तो नमस्कार भाइयों और उनकी प्यारी बहनों फिर से स्वागत है हमारे इस चैनल फिल्मी फीडबैक में आज हम बात करने वाले हैं मैदान film की story Explained करने वाले हैं इस वीडियो में 3 घंटे 1 मिनट की BIOGRAPHY, DRAMA और ACTION मूवी मैदान 10 APRIL 2024 को Hindi, Malayalam, Tamil, और Telugu लैंग्वेज में worldwide रिलीज कर दी गई थी
इस मूवी के कलाकार हैं Ajay Devgn है जिनका इस मूवी में नाम Syed Abdul Rahim है Priyamani है जिनका इस मूवी में नाम Saira Abdul Rahim है Gajraj Rao है जिनका इस मूवी में नाम Roy Chowdhury है इसके अलावा और भी कलाकार इस मूवी के रोल में दिखाई देंगे हैं इस मूवी के Directed Amit Ravindernath Sharma हैं
मूवी पूरी तरह से इंडिया के फुटबॉल के ऊपर बेस्ड है इस मूवी के अंदर हमें दिखाया गया है कि एक टाइम पर जो इंडिया फुटबॉल में बहुत पीछे था वो कैसे 1962 के आते-आते पूरे एशिया में नंबर वन बन गया तो जिन्होंने भी इस मूवी को थिएटर्स में नहीं देखा है उन सभी के लिए आज बहुत बड़ी खुशखबरी है क्योंकि आज की इस वीडियो के अंदर हम मैदान मूवी की स्टोरी को एक्सप्लेन करने वाले हैं
मैदान मूवी की स्टार्टिंग होती है साल 1952 से जहां पर हम सब ये देखते हैं कि यूरोप के फिनलैंड देश के अंदर इंडिया और एक दूसरी कंट्री यूगोस्लाविया का मैच चल रहा होता है ये दोनों ही टीमें फुटबॉल का मैच कर रही होती हैं बट इसी फुटबॉल मैच के अंदर इंडिया का परफॉर्मेंस काफी डाउन होता है और इंडियन फुटबॉल टीम की काफी बुरी तरीके से हार रही होती है लेकिन तभी हमें इसका रीजन भी दिखता है हम ये देखते हैं कि जहां पर यूगोस्लाविया टीम के मेंबर्स काफी ज्यादा हट्ट कट्ठे होते हैं एंड उनके पास सारे शूज और प्रॉपर गियर्स होते हैं वहीं पर दूसरी तरफ इंडियन टीम के मेंबर्स के पास कुछ भी नहीं होता ना तो उनके पास प्रॉपर ड्रेस होती है और ना ही उनके पैरों में जूते होते हैं
बल्कि उसके बजाय वो सारे नंगे पैर खेल रहे होते हैं और इसी रीजन की वजह से इंडियन टीम के मेंबर्स को काफी चोटें लग रही होती है और खेलने में बहुत प्रॉब्लम हो रही होती है और उसके भी ऊपर दूसरी टीम के जो मेंबर्स होते हैं वो जानबूझकर इंडियन प्लेयर्स को धक्का मारते हैं और उनके पैरों को भी दबा देते हैं जिससे कि इंडियन प्लेयर्स और ज्यादा इंजर्ड हो जाते हैं बट इन सब के बावजूद भी इंडिया वाले एक गोल करते हैं लेकिन तब भी युगोस्लाविया की टीम 10 गोल करती है एंड वो लोग इस पूरे मैच को जीत जाते हैं और इंडिया की फुटबॉल टीम 1952 के ओलंपिक से बाहर हो जाती है
इसके बाद ही हम सभी इंडिया को देखते हैं जहां पर हमें कलकाता शहर दिखाया जाता है यहां पर हम ये देखते हैं कि एक पर्सन जिसका नाम गजराज राव होता है वो इंडिया का काफी बड़ा जर्नलिस्ट होता है एंड इसीलिए वो न्यूज़ पेपर्स के अंदर ये प्रिंट करता है कि इंडिया ओलंपिक्स में बहुत बुरी तरह से हार गई है इसीलिए इंडियन फुटबॉल टीम को शर्म आनी चाहिए अब हालांकि ये ऐसा लिखता तो है लेकिन इसे शायद ये नहीं पता होता कि इंडियन फुटबॉल टीम को क्या-क्या चैलेंज करना पड़ रहा है इसके अगले सीन मैं हम कलकाता शहर के इंडियन फुटबॉल टीम के फेडरेशन को देखते हैं जहां पर सारे मेंबर्स मिलकर अपनी टीम के बुरे परफॉर्मेंस के बारे में डिस्कस कर रहे होते हैं यहां पर हम ये देखते हैं कि सारे मेंबर्स इकट्ठा होते हैं जहां पर इनके साथ ही फेडरेशन के प्रेसिडेंट भी होते हैं और तो और यहां पर इंडियन फुटबॉल टीम के कोच भी होते हैं अब मैं आपको बता दूं कि इंडियन फुटबॉल टीम के जो कोच होते हैं उनका नाम होता है Syed Abdul Rahim और इन्हीं कैरेक्टर को इस मूवी के अंदर अजय देवगन ने प्ले किया है और एक बात जो कि जानने लायक है वो ये है कि इस पूरी मूवी के अंदर जो भी स्टोरी दिखाई गई है वह पूरी तरीके से रियल है और इसके साथ ही मूवी के अंदर जितने भी कैरेक्टर्स हैं उनके नाम भी असलियत में रखे गए हैं Syed Abdul Rahim एक्चुअल में 1950 और 1960 के अंदर इंडियन फुटबॉल टीम के कोच रह चुके हैं कंट्री के प्रेशर की वजह से फेडरेशन वाले काफी डिस्कस कर रहे होते हैं और वो सब ये बोलते हैं कि ओलंपिक्स के अंदर इंडिया बहुत बुरी तरह से हारी है और इसीलिए अब किसी को तो इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी ये लोग यहां पर ये डिस्कस कर रहे होते हैं कि तभी हम देखते हैं कि फेडरेशन का एक मेंबर जिसका नाम शुभंकर होता है यानी कि ये पर्सन वो पूरे फेडरेशन से कहता है कि इंडियन फुटबॉल टीम इसीलिए हारी है क्योंकि कोच रहीम ने उन्हें अच्छे से ट्रेनिंग नहीं दी थी एंड इसीलिए इसमें सारी की सारी गलती कोच की है शुभंकर की बात सुनकर बाकी सारे लोग भी एग्री कर देते हैं एंड वो लोग भी ये कहने लगते हैं कि सारी गलती कोच की है बट फिर इसके बाद ही अजय देवगन यानी रहीम बोलते हैं कि अगर आप सभी को ब्लेम मेरे ऊपर डालना है तो मैं ब्लेम लेने को राजी हूं लेकिन अगर जिम्मेदारी मेरी होगी तो फिर आगे से प्लेयर्स भी मैं ही चुनूंगा ये सुनकर फेडरेशन वाले एग्री कर जाते हैं और वो सभी रहीम को टीम चुनने का मौका देते हैं
लेकिन इसी मीटिंग के अंदर जो फेडरेशन मेंबर शुभंकर होता है वो बार-बार कोच को ये ब्लेम कर रहा होता है कि ये सब करने से भी कुछ नहीं होगा बल्कि वो ये सब करके सिर्फ अपनी गलती छुपा रहे हैं बट फिर इसके बाद ही अजय देवन इस बात को डिस्कस करते हैं एंड वो पूरी फेडरेशन को ये बताते हैं कि इंडियन फुटबॉल टीम ओलंपिक्स के अंदर हार गई इसका रीजन वो खुद नहीं है बल्कि कुछ बड़े रीजंस हैं जैसे कि इंडियन फुटबॉल टीम के मेंबर्स के पास जूते तक नहीं है और बिना जूतों के वो फुटबॉल कैसे खेल सकते हैं इसके अलावा हमारे प्लेयर्स को सिर्फ 70 मिनट तक खेलने की ट्रेनिंग है जबकि इंटरनेशनल मैचेस 90 मिनट के होते हैं और इनके साथ ही उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का बहुत ही कम मौका मिलता है जिस वजह से उन्हें ज्यादा एक्सपीरियंस भी नहीं है लेकिन सबसे बड़ी बात तो ये है कि फेडरेशन वाले बहुत टाइम तक प्लेयर्स को चेंज ही नहीं करते हैं और इसी वजह से जो पुराने खिलाड़ी हैं वो टीम में बने रहते हैं और जो नए खिलाड़ी हैं जो कि अच्छा खेल सकते हैं उन्हें कभी खेलने का मौका ही नहीं मिलता है एंड इसी वजह से वो खुद ये चाहते हैं कि वो टीम के मेंबर्स को खुद ही सेलेक्ट करें और ऐसा करके वो इंडियन फुटबॉल टीम को ऊपर जरूर ले जाएंगे और फिर ये बोलकर रहीम वहां से चले जाते हैं
उनके बाहर आते ही हम ये देखते हैं कि फुटबॉल फेडरेशन के प्रेसिडेंट उनसे मिलने आते हैं और वो कोच रहीम से कहते हैं कि आपने जो भी फैसला लिया वो बिल्कुल ठीक लिया है मैं आपको सपोर्ट करता हूं और फिर इसीलिए यहीं पर कोच रहीम उनसे कहते हैं कि हमारा देश इंडिया ना सबसे बड़ा है और ना ही हम सबसे अमीर हैं और ना ही हमारे देश की मिलिट्री सबसे स्ट्रांग है इसीलिए आधे से ज्यादा दुनिया हमें जानती भी नहीं है लेकिन ये फुटबॉल गेम पूरी दुनिया खेलती है और इसीलिए फुटबॉल हमारा मौका है क्योंकि अगर हम फुटबॉल में बेहतर खेलेंगे तो इससे हमारे देश इंडिया को पूरी दुनिया में पहचान मिल सकती है और इसी तरह से इंडियन फुटबॉल टीम भी बहुत आगे जा सकती है ये सब बोलने के बाद रहीम वहां से चले जाते हैं एंड वो सीधा हैदराबाद अपने घर जाते हैं हमें पता लगता है कि रहीम की फैमिली मैं उनका एक बेटा बेटी उनकी मदर और उनकी वाइफ होती है एंड वो सभी आपस में काफी हैप्पी होते हैं एंड फिर यहीं पर ही अपनी फैमिली से कुछ टाइम मिलने के बाद ही रहीम प्लेयर्स को ढूंढने की तलाश के लिए निकल जाते हैं
कोच रहीम ट्रेवल कर ही रहे होते हैं कि उन्हें रास्ते में एक लड़का दिखता है जिसकी उम्र मुश्किल से 18-19 साल की होती है लेकिन वो ये देखते हैं कि वो बच्चा फुटबॉल के साथ खेल रहा होता है एंड वो फुटबॉल को बहुत ही बेहतरीन तरीके से किक कर रहा होता है और उसके साथ कई सारे और भी बच्चे होते हैं लेकिन उनमें से कोई भी उससे बॉल नहीं छीन पा रहा होता है एंड वो बॉल के साथ काफी अच्छे से प्रैक्टिस कर रहा होता है बट कोच रहीम ये देखते हैं कि वो बच्चा थोड़ी देर में थक गया है और फिर ये देखकर उस लड़के के पास जाते हैं उससे मिलकर उसका नाम पूछते हैं जिस पर हमें भी ये पता लगता है कि उस लड़के का नाम तुलसीदास बलराम है कोच उससे कहते हैं कि वो बहुत अच्छा खेलता है लेकिन उसके अंदर स्टैमिना की कमी है यहीं पर ही कोच रहीम ये भी देख लेते हैं कि तुलसीदास बलराम काफी गरीब है और वो उसे खाना खाते हुए देखते हैं जहां पर वो ये देखते हैं कि तुलसीदास बलराम चाय के अंदर पानी मिलाकर और उसमें बिस्किट डुबा कर खा रहा होता है कोच रहीम उससे कहते हैं कि क्या वो इंडिया के लिए खेलेगा जिस पर तुलसीदास बलराम एग्री कर जाता है और फिर कोच रहीम उसे टीम में सिलेक्ट कर लेते हैं और फिर इस तरह तरह से कोच रहिम को अपना पहला प्लेयर मिलता है
इसके बाद कोच रहिम धीरे-धीरे करके दूसरे फुटबॉल टीम्स के पास जाते हैं और अपने प्लेयर्स को स्टेट लेवल पे ढूंढते हैं एंड फिर इस तरह से उन्हें कई सारे और प्लेयर्स मिलते हैं आगे उन्हें पता लगता है कि कोलकाता स्टेट के फुटबॉल टीम से एक प्लेयर खेलता है जिसका नाम है पीके बनर्जी एंड वो प्लेयर बहुत ही शानदार खेलता है और फिर इसीलिए कोच उसके पास जाते हैं और उसका मैच देखते हैं और फिर कोच रहीम को भी ये पता लगता है कि पीके बनर्जी एक्चुअल में बहुत अच्छा खेलता है एंड इसीलिए कोच रहीम उसे भी अपनी टीम में ले लेता है और फिर इसी तरह से धीरे-धीरे करके उनकी टीम पूरी हो जाती है इसके बाद 4 साल बीत जाते हैं और 1952 से 1956 आ जाता है
अब कोच रहीम की टीम पूरी तरह से तैयार होती है इसीलिए कोच रहीम अपनी टीम को इंट्रोड्यूस करते हैं अब हालांकि यहां पर हमें टीम के सारे मेंबर्स के बारे में डिटेल से तो नहीं बताया जाता लेकिन फिर भी फुटबॉल टीम के कुछ ऐसे मेंबर्स होते हैं जिनके हमें नाम भी बताए जाते हैं और मूवी में उनके ऊपर थोड़ा फोकस भी होता है एंड इन्हीं में से कुछ मेंबर्स होते हैं पीके बनर्जी यानी कि प्रदीप कुमार बैनर्जी नेविल डिसूजा तुलसीदास बलराम एंड टीम का गोल कीपर होता है पीटर थंगराज जो कि टीम के अंदर सबसे लंबा होता है
इसके बाद हमें पता लगता है कि हम 1956 के ओलंपिक स्टार्ट हो गए हैं एंड इस बार ओलंपिक्स हो रहे हैं मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया मैं और इसके लिए टीम वहां जाने के लिए पूरी तरह से तैयार होती है बट वहां जाने से पहले एक पार्टी होती है जिस पार्टी के अंदर टीम के सारे मेंबर्स होते हैं फेडरेशन वाले होते हैं एंड यहां तक कि इसी पार्टी के अंदर वो जनरलिस्ट भी आता है जिसने कि मूवी की स्टार्टिंग में इंडिया के ऊपर न्यूज़ छापा होता है उस जर्नलिस्ट का नाम होता है गिरिराज राव और यहां पर आकर गिरिराज राव सीधा कोच रहीम से मिलता है बट बातों-बातों में वो इंडियन फुटबॉल टीम का मजाक उड़ाता है और टीम का जो एक मेंबर होता है जिसका नाम तुलसीदास बलराम होता है वो क्योंकि काफी पुअर फैमिली से होता है इसीलिए वो उसके बारे में उल्टी सीधी बातें कहता है बट ये सुनकर कोच उसे जवाब देते हैं एंड वो उससे कहते हैं कि जिस बारे में हमें पता ना हो उस बारे में हमें बोलना नहीं चाहिए लेकिन हम ये देखते हैं कि ये सुनकर गिरिराज राव को गुस्सा आता है एंड उसका ईगो हम हट हो जाता है लेकिन फिर भी स्टोरी यहां से आगे बढ़ जाती है
और इंडिया इंडियन फुटबॉल टीम 1956 के ओलंपिक्स खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाती है ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न के अंदर इंडिया का मैच ऑस्ट्रेलिया से होता है लेकिन यहां पर हम ये देखते हैं कि मैच के स्टार्ट होने से पहले ही ऑस्ट्रेलियन फुटबॉल टीम के मेंबर्स इंडियन फुटबॉल टीम के मेंबर्स का मजाक उड़ाते हैं एंड वो हमारे प्लेयर्स से ये कहते हैं कि तुम लोगों की ऐसे मैचेस खेलने की औकात नहीं है और इसीलिए इस मैच में तुम हारने वाले हो मगर हम देखते हैं कि इस बार इंडियन फुटबॉल टीम के प्लेयर्स ऑस्ट्रेलियन टीम को बहुत बुरी तरीके से हराते हैं एंड इसी वाले मैच के अंदर हम ये देखते हैं कि इंडियन फुटबॉल टीम का प्लेयर नेवल डे सोज हैट्रिक भी मारता है यानी कि वो तीन गोल्स लगातार करता है इस वाले मैच के अंदर इंडिया का परफॉर्मेंस काफी अच्छा होता है लेकिन इस ओलंपिक्स मैं इंडिया जीत तो नहीं पता है लेकिन जहां इंडिया लास्ट आ रही थी वहीं पर अब इंडिया का परफॉर्मेंस काफी ऊपर आ चुका होता है और पोजीशन वाइज इंडिया चौथे नंबर पर आती है इधर सब कुछ काफी अच्छा चल रहा होता है लेकिन तभी हमें इंडिया के अंदर गिरिराज राव का सीन दिखाई जाता है यानी कि वही न्यूज़ जर्नलिस्ट वो यहां पर शुभंकर को मिलने बुलाता है और ये शुभंकर फेडरेशन का वही मेंबर है जो कि कोच रहीम के हमेशा खिलाफ ही रहता है यहां पर गिरिराज राव इस बात का फायदा उठाता है एंड वो शुभंकर से कहता है कि उसे कुछ भी करके कोच रहीम को बाहर निकलवाना होगा और अगर वो ऐसा करता है तो वो उसे प्रेसिडेंट बनवा देगा इधर दूसरी तरफ हम ये देखते हैं कि कोच रहीम अपने घर आ जाते हैं और उन्हें पता लगता है कि उनके बेटे को भी फुटबॉल में काफी इंटरेस्ट है और इसीलिए उनका बेटा उनसे कहता है कि वो भी इंडिया के लिए फुटबॉल खेलना चाहता है लेकिन इस पर कोच ये कहते हैं कि वो उसे तभी सिलेक्ट करेंगे जब वो अच्छा खेलेगा इसके लिए कुछ दिन बाद हम ये देखते हैं कि कोच के बेटे का फुटबॉल मैच होता है जो कि स्टेट लेवल मैच होता है एंड इस मैच के अंदर उनका बेटा बहुत ही अच्छा परफॉर्मेंस करता है इसीलिए नॉर्मल प्रोसीजर के जरिए उसका भी इंडियन टीम में सिलेक्शन हो जाता है इसके बाद इसी तरह से देखते ही देखते साल 1960 आ जाता है यहां पर हम ये देखते हैं कि अब कोच ने इंडियन फुटबॉल टीम के अंदर और भी कई सारे मेंबर्स को ऐड कर लिया है क्योंकि आने वाले कुछ सालों के अंदर काफी बड़े-बड़े मैचेस होने वाले थे इसीलिए वो सारे प्लेयर्स की ट्रेनिंग करवा रहे होते हैं इसके बाद कोच रहीम की टीम पूरी तरह से तैयार होती है अब क्योंकि हम 1956 के बाद
1960 मैं फिर से ओलंपिक्स होते हैं इसीलिए ओलंपिक्स खेलने के लिए पूरी फुटबॉल टीम रोम जाती है यानी कि इटली लेकिन इस वाले ओलंपिक्स के अंदर इंडिया का मैच फ्रांस से होता है लेकिन फ्रांस की टीम बहुत ही बेहतरीन टीम होती है यूं समझ लीजिए ये वाली टीम टॉप टीम्स में होती है और इसीलिए जब ये मैच खेला जाता है तब इस मैच के अंदर इंडिया अपनी पूरी जान लगा देती है लेकिन पूरी जान लगाकर भी वो लोग इस मैच को जीत नहीं पाते हैं क्योंकि पॉइंट से फ्रांस आगे होता है इसलिए मैच ड्रॉ होने के बाद भी फ्रांस जीत जाता है हालांकि अगर यहां पर इंडिया का मैच फ्रांस से ना होता और किसी दूसरी कंट्री से होता तो धीरे-धीरे करके इंडिया इस मैच में काफी आगे जा सकती थी और वो ओलंपिक्स के अंदर काफी ऊपर की पोजीशन ले सकती थी लेकिन फ्रांस जैसी टीम से मैच होने की वजह से इंडिया को यहां पर काफी बड़ा डिसएडवांटेज होता है और इंडियन फुटबॉल टीम मैच हार जाती है लेकिन यहां पर इस पूरे ग्राउंड में हम ये देखते हैं कि इंडिया के बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से यहां पर जितने भी लोग होते हैं वो सारे इंडियन टीम का नाम चिल्लाते हैं और वो टीम इंडिया की जय जयकर करते हैं और कमेंटेटर्स भी ये कहते हैं कि सभी ये जानते हैं कि फ्रांस नंबर वन टीम है लेकिन उसके बावजूद भी इंडियन टीम ने भी जो परफॉर्मेंस दिखाया है वो बहुत ही लाजवाब है इसके बाद हमें इंडिया का सीन दिखता है जहां पर फेडरेशन की मीटिंग होती है है अब हालांकि हम सब ये जानते हैं कि इंडिया का परफॉर्मेंस तो काफी अच्छा हो रहा है लेकिन फिर भी वो लोग मैच हार चुके थे एंड इसीलिए फेडरेशन का मेंबर शुभंकर जोकि न्यूज़ जर्नलिस्ट गिरिराज राव के साथ मिल गया था और वो पहले से ही कोच रहीम से जलता था वो इस मीटिंग के अंदर सबको अपनी तरफ कर लेता है एंड वो सभी से कहता है कि इन सब में कोच रहीम की गलती है बहुत साल हो गए हैं फिर भी इंडियन टीम जीत नहीं रही है इसीलिए उन्हें कोच की पोजीशन से हटा देना चाहिए कोच रहीम ये कहते हैं कि उनकी टीम मैं काफी सुधार आ रही है और इसीलिए आने वाले टाइम में इंडियन टीम जीत कर भी दिखाएगी लेकिन इस बार उनकी कोई भी बात नहीं सुनता है और वो सभी मिलकर कोच रहीम को बाहर कर देते हैं कोच रहीम जब वहां से बाहर निकलते हैं तब उन्हें काफी तेज खांसी स्टार्ट हो जाती है और इस इसीलिए जब वो इलाज करवाने जाते हैं तब उन्हें ये पता लगता है कि उन्हें स्मोकिंग की आदत थी जिस वजह से उन्हें लंग कैंसर हो गया है और इसीलिए अब साल डेढ़ साल के अंदर वो मरने वाले हैं
अब कोच रही पूरी तरह से टूट जाते हैं और इसीलिए वो अपनी फैमिली के पास जाते हैं और अपनी फैमिली को सारी बात बताकर वो अब शांति से अपने परिवार के साथ रहने लगते हैं लेकिन उनकी फैमिली देखती है कि कोच रहीम काफी उदास रहते हैं एंड इसलिए कुछ महीनों के बीत जाने के बाद कोच रहीम की वाइफ उनसे कहती है कि उन्हें पता है कि उन्हें अपना काम बहुत पसंद है और इसीलिए वो ये चाहती हैं कि वो इस तरह से घर में उदास ना बैठे रहे और बल्कि वो बाहर जाएं और अपने कोच की पोजीशन को वापस लें और इंडियन फुटबॉल टीम को फिर से कोच करें ये सुनकर कोच रहीम को भी मोटिवेट आता है एंड वो फिर से फेडरेशन के पास आते हैं लेकिन इतने महीनों बाद आने के बाद वो ये देखते हैं कि अब फेडरेशन के अंदर काफी चेंजेज हो चुके थे और वो चेंजेज ये होते हैं कि जो फेडरेशन के पुराने प्रेसिडेंट होते हैं उन्हें हटा दिया जाता है और शुभंकर को प्रेसिडेंट बना दिया जाता है एंड इसीलिए कोच रहीम जब यहां पर फेडरेशन के पास आते हैं तब शुभंकर प्रेसिडेंट बन गया था वो उनकी कोई बात नहीं सुनता इसके लिए कोच रहीम सीधा फॉर्मर प्रेसिडेंट के पास जाते हैं एंड वो उनसे रिक्वेस्ट करते हैं कि वो उनकी मीटिंग करवा दें
फिर इसके लिए पुराने वाले प्रेसिडेंट कोच रहीम के साथ सीधा फेडरेशन के पास आते हैं एंड वो सबको कन्वेंस कर लेते हैं मीटिंग के लिए लेकिन यहां पर शुभंकर उनकी कोई बात नहीं सुनता और वो कोच रहीम से कहता है कि उन्होंने नए कोच को ढूंढ लिया है इसलिए वो उन्हें नहीं रख सकते हैं लेकिन जो पुराने वाले प्रेसिडेंट होते हैं वो सबको एग्री कर लेते हैं और सभी को ये बोलते हैं कि कोच रहिम को एक आखिरी मौका देना चाहिए और कोच रहिम भी ये बोल देते हैं कि अगर वो इस बार कुछ नहीं कर पाए तो वो कोचिंग को हमेशा के लिए छोड़ देंगे और फिर इसके लिए हम ये देखते हैं कि फेडरेशन के सारे मेंबर्स मान जाते हैं जिस वजह से शुभंकर को भी एग्री करना पड़ता है और फिर इस तरह से कोच रहीम को एक बार फिर से इंडियन फुटबॉल टीम का कोच बना दिया जाता है एक बार फिर से इंडियन फुटबॉल टीम के कोच बनने के बाद ही कोच रहीम सीधा अपनी टीम से मिलते हैं एंड फिर वो टीम के सारे मेंबर्स को इकट्ठा करके उनकी ट्रेनिंग स्टार्ट करवा देते हैं एंड फिर कई सारे महीनों की खतरनाक ट्रेनिंग के बाद वो अपनी फुटबॉल टीम को पूरी तरह से तैयार कर लेते हैं इसके बाद हमें बताया जाता है कि अब साल 1962 आ चुका है एंड अब इसी साल के अंदर एशियन गेम स्टार्ट होने वाले हैं यानी कि ऐसा टूर्नामेंट जिसके अंदर एशिया के सारे कंट्रीज पार्टिसिपेट करती है और अब इंडिया को इसी एशियन गेम्स के अंदर फुटबॉल खेलना है लेकिन यहां पर जब सारी तैयारियां हो जाती है तब हमें ये पता लगता है कि इंडियन फुटबॉल टीम को बाहर खेलने भेजा नहीं जा रहा है क्योंकि इस बार की एशियन गेम्स को इंडोनेशिया करवा रहा है इसीलिए इंडियन फुटबॉल टीम को वहां जाने से मना कर दिया गया है ये जानकर सभी को बहुत शौक लगता है लेकिन बट फिर तभी गिरिराज राव जो कि न्यूज़ जर्नलिस्ट होता है वो कोच रहीम के पास आता है एंड उनसे कहता है कि मैंने ही मिनिस्टर्स को ये रिकमेंड किया है कि वो फुटबॉल टीम को बाहर ना भेजें क्योंकि वैसे भी तुम लोग मेडल जीत कर लाते तो हो नहीं और फालतू में ही बाहर घूम कर आते हो और क्योंकि इस टाइम पर इंडिया के पास काफी कम फॉरेन रिजर्व होता है इसीलिए इंडिया ने फुटबॉल टीम का जाना कैंसिल कर दिया होता है ये बात सुनकर कोच रहीम सीधा फाइनेंस मिनिस्टर से मिलता है और इस टाइम के फाइनेंस मिनिस्टर होते हैं मुरारजी देसाई जी एंड कोच रहीम इन्हें कन्वेंस कर लेते हैं कि वो बेशक इस टीम के सारे मेंबर्स को ना भेजे और इन्हें पॉकेट मनी ना दें लेकिन तभी वो टीम के मेन मेंबर्स को भेज दें जो कि 15 मेंबर्स हैं क्योंकि उनका खेलना बहुत जरूरी है और और फिर इसके लिए वो लोग मान जाते हैं
एंड इंडियन फुटबॉल टीम को इंडोनेशिया भेज दिया जाता है इसके आगे इंडियन फुटबॉल टीम इंडोनेशिया पहुंच जाती है लेकिन इंडोनेशिया आकर हमें पता लगता है कि इंडिया का पहला मैच ही साउथ कोरिया के साथ है और साउथ कोरिया पूरे एशिया की नंबर वन फुटबॉल टीम होती है लेकिन इसके भी ऊपर इंडिया को एक और झटका लगता है और वो इसीलिए क्योंकि इंडिया का जो गोलकीपर होता है यानी कि पीटर थंगराज उसके पैर में मोच आ जाती है जिस वजह से वो खड़ा भी नहीं हो पाता है और इसीलिए उसे रेस्ट लेना पड़ता है और कोच रहीम को गोलकीपर चेंज करना पड़ता है और ये नया वाला गोलकीपर ज्यादा लंबा नहीं होता इसके बाद मैच स्टार्ट होता है और मैच के अंदर हम ये देखते हैं कि साउथ कोरिया वाले इंडिया के ऊपर काफी भारी पड़ते हैं एंड वो एक के बाद एक गोल करते जाते हैं और अब क्योंकि इंडिया का गोलकीपर भी चेंज हो चुका होता है और इस नए गोलकीपर को ज्यादा एक्सपीरियंस नहीं होता इसीलिए वो ज्यादा गोल को बचा भी नहीं पाता है और फिर इसके बाद ही हम ये देखते हैं कि इंडिया वाला मैच हार जाता है
इसके बाद इंडियन फुटबॉल टीम से सबकी उम्मीदें टूट जाती हैं और ये ऑर्डर्स आ जाते हैं कि इंडियन फुटबॉल टीम को वापस बुला लिया जाए क्योंकि अब उनके ऊपर ज्यादा खर्चा करने की और उन्हें वहां पर ज्यादा देर रोकने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वैसे भी वो लोग अच्छा नहीं खेल रहे हैं और इसलिए ये तैयारी हो जाती है कि अब कुछ ही दिन में इंडियन फुटबॉल टीम को वापस बुलाया जाएगा लेकिन फिर इसके बाद कोच रहीम अपनी टीम से मिलते हैं एंड वो सभी को मोटिवेट करते हैं और वो सभी से कहते हैं कि उन सभी को कोऑर्डिनेशन से खेलना होगा सभी को ग्राउंड के ऊपर एक दिखना होगा और अब वैसे भी किसी को भी इंडियन फुटबॉल टीम से उम्मीदें नहीं है लेकिन उन्हें टीम से बहुत उम्मीदें हैं इसके बाद टीम का अगला मैच होता है जो मैच होता है इंडिया का थाईलैंड के साथ हालांकि इस मैच के अंदर भी थाईलैंड वाले इंडिया के ऊपर काफी भारी पड़ रहे होते हैं एंड वो गेम के अंदर थोड़ी बहुत चीटिंग भी कर रहे होते हैं लेकिन फिर भी उन्हें फाउल नहीं दिया जाता और इसका भी इंडिया को नुकसान होता है वो लोग यहां पर काफी अग्रेसिव खेल रहे होते हैं और वो लोग इंडियंस को काफी धक्का भी मार रहे होते हैं और इसी वजह से मैच में हम ये देखते हैं कि टीम का एक मेंबर जिसका नाम जर्नल सिंह होता है उसके सर पर चोट लग जाती है एंड वो बेहोश हो जाता है और इसीलिए उसे मैच से बाहर ले जाया जाता है और अब इंडिया को भी 11 प्लेयर की बजाय सिर्फ 10 प्लेयर के साथ खेलना पड़ता है लेकिन फिर इसके बाद ही जैसे ही मैच स्टार्ट होता है वैसे ही हम ये देखते हैं कि अब इंडियन प्लेयर्स काफी अग्रेसिव हो जाते हैं एंड अब वो एक के बाद एक गोल करने लगते हैं और थाईलैंड के प्लेयर्स देखते रह जाते हैं और फिर देखते दे देखते इंडियन फुटबॉल टीम ये मैच जीत जाती है इसके बाद इंडियन फुटबॉल टीम से सबकी उम्मीदें जाग जाती है
और सारे इंडियंस ये मैच देखकर बहुत खुश होते हैं इसके बाद इसका अगला मैच इंडिया का वियतनाम के साथ होता है एंड इस वाले मैच के अंदर भी इंडिया अपनी पूरी जी जान लगाकर वियतनाम को हरा देता है इस मैच के बाद ही हम ये देखते हैं कि कोच रहीम की हालत काफी ज्यादा बिगड़ जाती है एंड उन्हें अपने रूम के अंदर काफी खांसी भी होती है और काफी खून की उल्टियां भी होती हैं लेकिन फिर भी वो डटे रहते हैं और अपने कैंसर को दबाकर टीम के बारे में सोचते हैं लेकिन ये सारी चीजें कहीं ना कहीं न्यूज़ जर्नलिस्ट गिरिराज राव देख लेता है और इसीलिए वो ये समझ जाता है कि जहां एक तरफ वो है जो कि अपने घमंड के चक्कर में सबको हराने पर लगाए हुए हैं और अपने देश का नुकसान करवा रहा है वहीं पर दूसरी तरफ कोच रहीम है जो कि इतनी बुरी हालत में होकर भी अपनी टीम के बारे में सोच रहा है और देश का नाम उठाना चाहता है और फिर इसके लिए हम ये देखते हैं कि जर्नलिस्ट गिरिराज राव अब सुधर जाता है और वो अपनी टीम को सपोर्ट करने लगता है इसके बाद इंडिया सेमीफाइनल में आ जाता है जहां पर इंडिया का मैच जापान से होता है हालांकि जापान भी बहुत ही अच्छी टीम होती है लेकिन फिर भी इंडिया अपनी पूरी जान लगाकर जापान को भी हरा देता है और फिर इस तरह
से इंडिया फाइनल्स में आ जाता है जहां पर फाइनल्स के अंदर इंडिया का मैच फिर से साउथ कोरिया से होता है उसी साउथ कोरिया से जिसने पहले मैच के अंदर इंडिया को बहुत बुरी तरह से हराया था लेकिन इस मैच के स्टार्ट होते ही हम ये देखते हैं कि इस बार इंडिया का जो गोलची होता है यानी कि पीटर थंगराज वो वापस आ जाता है और इसीलिए इंडियन फुटबॉल टीम स्ट्रांग हो जाती है इसके बाद मैच स्टार्ट होता है लेकिन हम ये देखते हैं कि स्टार्टिंग के अंदर साउथ कोरिया वाले इंडिया को काफी बुरी तरह से डिफीट कर रहे होते हैं और एक टाइम पर हम ये भी देखते हैं कि कुछ साउथ कोरियन प्लेयर्स इंडियन फुटबॉल टीम के गोलकीपर यानी कि पीटर थंगराज के पैर पे चढ़ जाते हैं जिस वजह से उसका जो वाला पैर इंजर्ड था उसी वाले पैर के अंदर फिर से इंजरी आ जाती है जिस वजह से वो लंगड़ा लगता है
ये देखकर पीटर थंगराज को मैच से बाहर जाने का मौका दिया जाता है बट थंगराज ये फैसला लेता है कि वो मैच छोड़कर नहीं जाएगा और वो इस हालत में भी अपने फुटबॉल टीम का गोलकीपर बना रहेगा इसके बाद मैच फिर से स्टार्ट होता है एंड यहां पर हम ये देखते है कि साउथ कोरियन प्लेयर्स काफी बुरी तरह से गोल करने की कोशिश करते हैं लेकिन पीटर थंगराज अपनी पूरी जान लाकर गोल को रोकता रहता है एंड फिर इसी तरह से हाफ मैच खत्म हो जाता है लेकिन जब हाफ मैच खत्म होता है तब कोच रहीम अपनी सारी टीम को मोटिवेट करता है एंड वो टीम की पोजिशनिंग को भी चेंज कर देता है एंड वो सभी से कहता है कि सबको बहुत ही बढ़िया खेलना है इसके बाद हम ये देखते हैं कि मैच फिर से स्टार्ट होता है लेकिन इस बार इंडियन टीम कमाल कर देती है क्योंकि इस बार वो साउथ कोरियन टीम को बहुत ही अच्छे टक्कर देती है और अब इस बार इंडिया गोल करना स्टार्ट करती है इस तरह से हम ये देखते हैं कि इंडिया गोल करके लीड पर आ जाती है लेकिन अब मैच को खत्म होने में भी सिर्फ पांच मिनट रह जाते हैं और इसीलिए अब इंडिया का पूरा टारगेट होता है कि वो कुछ भी करके साउथ कोरियन टीम को गोल करने से रोके इधर मैच को जारी रखा जाता है जहां पर इंडियन टीम अपनी पूरी जान लकर साउथ कोरियंस को गोल करने से रोकती है लेकिन फिर देखते ही देखते वो सब ये देखते हैं कि साउथ कोरियन की पूरी टीम खेलना रोक देती है बट ये देखकर इंडियन टीम के मेंबर्स को कुछ भी समझ नहीं आता लेकिन फिर वो लोग जैसे ही स्कोर चार्ट की तरफ देखते हैं वैसे ही उन्हें पता लगता है कि टाइम पूरा हो चुका है एंड इसीलिए वहां पर लिखा आता है इंडिया WIN जिसका मतलब इंडिया ये मैच जीत चुकी होती है और इस मैच को जीतने के साथ ही इंडिया पूरे एशियन गेम को जीत जाती है और इंडियन फुटबॉल टीम एशियन गेम्स की चैंपियन बन जाती है इसके बाद ही टीम के सारे मेंबर्स खुश होकर कोच रहीम को गले लगा लेते हैं और देखकर कोच रहीम की आंखों में भी आंसू आ जाते हैं और फिर इसके बाद ही ग्राउंड में हमारे देश का झंडा रिप्रेजेंट किया जाता है और फिर उसी तिरंगे के साथ ही ये पूरी मूवी खत्म हो जाती है
और वहीं पर कोच रहीम को भी दिखाया जाता है और हमें बताया जाता है कि उस वाले मैच के 9 महीने बाद ही कोच रहीम की लंग कैंसर से मौत हो गई थी एंड फिर इन सब के बाद ये पूरी मूवी एंड हो जाती है
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