार कर देता है गांव के लोग यह देखकर दंग रह जाते हैं रह जाते हैं उसके बाद शिवा उसे तरीके से तीन-चार बार प्रहार कर देता है जिससे वह शिवलिंग उसे चट्टान से अलग हो जाती है जिसके बाद शिवा अपने कंधे पर शिवलिंग को उठाकर झरने की तरफ बढ़ने लगता है और जहां पर झरने का पानी गिरता है वहीं पर शिवलिंग को स्थापित कर देता है और अपनी मां से कहता है अब शिवलिंग पर रोज जल चढ़ाओ एक दिन इस पर्वत से एक मास्क जमीन पर आकर गिरता है जब शिवा की नजर उसे पर जाती है तो वह अपने साथ ले जाता है कई दिन होने के बावजूद भी शिव घर वापस नहीं जाता है इस वजह से उसकी मां और योगी बाबा भी परेशान होते हैं कि आखिर शिवा घर कब आएगा एक दिन जब शिव उसे मास्क को रेट पर रख देता है तो वहां एक सुंदर लड़की की फोटो उबर आती है और शिवा अपनी उंगलियों से उसके कलाकृति करने लगता है और देखते ही देखते वह फोटो एक सुंदर लड़की का चेहरा उभर कर आता है जिससे कि शिव को समझ में आता है कि ऊपर से जो मास्क गिरा है वह किसी लड़की का है अब जब मास्क ऊपर से गिरा है तो लड़की भी जरूर ऊपर ही होगी अब अपने सपने को पूरा करने और उसे लड़की को देखने के लिए सिवा इस जल पर्वत पर चढ़ने लगता है


और फाइनली शिवा एक लंबा जंप मार कर उसे पॉइंट तक पहुंच जाता है जहां से कि वह हर बार गिर जाया करता था मगर जल पर्वत जितना छोटा दिख रहा था उतना था नहीं उसकी ऊंचाई आसमान तक छू रही थी इसलिए वह कई दिनों तक इस पर चढ़ा रहता है फिर इस मूवी का सबसे बेस्ट सीन आता है जहां पर किसी बार एक छोटी से दूसरी चोटी पर जाने की प्रयास करता है उसे बनाए हुए कलाकृति जो उसे आकर्षित कर रही होती है और शिवा पहाड़ के ऊपर चढ़ जाता है

मगर ऊपर चढ़ने के बाद वह देखता है कि उसे जिस लड़की की उसे निकाल कृति बनाई थी उसके पीछे कुछ सैनिक लगे हुए हैं और उसका नाम अवंतिका है और वह उसे सैनिकों से डर कर भाग रही होती है शिवा उसकी मदद करने के लिए उसके पीछे-पीछे जाता है मगर कुछ देर पीछा करने के बाद शिव को यह पता चलता है कि जो सैनिक उसके पीछे पड़े हुए थे वह सैनिक कब के मर चुके हैं शिव सोचता है कि आखिर इतनी देर में यह लड़की अकेले इतने सारे सैनिकों को धूल चटा सकती है यह आखिर है कौन और वह उसे लड़की का पीछा करना स्टार्ट कर देता है वहां पर अवंतिका अपने खेमे में पहुंचती है और उनका लीडर जिसका नाम था जय वर्मा अपने सभी साथियों को कहता है

हमें जितना जल्द हो सके देवसेना को भल्लाल देव के कब्जे से छुड़ाना होगा जहां पर अवंतिका कहती है कि इस काम को में अंजाम दूंगी आप मुझ पर विश्वास कर सकते हैं जय वर्मा उस पर विश्वास नहीं करना चाहता था लेकिन अवंतिका की दिलेरी और जुनून को देखकर यह काम अवंतिका को सौंप देता है साथ ही अवंतिका यह भी कहती है कि क्यों ना कट्टप्पा से मदद मांगे वो इस काम में हमारी मदद कर सकते हैं लेकिन जय वर्मा कहता है कि कटप्पा ऐसा नहीं कर सकता उसने कभी अपने वचनों को नहीं तोड़ा और अपनी वफादारी हमेशा से अपने राज्य के लिए दिखाया है इसी के साथ कटप्पा की वफादारी का हमें एक सबूत दिखाया जाता है जहां हम देखते हैं भल्लाल देव एक सांड के साथ कुश्ती कर रहा होता है वह सांड दिखने में काफी बड़ा और काफी ज्यादा शक्तिशाली था मगर भल्लाल देव भी किसी से कम नहीं था उसके अंदर मानो 10 हाथियों की ताकत थी और वह अपने पूरे बल का प्रयोग करके उस सांड को वहीं पर धाराशाई कर देता है और पूरे गांव के सामने अपने जीत के परचम लहरा रहा होता है लेकिन फिर से इस समय सांड की आंख खुल जाती है वह फिर से भल्लालदेव पर हमला कर देता है मगर तभी बीच में कटप्पा आ जाता है और कटप्पा सांड को जान से मार डालता है

यह देखकर भल्लालदेव उसकी वफादारी से खुश होता है और कहता है मांगो क्या मांगते हो कटप्पा तुम कई सालों से हमारे राजघराने के अंदर हमारी सेवा कर रहे हो और हर बार तुमने हमारा विश्वास जीता है


कट्टप्पा कहता है की भल्लालदेव जो मैं मांगूंगा क्या आपको दे पाएंगे भल्लालदेव कहता है की जरूर फिर कटप्पा कहता है की देवसेना को छोड़ दिया जाए और इस बात पर भल्लालदेव गुस्से में आ जाता है और कहता है अगर उसे आजाद करना है तो उसे जान से मार दो या सुनकर कटप्पा की आंखें नीचे हो जाती है और इसके बाद हम देवसेना को देख पाते हैं जो इस वक्त बेरियों में बंदी होती है और सुखी लड़कियों को एक जगह जाकर इकट्ठा कर रही होती है

जहां भल्लाल देव उससे कहता है देवसेना तुम्हारी जिंदगी यूं ही बीत जाएगी और तुम जिसका इंतजार बरसों से कर रही हो वह कभी नहीं आएगा इतना कहने के बाद भल्लालदेव वहां से चला जाता है फिर रात होने के बाद कटप्पा देवसेना के के पास आता है और कहता है की महारानी आप यहां इतनी जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं मैं चाहूं तो आपको अभी आपने तलवार से इन बेरियों को तोड़कर अपने साथ लेकर जा सकता हूं आप बस मुझे एक बार आज्ञा तो दीजिए

और फिर इस समय हम देवसेना के चेहरे की ओर देख पाते हैं देवसेना भल्लालदेव को गुस्से में देखती है जिससे कि भल्लालदेव उसकी आंखों में जलती हुई ज्वाला को देखता है और देवसेना रहती है मेरे सीने में जलते हुए ज्वाला से मैं भल्लालदेव को जलता हुआ देखना चाहती हूं जिससे कि पूरे महल की दीवारें उसकी मौत पर दहल जाएगी तब जाकर मेरा इंतकाम खत्म होगा

उसके बाद हम अवंतिका को देखते हैं जो कि अपने एक साथी के साथ अपने खेमे से निकल कर देवसेना के पास पहुंचने की कोशिश करती है मगर चुपके से शिवा उसका ध्यान को भटकते हुए उसके हाथ पर एक टैटू बना देता है और ऐसा शिव ने या दूसरी बार किया था इस बार अवंतिका को गुस्सा आ जाता है और वह ठान लेती है कि वह अपने इस काम से पहले वह उसे पकड़ेगी जो उसके हाथों पर टैटू बनाया करता है

और काफी कोशिश करने के बाद अवंतिका शिवा को ढूंढ ही लेती है जहां पर शिवा उससे अपने प्यार का इजहार करता है कि मैं नीचे गांव से तुम्हारे पास उस जल पर्वत पर चढ़ कर आया हूं मगर अवंतिका को उसकी बात पर विश्वास नहीं होता है वह कहती है कि वह नीचे का गांव यहां से करीब 1000 किलोमीटर दूर है वहां से कोई भी यहां तक आ ही नहीं सकता है शिवा के लाख समझाने के बाद भी अवंतिका को इस बात पर यकीन नहीं होता है और उसके ऊपर वार कर देती है मगर शिवा भी चालाक था उसके सारे वारो से बच जाता है इस दौरान वह कभी उसको अपनी बाहों में ले लेता है और उसके कपड़े को चेंज कर देता है कभी उसके आंखों में काजल लगा देता है और देखते ही देखते एक सैनिक जैसी दिखने वाली अवंतिका एक सुंदर प्यारी सी लड़की में बदल जाती है और शिव उसकी परछाई में दिखता है कि तुम कितनी सुंदर हो शिवा उसको यह एहसास दिलाता है तुम सैनिक बनने के लिए नहीं हो तुम तो प्यार करने के योग्य हो और अवंतिका उसके इस बहकावे में फंस जाती है


उसे ऐसा कभी एहसास किसी ने नहीं दिलाया था उसने अपनी जिंदगी में बस सिर्फ जंग लड़ी थी मगर पहली बार उसे एक सुंदर लड़की होने का एहसास होता है और इसी के चलते यह दोनों फिजिकली अटैच हो जाते हैं जिसके बाद अगले दिन शिवा की आंख खुलने से पहले अवंतिका अपने काम की ओर निकल जाती है मगर रास्ते में भल्लाल देव के सैनिकों उसे पकड़ लेते है और उसे खूब पीटते हैं जिससे कि अवंतिका जोर से चिल्लाती है तभी वहां पर शिवा पहुंच जाता है

उन सभी से बचने के लिए शिवा पास ही एक पेड़ की छाल का सहारा लेता है और उससे अपने आप को और अवंतिका की जान बचाकर वहां से भाग जाता है उसके बाद अवंतिका अपने लीडर जय वर्मा के पास जाती है और जय वर्मा उसके हाथों में बने टैटू को देखकर कहता है कि तुम इस कार्य के योग्य नहीं हो अब तुम्हें अपनी खूबसूरती दिखानी है इसीलिए तुम यह कार्य नहीं कर सकती हो मगर अवंतिका रहती है यह सब मैं नहीं किया है उसके बाद हम शिव को वहां पर देखते हैं शिव उसके लीडर जय वर्मा से कहता है कि अब से जो कार्य अवंतिका की है वह कार्य को मैं पूरा करूंगा देवसेना को मैं छुड़ाकर लाऊंगा उसके बाद हम माहेष्मती साम्राज्य को देख पाते हैं जहां पर इस वक्त भल्लाल देव की सोने से एक काफी बड़ी मूर्ति बनाई जा रही होती है और आज था उसका फाइनल डेट जहां पर उस मूर्ति का उद्घाटन पूरे गांव के लोगों के सामने होने वाला था लेकिन वह मूर्ति बहुत भारी थी उसको सीधा खड़ा करने के लिए गांव के सारे लोग अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं और ढेर सारे पंडित भल्लालदेव के इस मूर्ति को स्थापित करने के लिए यज्ञ और भगवान से प्रार्थना कर रहे होते हैं लेकिन तभी गलती से एक इंसान से व रस्सी छूट जाती है और भल्लालदेव की वह मूर्ति वापस जमीन पर गिरने ही वाली होती है जहां पर शिव पहुंच जाता है और अपनी पूरी ताकत के साथ उस रस्सी को खींचना स्टार्ट करता है तभी जोर से हवा चलती है और कपड़े से ढका हुआ चेहरा दिख जाता है और यह देखकर वहां के लोग हैरान हो जाते हैं और उसे चेहरे के पीछे लोगों को जोश आ जाता है और वह लोग बाहुबली बाहुबली का नारा लगाने लगते हैं उसके बाद हम देखते हैं कि भालाल देव की सोने की प्रतिमा वह बिलकुल खड़ी हो चुकी थी

मगर माहिष्मती साम्राज्य में लोगों के दिलों में जो प्रतिमा छुपी हुई थी वह थी अभिनेंद्र बाहुबली की रात के समय भल्लालदेव अपने सैनिकों को इकट्ठा करके पूछता है कि सुबह मैदान में बाहुबली स्टार्ट किया है मगर सैनिक कहते हैं कि हमें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है और उन सभी के बीच शिवा भी शामिल था और उसे अवंतिका से प्यार हो गया था उसके सपनों को वह अपने सपने मान चुका था इसी सब के बीच भल्लालदेव शिव को पहचान लेता है और उसे आगे आने को कहता है मगर शिव जलती हुई ज्वाला से टकराकर उसका कपड़ों से ढाका चेहरा दिख जाता है अब शिवा ने


माहिष्मती साम्राज्य के अंदर आकर भल्लाल देव को चुनौती दे डाली जहां पर उसके सारे सैनिक उसे पकड़ने में लग जाते और तभी शिवा अपनी चालाकी और तेज रफ्तार के साथ में देव सेना को वहां से छुड़ाकर घोड़े पर बैठकर वहां से भागने लगता है भल्लालदेव अपने खास सैनिक कटप्पा को बोलता है कि जाओ जाकर उसे रोको और देवसेना को वापस मेरे पास लेकर आओ इसीलिए कटप्पा उसे मारने के लिए जाता है जहां एक तरफ तो शिवा उन सभी सैनिकों से बचकर भाग रहा होता है वहीं पर भल्लाल देव का छोटा भाई उसका पीछा कर रहा होता है आगे से कुछ सैनिक शिवा का रास्ता रोक लेते हैं और तब शिवा ने अपनी तलवार से उन सभी का सामना करना स्टार्ट करता है जहां पर कटप्पा उसे अपनी आंखों से देख रहा होता है लेकिन उस वक्त बारिश आ गई थी और कीचड़ से शिवा का पूरा मुंह गंदा हुआ था तभी भल्लाल देव का छोटा भाई वहां पर आकर पहुंचता और और शिव को मारने की कोशिश करता है है लेकिन तभी शिवा उसकी गर्दन को अपनी तलवार से अलग देता है यह देख कटप्पा को गुस्सा आता है वह उसे जान से मारने के लिए आगे बढ़ता है लेकिन तभी बरसात का पानी जब शिवा के ऊपर गिरता है तो उसके चेहरे की पूरी मिट्टी निकल जाती है और जब कटप्पा उसे चेहरे की ओर देखा है तो उसके जुबान से एक ही शब्द निकलता है बाहुबली और उसके सामने नतमस्तक हो जाता है और वहां मौजूद हर सैनिक शिवा को देखकर घुटने टेक देता है और उसके नाम के जयकारे लगाने लगता है अगले दिन शिवा को बचाने के लिए जय वर्मा की टीम भी पहुंच जाते है और साथ ही जल पर्वत को पार करके शिवा की मां के साथ उसके गांव वाले भी पहुंच चुकी होती है या सब देखकर शिवा उन सभी से कहता है कि आप लोग मेरे सामने झुकते हैं उसके पीछे का कारण क्या है मुझे सब कुछ सच-सच बताओ तो कटप्पा बोलना स्टार्ट करता है आज से कई साल पहले तुम्हारे दादा जी महेंद्र बाहुबली को दो बेटे हुए अबीन्द्र बाहुबली और बिचाल देव लेकिन एक जंग में अबीन्द्र बाहुबली मारे गए और साथ ही तुम्हारी मां भी तुम्हें जन्म देते के साथ ही मर गई लेकिन तभी तुम्हारी चाची ने तुम्हें संभाला जिसका नाम था शिवगामी और इस वक्त पूरे माहेष्मती के अंदर सिर्फ शिवगामी का ही राज था कि उसका वचन उसका शासन था उसने खुद के बेटे भल्लाल देव के साथ-साथ तुम्हारी भी परवरिश करके दोनों को बराबर का प्यार दिया दोनों को एक जैसा समर्थ बनाया जहां एक तरफ तुम्हारे पिता बाहुबली काफी तेज और चालक थे वहीं दूसरी ओर भल्लाल देव काफी ज्यादा ताकतवर था और अब शिवगामी को चुनना था कि आखिर इस माहेष्मती का सिंहासन कौन संभालेगा लेकिन तभी उनके राज्य का एक गद्दार जाकर कालके को यह सारी इन्फॉर्मेशन देता है कि कुछ टाइम के अंदर यहां पर माहेष्मती का राज्य अभिषेक होगा और इस राज्य पर कब्जा करना आसान होगा लेकिन इस बात की भनक शिवगामी को लग जाती है और वह बाहुबली और भल्लालदेव को आदेश देती है कि वह उसे गद्दार को सजा दे दोनों लोग इस आदेश को मानकर वहां पहुंच जाते हैं जहां पर बाहुबली उसे गद्दार को पकड़ लेता है और भल्लालदेव को उसे रस्सी को पकड़ने को कहता है मगर भल्लालदेव बाहुबली को बिल्कुल पसंद नहीं करता था क्योंकि शिवगामी भल्लालदेव की अपनी मां है मगर वह बाहुबली को ज्यादा प्यार करती है इसीलिए उसे जान से मारने की कोशिश करता है मगर भल्लालदेव किसी कारण से बाहुबली को बचा लेता है तभी वह गद्दार उनको बताता है कि उनका सामना अब कालके से होने वाला है जिसके पास काफी बड़ी टीम है और जंग लड़कर माहेष्मती को अपना बनाने के लिए यहां पर आने वाला है शिवगामी कहती है कि यही असली परीक्षा होगी इन दोनों की जो भी कालके को मार कर जो भी इस जंग को खत्म करेगा वह महिष्मति सिंहासन का असली हकदार होगा उसके बाद इस जंग की शुरुआत एक भैंस की बलि देकर होती है इस बाली में भल्लालदेव एक बार में भैंस की मंडी को घर से अलग कर देता है मगर वहीं दूसरी ओर बाहुबली यह कहता है कि अगर बाली ही देनी है तो इस बेजुबान मासूम से जानवर की क्यों देनी है मां काली हमारे खून से बाली को स्वीकार करेगी तभी बाहुबली उसे तलवार पर अपनी हाथ फेर कर बाली की प्रथा को आगे बढ़ता है उसके बाद दोनों तरफ के लोगों के बीच थोड़ी सी बात होती है जहां पर शिवगामी कालके से यहां से जाने की बात करती है मगर कलके कहता है

जब मैं और मेरे लोग तुम्हारे दोनों बेटे को जान से मार देंगे तो मैं आकर तुझे अपनी दुल्हन बनाऊंगा और तेरे मेरे संयोग से जो बेटा पैदा होगा उसे इस माहेष्मती कर राजा बना देना यह सुनकर शिवगामी का गुस्सा और भड़क जाता है वह अपने दोनों बेटों से कहती है कि चाहे है इसकी आंखें निकल जाए चाहे इसके हाथ कट जाए चाहे उसके पैर कट जाएं चाहे चील-कौवे इसकी शरीर को खा जाएं मगर यह जिंदा रहना चाहिए और उसके बाद शुरू होती है इस मूवी की बेस्ट फाइट सीन जहां पर कालके इनके राज्य पर एक जोरदार प्रहार कर देते हैं मगर बाहुबली की चालकी भी काम नहीं थी वह एक बड़े से कपड़े को दो पत्थरों के बीच में बहन देता है और वह पूरा का पूरा कपड़ा तेल से भीग होता है और वह पूरे फोर्स के साथ उन दोनों पत्थरों को फेंकता है और फिर उसे कपड़े में आग लगा देता है जिससे कि कलके की आधी सेना वहीं पर धरसही हो जाती है


दूसरी ओर भल्लालदेव एक गाड़ी में बड़े से ब्लेड लगाकर वह मैदान के बीच में चला जाता है जिसमें कि उसके भी सैनिक और कल्कि के भी सैनिक में बिना फर्क किए हुए काटते हुए उसे गाड़ी को घुमाता है लेकिन तभी इन दोनों को लगता है कि इनको भी जंग में उतरते ही पड़ेगी बाहुबली अपने घोड़े पर बैठकर दोनों हाथों में भला लेकर सभी कलके के सैनिकों को मारते हैं फिर उसके बाद कलके की टीम एक चाल खेलती है गांव के लोगों को बंदी बनाकर इनके राज्य की टीम को रोकने की कोशिश करती है मगर भल्लाल देव बिना कुछ सोचे-समझे कालके के लोगों को काटता ही है मगर उसमें कई सारे मासूम गांव के लोग को भी काट देता है जिसमें कई सारे गांव वाले भी मारे जाते हैं मगर बाहुबली ऐसा नहीं करता है उसके हाथ में पत्थरों में बंधे हुए छोटी सी रस्सियां थी जिसे वह फेक कर उन गांव वालों के नीचे बैठा देता है और कलके के सैनिक को काट कर देते हैं इसी बीच कालके खुद जंग के मैदान में उतरता है जहां पर उसका सामना करने के लिए बाहुबली

आता है इन दोनों की बीच में बहुत ही खतरनाक फाइट होती है जहां पर खुद बाहुबली अपने हाथ में एक शेर के बने फेस मस्क से उसे मारने लगता है बाहुबली उसकी पीट-पीट कर हालत पतली कर देता है उसे अपनी मां की वह बात याद आती है कि जो है इसकी आंखें निकल जाए चाहे इसके हाथ कट जाए चाहे इसके पैर कट जाए चाहे तो चील कौवे इसके पेट की अत्रियों को निकाल कर खा जाएं मगर वह जिंदा चाहिए और वह कालके को अपनी मां शिवगामी के कदमों में लेकर आ रहा होता है लेकिन तभी इसी बीच भल्लाल देव का एक प्रहार उसके सिर पर लगता है और कालके वहीं पर जान से मारा जाता है इस युद्ध के शुरू होने से पहले इन दोनों बेटों के ही बीच में यह शर्त रखी गई थी कि जो भी कालके को जान से मारेगा वहीं माहेष्मती का होने वाला राजा कहलायेगा जिस पर भल्लाल देव का बाप बिजल देव काफी खुश होता है और उसे लगने लगता है कि मुझ अपाहिज का बेटा माहेष्मती सिंहासन कर राजा बनेगा जहां पर बाहुबली भी यह कसम खाता है आवे ईंद्र बाहुबली यानी मैं राजमाता शिवगामी देवी को साक्षी मानकर यह शपथ लेता हूं कि मुझे अगर प्राण त्यागने पड़े तो संकोच नहीं करूंगा और अपनी दिलेरी और सोच समझ से अपने राजा का हर काम पूरा करूंगा

लेकिन प्रजा नहीं चाहती थी की भल्लालदेव इस सिंहासन पर बैठे बल्कि वह यह चाहती थी की माहिष्मती सिंहासन का राजा बाहुबली होना चाहिए तभी वहां पर शिवगामी उन सभी के बीच बोल पड़ती है कि भल्लाल देव राजा नहीं बनेगा राजा बनने का असली हक बाहुबली को यह पहली चीज तो उसने किसी मासूम की जान नहीं ली बल्कि जंग में खुद के खून की बलि दी थी जिसे उसने एक मासूम से जानवर को बचाया थी गांव के मासूम लोगों को मरने नहीं दिया बल्कि उनकी जान बचाई और यही रीजन है कि मैं माहेष्मती का अगला राजा बाहुबली ही बनेगा यह सुनकर तो पूरी प्रजा खुश हो जाती है और सभी प्रजा में उल्लास की लहर दौड़ जाती है

उसके बाद हम प्रजेंट टाइम में आ जाते हैं जहां पर शिव कटप्पा से पूछता है आखिर बाहुबली है कहां आखिर बाहुबली है कहां पर तो कटप्पा कहते हैं कि वह जान से मारे गए तो शिव पूछता है कि आखिर उसे जान से मारा किसने तो कटप्पा कहता है कि उनकी जान और किसी ने नहीं बल्कि मेरे इसी निर्दय हाथों ने ली है मैंने ही इन हाथों से बाहुबली को मारा और इसी तगड़े सस्पेंस के साथ यह मूवी बाहुबली द कंक्लूजन यहीं पर खत्म हो जाती है

यह मूवी काफी दिनों तक लोगों के मन में एक सवाल पैदा कर चुकी थी कि आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ऐसा क्या हो गया था जो राज्य पर मरने वाला इंसान उसे राजा को ही मार दें इसके सेकंड पार्ट की स्टोरी को हम सेकंड वीडियो में कवर करेंगे


तो फ्रेंड्स इस मूवी की रिव्यू आपको कैसी लगी आप हमें जरूर बताइ इस मूवी को अगर आप देखना चाहते हैं तो के कमेंट बॉक्स में आपको उसका लिंक मिल जाएगा आप वॉच कर सकते हैं बिल्कुल फ्री

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