तो नमस्कार भाइयों और उनकी प्यारी बहनों फिर से स्वागत है हमारे इस चैनल फिल्मी फीडबैक में आज हम बात करने वाले हैं The Telgi Story Scam 2003 वेब सीरीज की Story Explained करने वाले हैं यह कहानी है ट्रेन में फ्रूट बेचने वाले की जिसने भारत सरकार को चूना लगाकर 30 हजार करोड़ का स्कैम कर दिया था यह सच्ची घटना पर आधारित है
3 घंटे 1 मिनट की BIOGRAPHY, CRIME और DRAMA वेब सीरीज Scam 2003 The Telgi Story 1 SEPTEMBER 2023 को Hindi, Tamil, Marathi, Telugu, Bengali, Kannada, और Malayalam लैंग्वेज में SONY LIV पर एक्सट्रीम कर दी गई थी
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इस वेब सीरीज मैं तेलगी के कैरेक्टर को जो प्ले कर रहे हैं उनका नाम Gagandev Riar है इनके अलावा और भी कलाकार इस वेब सीरीज में दिखाई देंगे
इस इस वेब सीरीज में वॉल्यूम वन में 10 एपिसोड है इस वीडियो में हम वॉल्यूम वन के 10 एपिसोड को कभर करेंगे
यह वेब सीरीज हमें साल 2003 में स्टांप पेपर स्कैम हुआ था वह स्कैम कैसे हुआ था इस वेब सीरीज के द्वारा आज हम आपको इस वेब सीरीज के टोटल 10 एपिसोड को कर करेंगे यह स्कैम कोई छोटा-मोटा स्कैम नहीं था बल्कि 30 हजार करोड़ का स्कैम था जो एक फ्रूट बेचने वाले ने किया था कोई भी स्कैम यूं ही एक झटके में नहीं हो जाते इनको प्लान करने में कई लोगों की मेहनत और कई साल लग जाते हैं तब जाकर एक स्कैम होता है 2003 में इस स्कैम का पर्दाफाश होने के बाद जिसने यह स्कैम किया यानी अब्दुल करीम तेलगी उसे हॉस्पिटल में सोडियम पैथॉल का इंजेक्शन लगाकर उसका नारको टेस्ट किया है और उससे पूछा जाता है कि इस स्कैम में उसके साथ कौन-कौन जुड़ा था फिर अब्दुल यह कहानी कैसे शुरू हुई वह बताता है
1982 में अब्दुल करीम तेलगी कर्नाटक के एक गांव खानापुर के आसपास आने वाली ट्रेनों में फ्रूट बेचा करता था उसके फ्रूट बेचने का अंदाज सबको पसंद आता था उसी ट्रेन में शौकत भाई भी बैठे थे उनको भी अब्दुल का अंदाज पसंद आया इसलिए उन्होंने अब्दुल को अपना एड्रेस दिया और मुंबई आने को कहा उन दिनों अब्दुल खानापुर गांव की झोपड़पट्टी में रहा करता था जगह जरूर छोटी थी लेकिन उसके ख्वाब बहुत बड़े थे इसलिए वो अपनी मां से इजाजत लेकर मुंबई पहुंच जाता है पहुंच गया शौकत भाई के पास उसे वक्त मुंबई का नाम बंबई हुआ करता था बंबई में पांव रखते ही उसमें पॉजिटिव एनर्जी आ गई थी फिर अब्दुल शौकत भाई के पास जाता है उन दिनों शौकत भाई के कमरे और तिजोरी दोनों ही खाली थी फिर अब्दुल ने अपना दिमाग चलाया और विजिटिंग कार्ड को हर पान बीड़ी वाले और टैक्सी वाले को बांट आया और साथ में उनको कमीशन का भी लालच दे दिया अब धंधा चार गुना हो गया इसलिए अब्दुल की इज्जत और पगार दोनों डबल हो गए उन दिनों अब्दुल का लक बड़ा ही सॉलिड चल रहा था शौकत भाई की बेटी नफीसा के साथ अब्दुल का टांका भिड़ा और उन दोनों का निकाह हो गया फिर अब्दुल के सपने और भी बड़े हो गए और वह इंडिया से बाहर गल्फ में काम करने चला गया फिर 7 साल बाद उसे अपने घर परिवार की याद सताने लगी इसलिए वह अपना तामझाम लेकर वापस इंडिया आ गया अब इंडिया में उसने कबूतरबाजी का धंधा शुरू कर दिया
कबूतरबाजी हम उसे कह रहे हैं जिसमें नकली कागजात पासपोर्ट बनाकर लोगों को विदेश भेजना लेकिन यह धंधा भी ज्यादा चल नहीं पाया और अब्दुल को पुलिस पकड़ कर ले गई उनका केस आया इंस्पेक्टर मधुकर डोंबे के पास उन्होंने अब्दुल की अच्छी सेवा पानी की फिर उसको लोकप में बंद कर दिया गया वहां उसकी मुलाकात कौशल झावेरी के साथ हुई उसका यहां पर रोज का आना जाना था उसका मानना था कि डांस बार हो या पुलिस स्टेशन एक बार जो यहां आ जाए वो बार-बार आता ही रहता है फिर शौकत भाई अब्दुल की जमानत करवाते हैं
घर जाकर अब्दुल अपनी सफाई देता है कि मैं तो लोगों का भला ही कर रहा था जो बेचारे अपना भविष्य बनाने वहां जाना चाहते थे और जिनके पास ज्यादा पैसे भी नहीं है मैं उनको किस्मत आजमाने का मौका दे रहा था फिर शौकत भाई कहते हैं दायरे में रहकर काम करो आइंदा से मुझे कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने ना पड़े अब्दुल को आगे कुछ भी करने के लिए पुलिस रिकॉर्ड में से अपना नाम हटवाना होता है इसलिए वह एडवोकेट गणेश कांबले के पास जाता है इस एडवोकेट के बारे में अब्दुल को कौशल झावेरी ने बताया था व कहता है इंस्पेक्टर मधुकर डोंबे को रिश्वत खिलानी पड़ेगी फिर अब्दुल अपना दिमाग चलाता है और गणेश कामले को कहता है कि आप इंस्पेक्टर को अपनी जेब से रिश्वत दें और समझ लो कि यह आपने मुझ पर इन्वेस्ट किया है बदले में मैं आपके पास बहुत सारे क्लाइंट लेकर आऊंगा गणेश कामले अब्दुल की बातों में आ गया कुछ दिन बाद अब्दुल शौकत भाई के होटल की रिसेप्शन पर बैठा था तभी उससे मिलने के लिए कौशल आया वो कहता है अगर खुद के पैसे कमाना चाहते हो तो चलो मेरे साथ प्लान समझाता हूं फिर कौशल अब्दुल को अपने अड्डे पर ले जाता है वहां वह अब्दुल को शेयर मार्केट के फिजिकल डेट सर्टिफिकेट दिखाता है एक सर्टिफिकेट ज्यादा से ज्यादा पांच बार किसी पार्टी के नाम ट्रांसफर हो सकता है और उसके बाद वह पुराने सर्टिफिकेट को रद्दी बनाकर संभाल कर रख देते हैं और फिर नया सर्टिफिकेट इशू कर दिया जाता है उस रद्दी में से अगर थोड़ी बहुत रद्दी गायब हो भी जाए तो किसको परवाह है और इस रद्दी में छिपा है खजाना यानी ADESHIV स्टैंप हर स्टैंप की की कीमत अलग-अलग होती है 10 से लेकर ₹125 तक अब आगे का कमाल होता है केमिकल का जो पेपर से स्टैंप को अलग कर देता है और फिर कुछ केमिकल की हेल्प से स्टैंप के ऊपर से सियाही हटाई जाती है अब जो स्टैंप बच जाती है उसको बम्बे स्टॉक एक्सचेंज में कम कीमत में बेच दिया जाता है
अबकी बार जब वे स्टैंप बेचने जाते हैं तो अब की बार वहां उनकी बहुत ही कम कीमत लगाई जाती है इसलिए वे अपनी स्टैंप नहीं बेचते फिर बाहर जाते समय उनको समझ में आ जाता है कि वे कोलकाता गैंग वालों से बहुत ही कम कीमत में स्टैंप खरीद रहे हैं फिर जब कौशल उनसे पूछता है कि हमारे धंधे में क्यों टांग अड़ा रहे हो तो कोलकाता गैंग वाला बाबू कहता है यहां जिसके पास लाठी होती है भैंस उसी की होती है फिर कौशल अब्दुल को समझाता है कि सबसे पहले यह रिवेन्यू स्टैंप ओल्ड कस्टम हाउस में आते हैं फिर वहां से कुछ कर्मचारियों से सेटिंग करके यह आधे भाव में उनसे खरीद लेते हैं और अपना थोड़ा बहुत मार्जिन रखकर यहां आकर बेच देते हैं इनका गम वाश का खर्चा भी नहीं लगता और ना ही मेहनत अब अगले दिन वे कोलकाता गैंग वालों का पीछा करते हैं जो टिफिन में उनके के लिए बिरयानी लाया करते थे वे जिस टिफिन में उनके लिए बिरयानी लाया करते थे उसी टिफिन में उनके लिए स्टैंप दिया जाता था लेकिन अब्दुल समझ जाता है कि एक कर्मचारी ऐसा भी है जिसको खाने के लिए बिरयानी नहीं मिलती फिर वे आधी रात को उसे गली के नुक्कड़ उससे मिलते हैं और उसे कहते हैं कि अगर तुम भी बिरयानी खाना चाहते हो तो कल बीएससी के सामने वाले पार्क में आ जाना
फिर उम्मीद के अनुसार वह उन दोनों से मिलने जाता है वो उनके लिए रिवेन्यू स्टैंप तो नहीं बल्कि स्टैंप पेपर लेकर आया था लेकिन इतने में वहां कोलकाता गैंग वाले आ जाते हैं और उन तीनों को खूब पीटते हैं फिर वे स्टैंप पेपर अपने साथ ले जाते हैं और ऐसा करते हुए उन्हें अब्दुल देख लेता है फिर रात को घर पर शौकत भाई अब्दुल के वैसे ही एक स्टैंप पेपर पर साइन लेते हैं दरअसल वो उनकी वसीयत थी जिसमें उन्होंने अपना सब कुछ अब्दुल की बेटी के नाम कर दिया था फिर अगले दिन अब्दुल हॉस्पिटल पहुंच जाता है विट्ठल भाऊ के पास और उनसे पूछता है कि इस
पेपर में ऐसा क्या था जो वे उसे लूट कर ले गए विट्ठल भाऊ बताता है कि तुम जिस टैंप के पीछे पड़े हो वह तो कुछ भी नहीं है स्टम पेपर बादशाह है हर मंथ लगभग ₹33000 करोड़ के स्टैंप पेपर बेचे जाते हैं है और उसमें से 2500 करोड़ केवल मुंबई से रेवेन्यू जनरेट होता है चाहे किसी को प्रॉपर्टी खरीदनी हो या बेचनी हो चाहे किसी की वसीयत लिखनी हो कंपनी डीड सेल डीड पार्टनरशिप डीड हर तरह के एग्रीमेंट या कोर्ट मैरिज ही क्यों ना करनी हो सब कुछ इन स्टैंप पेपर के ऊपर ही लिखा जाता है बस यह समझ लो कि यह पेपर कुबेर के खजाने की चाबी है अब अगर हम 33000 करोड़ में से 7000 करोड़ चुरा भी लेंगे तो किसको पता चलेगा अगर लाइफ में आगे बढ़ना है तो डेरिंग तो करना ही पड़ेगा क्योंकि मुझे पैसा कमाना नहीं बनाना है और इसी के साथ फर्स्ट एपिसोड का एंड हो जाता है
सेकंड एपिसोड की शुरुआत का समय था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिंहा राव देश के प्रधानमंत्री बन गए थे अब विदेशी कंपनियों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए गए थे सभी कंपनियों को भारत में पैसे का पहाड़ नजर आ रहा था इसलिए सभी अपने पैर जमाने में जुटे हुए थे फिर बाबरी मस्जिद वाली घटना हुई और उसके कारण देश भर में दंगे शुरू हो गए थे ऐसे माहौल में भी इन दोनों की प्लानिंग चल रही थी कि 33000 करोड़ के हलवे में से एक चम्मच हलवा कैसे निकाला जाए अब्दुल बताता है कि स्टैंप पेपर का फर नासिक से शुरू होता है देश भर में बिकने वाले स्टैंप पेपर यहीं पर छपते हैं अलग-अलग कीमत वाले स्टैंप पेपर का वजन भी अलग-अलग होता है लाखों रुपए के स्टैंप पेपर पूरी सिक्योरिटी के साथ ट्रकों में भर दिए जाते हैं इनको देश भर में पहुंचाने के लिए ट्रेन का भी यूज किया जाता है नासिक से ट्रेन बंबे भेजी जाती है और वहां से बंबई की खपत के हिसाब से बहुत सारे स्टैंप पेपर ओल्ड कस्टम हाउस आते हैं फिर लाखों करोड़ों रुपए के स्टैंप पेपर पूरे देश भर में डिस्ट्रीब्यूटर दिए जाते हैं लेकिन इनको ट्रेन के बंबे पहुंचने से पहले चोरी को अंजाम देना था लेकिन मुश्किल यह थी कि रेलवे सिक्योरिटी के नाक के नीचे से चोरी करी कैसे जाए फिर यह रेलवे स्टेशन पर जाकर पूरी सिचुएशन का जायजा लेते हैं पेपर्स को डबल चेक करने के बाद पूरे माल को नोट किया जाता है फिर उनको बक्सों में डालकर सरकारी सील लगा दी जाती है और उसके बाद उसे मालगाड़ी में रख दिया जाता है अब मान लो मालगाड़ी में चोरी करके यह ना भी पकड़े जाएं लेकिन इनकी चोरी पकड़ी जाएगी अब प्लान ऐसा बनाना था कि चोरी एक बार नहीं बार-बार की जा सके अब उनका पहला निशाना था स्टेशन मास्टर साहिब राव कदम अब्दुल को पता था कि हर इंसान की कोई ना कोई कीमत होती है इसलिए वह साहिब राव कदम को खरीदने पहुंच जाता है लेकिन कौशल किसी को एक चवन्नी भी देना नहीं चाहता था फिर अब्दुल उसे समझाता है कि यह काम हम अकेले नहीं कर सकते हमें पूरी टीम बनानी पड़ेगी फिर वे एक ऐसी प्रेस में जाते हैं जहां फिल्मों के पोस्टर छपा करते थे वे वहां से स्टैंप पेपर छापने के लिए एक डाई बनवाते हैं अब उन्हें जरूरत थी तो एक प्रिंटिंग प्रेस की फिर वे एक चाचा को अपने अंडर करते हैं और उसे कहते हैं कि दिन में तुम अपने शादी ब्याह के कार्ड छापो रात को हम अपना काम करेंगे और इस काम के बदले हम आपको पैसे देंगे दोनों की ही रोजी रोटी चल जाएगी अब स्टैंप पेपर की छपाई शुरू हो जाती है इनका प्लान था असली पेपर निकाल के वहां नकली पेपर्स रखना ताकि काम भी हो जाए और किसी को पता भी ना चले यह चाहते तो यह नकली स्टैंप पेपर सीधा ही मार्केट में बेच सकते थे लेकिन इससे यह पकड़े जाते कौशल अभी भी डर रहा था लेकिन अब्दुल समझाता है कि यह स्टैंप पेपर भारत के अलग-अलग कोने में पहुंच जाएंगे और मान लो पता भी चल जाए कि यह स्टैप पेपर सही नहीं है तो कौन उल्टी कड़ियां जोड़कर हमारे पास आएगा सरकार को कहां इतना टाइम है वे इसे मिस प्रिंटिंग समझकर फेंक देंगे
अब ट्रेन बंबे पहुंचने से पहले वे चोरी को अंजाम देते हैं वे बक्से में से असली पेपर्स निकालकर वहां नकली पेपर रख देते हैं और उसके ऊपर सरकारी मोहर लगा देते हैं और अपने काम को अंजाम देकर वे स्टेशन मास्टर को उसकी मोहर वापस कर देते हैं अब अगला स्टेप था कि स्टैंप पेपर्स को बेचा कैसे जाए फिर वे स्टैंप पेपर बेचने गणेश कांबले के पास जाते हैं वे चाहे उसे कितना भी सस्ता स्टांप पेपर लगा दे लेकिन उसकी खपत एक महीने में तीन-चार पेपर्स की थी फिर वो उन्हें कॉरपोरेट वाले वकील के पास जाने को कहता है लेकिन इनका प्लान था कि हर छोटे-बड़े वकील को जाकर स्टैंप पेपर बेचना स्टैंप पेपर बेच के इनकी कमाई तो अच्छी हो रही थी लेकिन इनका माल बल्क में नहीं बिक रहा था इनके पास समुद्र भरकर स्टैंप पेपर पड़े थे लेकिन यह सिर्फ लोटा भर ही बेच पा रहे थे इतनी मेहनत करने के बाद भी इनको सिर्फ 30 से 35 हजार का ही फायदा होता है कौशल सेटिस्फाइड था लेकिन अब्दुल खुश नहीं था अब दो नंबर का पैसा कमाया है तो इसे उड़ाएंगे भी
इसलिए कौशल अब्दुल को डांस बार में ले जाता है कौशल लड़कियों पर पैसा उड़ाता है लेकिन उन पर उड़ाया एक-एक नोट अब्दुल को चुभ रहा था फिर अब्दुल का दिल एक लड़की पर आ जाता है लेकिन अब्दुल को अपनी औकात का पता था इसलिए वो वहां से बाहर आ जाता है फिर अब्दुल का भाई सलीम भी उसके पास काम करने के लिए आता है लेकिन अब्दुल उसे अपनी अम्मी की जिम्मेदारी देकर गांव वापस भेज देता है फिर वे अपना माल बेचने कॉरपोरेट वाले वकील के पास जाते हैं उसकी लागत एक महीने में 80 से 100 पेपर्स की थी वो भी 500 वाले लेकिन वो स्टैंप पेपर उसी से खरीदता है जिनके पास लाइसेंस है फिर वह गणेश कांबले की हेल्प से लाइसेंस अप्लाई करता है
एजेंट कहता है कि लाइसेंस एप्लीकेशन लगा तो देता हूं लेकिन यह भराड़े के पास जाकर अटक जाएगी अब्दुल टेंशन में था कौशल उसे समझाते हैं कि अपना जैसा भी चल रहा है बढ़िया चल रहा है रोज के 10-12 पेपर बिक जाते हैं लेकिन अब्दुल को हर रोज हजारों स्टैंप पेपर बेचने थे क्योंकि वह अपनी ऐसी औकात बनाना चाहता था कि बार डांसर पर पैसे उड़ा सके फिर एक रात उनके मोहल्ले में पुलिस की रेड पड़ जाती है पुलिस वाले उनके पास पास भी आते हैं लेकिन उनको शक भी नहीं होता कि यहां क्या गैर कानूनी काम चल रहा है फिर वे पड़ोस से नकली दारू बेचने वाले को पकड़ कर ले जाते हैं अब उनको कोई ऐसी जगह का इंतजाम करना था जहां पुलिस वाले ना पहुंच पाएं फिर अब्दुल दिमाग चलाता है कि क्यों ना पुलिस वाले के साथ दोस्ती ही कर ली जाए फिर वह 2 लाख पुलिस फंड में देता है और वो फंड वह पुलिस के हाथों दरगाह में डोनेट करवा देता है इससे कौमी एकता मिसाल भी कायम हो जाती है और पुलिस वालों की फोटो भी पेपर में आ जाती है अब पुलिस के साथ दोस्ती तो हो गई थी लेकिन कौशल झावेरी खुश नहीं नहीं था जब अब्दुल पुलिस वालों के साथ बार में बैठा था तब कौशल अकेला बैठा अंदर ही अंदर उबल रहा था अब्दुल इंस्पेक्टर डोबे से पूछता हैं कि मुझे वेंडर लाइसेंस बनवाना है क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हो डोबे कहता है कि तुम्हारी हेल्प तुकाराम ही कर सकता है पैसा फेंको और जो चाहे काम करवा लो लेकिन कौशल को लाइसेंस के लिए एक भी पैसा उड़ाना चुभ रहा था फिर अब्दुल तुकाराम के एनजीओ पर जाता है वहां उसकी मुलाकात जुबे और सुलेमान नाम के दो लड़कों से होती है अब्दुल कहता है मैं तुकाराम साहब का जन्मदिन मनाना चाहता हूं और उस दिन मैं उन्हें ₹5लाख भी डोनेट करूंगा और इस तरह से अब्दुल का कनेक्शन तुकाराम के साथ बन जाता है कौशल की अब्दुल के साथ दूरियां बढ़ती जा रही थी कार में अब्दुल तुकाराम को 5लाख देता है और कहता है कि मुझे वेंडर लाइसेंस चाहिए फिर तुकाराम अब्दुल को ऑफिसर भराड़े के पास ले जाता है वेंडर लाइसेंस की सभी एप्लीकेशंस इनके पास ही आती थी भराड़े कहता है कि अब्दुल की एप्लीकेशन से पहले 1500 एप्लीकेशन है और उनमें से 800 तो आपकी ही पार्टी में से हैं इतने कंपटीशन में क्या ही कमा लेगा फिर तुकाराम कहता है कि भाई 100 200 होते तो देख लेता अभी इतनी एप्लीकेशन में तुम्हारा मुश्किल हो जाएगा अब्दुल वहां से उठकर आ जाता है
फिर मायूस होकर अब्दुल अपने अड्डे पर जाता है वहां उसका पार्टनर कौशल दारू के नशे में बैठा था वो कहता है कि कभी तुम दरगाह पे कभी तुकाराम कभी पुलिस वालों को खूब पैसा उड़ा रहे हो यह पैसा क्या तुम्हारे अकेले का है जो उड़ाता फिर रहा है अब्दुल कहता है यह आईडिया मेरा ही था अगर लाइसेंस मिल गया तो मेरी अकेले की नहीं बल्कि दोनों की लाइफ सेट हो जाएगी कौशल कहता है कि यह सब मिलकर तुम्हें चुटिया बना रहे हैं और यह बात अब्दुल को चुभ जाती है फिर उन दोनों में हाथा पाई हो जाती है कौशल कहता है कि मेरे बिना तेरी औकात कुछ भी नहीं है फिर अब्दुल कहता है कि तू औकात से अकल नहीं खरीद सकता लेकिन मैं अकल से औकात बनाऊंगा अब्दुल की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही थी कौशल भी उसका साथ छोड़कर चला गया था अब देखते हैं यहीं पर एपिसोड 2 खत्म हो जाता है
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3rd एपिसोड में हम देखते हैं अब्दुल तुकाराम के पास जाता है और उसे कहता है कि आगे इलेक्शन आ रहे हैं टिकट लेने के लिए आपके पास पैसे नहीं है और इंडिपेंडेंट खड़े हो गए तो बहुत सारा पैसा लुटाना पड़ेगा इसलिए आप मुझे लाइसेंस दिला दो इलेक्शन तक जितना कामआऊंगा आधा तुम्हारा फिर वे दोनों यूनाइटेड शक्ति पार्टी हेड ऑफिस में जाते हैं तुकाराम अब्दुल की मुलाकात गरिमा तलपड़े मैडम से करवाता है वो मैडम को फुल स्पोर्ट करने की बात करता है और बदले में लाइसेंस की डिमांड करता है फिर वे दोबारा भराड़े के पास जाते हैं लेकिन अबकी बार उनके पास मैडम गरिमा तलपड़े की सिफारिश थी भराड़े का मुंह उतर गया था क्योंकि उसे खाने को कुछ नहीं मिला था लेकिन सिफारिश तगड़ी थी काम तो करना ही पड़ेगा जो इंसान दूसरों को माफ कर देता है वह आदमी महान बन जाता है इसलिए अब्दुल भी महान बनने के लिए कौशल के पास जाता है और उसे कहता है कि मुझे लाइसेंस मिल गया है तुम चाहो तो अब भी मेरे साथ काम कर सकते हो लेकिन कौशल अपने काम से खुश था इसलिए वह अब्दुल को धक्के देकर बाहर निकाल देता है और कहता है कि हिसाब अब भी बाकी है अब जो कि अब्दुल का लाइसेंस बन गया था तो वो खुल के काम करने लगा पहली बार उसने हालातों को अपने आगे झुकाया था अब उसका धंधा चलने लगा था काम इतना ज्यादा था कि उसने खानापुर से अपने भाई सलीम को भी बुला लिया था तुकाराम के एनजीओ से जुबन और सुलेमान को भी उसने अपने साथ काम करने में लगा लिया अब वे महीने में एक बार की बजाय हर रोज ट्रेन में अपना हाथ साफ करते थे अब गणेश कामले भी उनके साथ मिल गया था अब वे बड़े-बड़े बिल्डरों को माल पहुंचाने लगे थे अब्दुल को समझ थी कि जंगल में शिकार करने वाले सबसे खतरनाक दो ही जानवर होते हैं शेर और लकड़ बग्गगे शेर जो भी खाता है उसका बचा हुआ लकड़ बग्गगा खत्म कर देते हैं इसलिए अब वो सिस्टम के लकड़ बग्गों को भी अपने साथ मिला लेता है क्योंकि जब तक लकड़ बग्गों को खाना मिलता रहेगा वे शेर के वफादार बने रहेंगे
शौकत भाई ने अपना घर अब्दुल की बेटी के नाम कर दिया था इसलिए अब्दुल ने भी एक घर ले लिया और शौकत भाई की बेटी के नाम कर दिया अब अब्दुल ने कार भी ले ली थी कुछ दिन बाद सरकार बदल जाती है मगर उसका रिमोट कंट्रोल मोरे के हाथ में था बस यह समझ लो कि मोरे सरकार का वजीर था जीत की खुशी में पार्टी चल रही थी इसलिए अब्दुल मोरे से मिलने जाता है है अब्दुल को पता था कि सिस्टम में रहना है तो सिस्टम के नीचे ही रहना पड़ेगा वह कहता है कि जितना गरिमा तलपड़े को दिया करता था अब वह सारा आपके पास पहुंच जाएगा अगले सीन में हम देखते हैं कि एक अमीर आदमी के गुजर जाने के बाद उसके दोनों बेटे फैक्ट्री के लिए सरकारी लड़ाई लड़ रहे थे फिर उनमें से एक भाई इमामदार से मिलने जाता है इमामदार जागृति मिल का आधा हिस्सा मांग लेता है फिर वे एक बड़ा वकील करते हैं वो कहता है कि हमें कोर्ट में साबित करना होगा कि 5 साल पहले ही इनके पिताजी ने वो फैक्ट्री इनके नाम कर दी थी अब उनको चाहिए थे 1989 से पहले के स्टैंप पेपर तभी मोरे को याद आता है कि इतना बड़ा रिस्क सिर्फ एक ही आदमी ले सकता है अब्दुल करीम तेलगी अब अब्दुल वे पेपर्स तैयार कर लेता है उनकी कीमत लाखों रुपए में थी भराड़े उसे समझाता है कि इतना बड़ा रिस्क मत लो लेकिन वह कहता है कि हमारे ऊपर इमामदार साहब का हाथ है फिर भराड़े कहता है कि तलपड़े मैडम का क्या हुआ नेताओं से इतनी जल्दी नाते नहीं तोड़ने चाहिए अब्दुल कहता है तलपड़े मैडम चल पड़े लेकिन विधानसभा में तलपड़े मैडम सवाल पूछती है कि सरकारी दस्तावेजों पर जिस वेंडर की मोहर लगी है उसे तो पिछले साल ही लाइसेंस मिला है तो 5 साल पुराने कागजात पर उसकी मोहर कैसे आई वह पूरे मामले की बारीकी से जांच करने की डिमांड करती है
अब यह साबित हो जाता है कि वे पेपर्स नकली हैं इसलिए उसका भाई केस जीत जाता है अब तलपड़े मैडम भराड़े से भी नाराज थी वो कहती है इमामदार को कुछ होगा तो तुकाराम को अब सारा मामला तुम पर आएगा इसलिए तुम सारी बात अब्दुल पर डाल दो अब सिस्टम के सारे लकड़ बग्गगे शेर को समझाते हैं कि तुम्हें ही सारा इल्जाम अपने सिर पर लेना होगा यही तो पॉलिटिक्स है एंड में सब सफेद कपड़े वाले बचकर निकल ही जाते हैं फिर कोर्ट अब्दुल का वेंडर लाइसेंस कैंसिल करके तुरंत जुडिशियस कस्टडी में भेजने का आदेश देती है अब्दुल के हाथों ने जिन-जिन लकड़ बग्गों को खाना खिलाया था वे लकड़ बग्ग अभी भी उसके खाने का स्वाद भूले नहीं थे इसलिए उसे पकड़ कर ले जाने वाले सभी पुलिस वाले एक-एक करके गायब हो जाते हैं फिर गणेश कामले कहता है भैया इधर नहीं जाना हमें तो खिसकना है अब कानून के हाथ अब्दुल को पकड़ने के लिए छोटे रह गए थे लेकिन तलपड़े मैडम संसद भवन में फिर से हंगामा कर देती है और उन पांचों लगड़ बग्गों को डांट पड़ती है और अभी की अभी अब्दुल करीम तेलगी को पकड़ कर लाने का ऑर्डर मिलता है फिर रात को पुलिस अब्दुल करीम तेलगी को पकड़ने उसके घर जाती है ऊपर से ऑर्डर आया था मानना तो पड़ेगा ही वे जबरदस्ती अब्दुल को उठा लेते हैं फिर उसे जेल भेजा जाता है अब सिस्टम में सभी को इन खिलाने वाले हाथों का पता चल गया था इसलिए अब्दुल को जेल में थोड़ा बहुत वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है फिर जेल में अब्दुल की मुलाकात जेके से होती है वो एक मशीन मैकेनिक था वो अब्दुल को एक सिक्का देता है और कहता है कि जब भी आप इसको देखेंगे आपको मेरी याद आएगी आप जब बाहर आओ तो मुझसे मिलने आना साथ मिलकर काम करेंगे 1996 में अब्दुल की रिहाई हो जाती है शौकत भाई अब्दुल को मिलने जाते हैं और कहते हैं कि आज के बाद मेरी बेटी से मिलने की कोई जरूरत नहीं हो सके तो उसे फोन प तीन बार तलाक बोल देना फिर वे उसे कुछ पैसे देकर वहां से चले जाते हैं ताकि अब्दुल अपने गांव जा सके लेकिन अब्दुल को भीख नहीं चाहिए थी वह गांव नहीं जाता बल्कि अपनी पत्नी और बेटी से मिलने जाता है और कहता है कि वक्त बुरा होने से आदमी बुरा नहीं होता फिर वह अपने साथ साथियों को कुछ पैसे देता है और कहता है कि जब धंधा शुरू करूंगा तो फिर से बुला लूंगा उनके साथियों का उसे छोड़कर जाने का दिल ही नहीं था वो सलीम को भी वापिस खानापुर भेज देता है अब सब कुछ खत्म हो गया था अगले दिन जब वह अपनी वाइफ के साथ सब्जी लेने जाता है तो उसके पेजर पर एक मैसेज आता है कॉल मी और जब अब्दुल उस नंबर पर कॉल करता है तो फोन दूसरी तरफ से जेके उठाता है जेके कहता है पैसा बनाना है तो नासिक आ जा फिर जेके अब्दुल को रिसीव करता है और अपने अड्डे पर ले जाता है वो बताता है कि नासिक में जब कोई मशीन खराब हो जाती है तो वे मुझे ही बुलाते हैं जब मैं नासिक प्रेस में मशीन ठीक करने गया था तो मेरी मुलाकात वहां बापट और छतरे से हुई थी उनके पास खतरनाक प्लान है फिर जेके अब्दुल की मुलाकात बापट और छतरे से करवाता है छतरे प्रिंटिंग क्वालिटी चेक करता था वह बताता है कि नासिक प्रेस में बहुत टाइट सिक्योरिटी है बिना परमिशन कोई भी अंदर नहीं जा सकता जो असली स्टैंप पेपर होता है उसका पेपर डिजाइन कोई भी कॉपी नहीं कर सकता इस प्रेस में हर रोज लाखों पेपर्स छपते हैं बस उसी समंदर में से हमें चुल्लू भर पानी निकालना है समझाता हूं कैसे जब पेपर छपते ते हैं तो उसकी क्वालिटी चेक होती है माल दो हिस्सों में बढ जाता है फिर नोट किया जाता है कि कितना माल एक्सेप्ट हुआ कितना माल रिजेक्ट हुआ अब करना यह है कि हम रिजेक्टेड माल में एक्सेप्टेड माल डाल देंगे और आंकड़ा चेंज कर देंगे फिर हर रोज 10000 पेपर चुरा लिया करेंगे अब्दुल पूछता है हर रोज कितना माल रिजेक्ट होता है वे बताते हैं 50 से 60 पेपर फिर अब्दुल कहता है कि बकवास आईडिया है तुम 10000 पेपर रोज चुराओग तो एक ना एक दिन चोरी पकड़ी जाएगी और तुम लोग अंदर जाओगे यह प्लान तभी कामयाब हो सकता है जब प्रेस का सबसे सीनियर ऑफिसर हमारे साथ होगा फिर अगले दिन जेके अब्दुल को पुरानी मशीनों की ऑक्शन में उसी प्रेस में ले जाता है वहां जेके कहते है कि यही है सीनियर ऑफिसर मधुसूदन मिश्रा जाओ कर लो बात लेकिन अब्दुल की नजर तो स्टैंप पेपर छापने वाली पुरानी मशीन पर थी फिर अब्दुल कहता है कि प्लान चेंज हो गया यानी अब वह इस मशीन को यहां से बाहर ले जाने की सोच रहा था ताकि खुद के ही ओरिजिनल स्टैंप पेपर छाप सके और यहीं पर थर्ड एपिसोड खत्म हो जाता है

4rd एपिसोड में हम देखते हैं अब्दुल एक तोहफा लेकर मधुसूदन मिश्रा के घर जाता है लेकिन मधुसूदन मिश्रा कानून की तीसरी किताब थी वह पार्सल को पूरा ठोक बजा कर देखता है और फिर उसको अब्दुल से ही खुलवा है उसमें एक महंगी घड़ी थी मिश्रा जी घड़ी देख ही रहे थे कि अब्दुल वहां से खिसक लेता है घड़ी वाले बॉक्स में अब्दुल करीम तेलगी ने अपना मोबाइल नंबर भी डाला था रात को भोपर और छतरे अब्दुल को बताते हैं कि स्टैंप पेपर छापने वाली मशीन को तीन-चार साल के बाद रिटायर कर दिया जाता है फिर अफसरों के आगे उसके सारे पार्ट्स को अलग-अलग कर दिया जाता है फिर मधुसूदन मिश्रा की निगरानी में सभी पार्ट्स को ऑक्शन में लाया जाता है और अलग-अलग लोगों को बेच दिया जाता है लेकिन जो सबसे जरूरी पार्ट है यानी प्लेट्स वो ऑक्शन में नहीं जाती क्योंकि उनको डिस्ट्रॉय कर दिया जाता है इसलिए भूल जाओ इस प्लान को लेकिन अब्दुल कहता है कि मेरे होते हुए चिंता मत करो फिर अगले दिन अब्दुल के पास मधुसूदन मिश्रा का फोन आता है और वह उसे मिलने के लिए बुलाता है अब्दुल की खुशी का ठिकाना ही नहीं था जब वह अंदर जाता है तो मिश्रा जी उसे कहते हैं कि तुम घड़ी देकर मेरा ईमान खरीदना चाहते हो फिर मिश्रा जी उसे गले से पकड़ लेते हैं और बेइज्जत करके उसे धक्के मारकर बाहर निकाल देते हैं अब्दुल के साथी उसे समझाते हैं कि तुम जेल जाते-जाते बचे हो अब्दुल कहता है यहां हर किसी को कुछ ना कुछ चाहिए किसी को पैसा तो किसी को रुतबा और इज्जत हर इंसान की कोई ना कोई कीमत तो होती ही है अगर पैसा कमाना है तो पहले उसको इज्जत देनी पड़ेगी फिर वह तुकाराम के पास जाता है तुकाराम कहता है कि अगर उसका प्रमोशन करवाना है तो 20-25 पेटी लगेंगी फिर अब्दुल कहता है कि मैं पैसों का जुगाड़ करता हूं आप चार दिन बाद एयरपोर्ट पर आ जाना फिर अब्दुल अपने घर के बाहर बैठ कर अपनी वाइफ के घर से बाहर निकलने का वेट करता है और जैसे ही उसकी वाइफ घर से बाहर जाती है अब्दुल घर में जाता है और वहां से छुपाया हुआ एक बैग निकालता है उसमें उसने इमरजेंसी के लिए कुछ रुपए छुपा रखे थे फिर वो अपने मकान के पेपर्स लेता है और उन्हें एक लाला के पास गिरवी रख देता है अब उसके पास करीब ₹25 लाख हो गए थे फिर वो तुकाराम के साथ दिल्ली
में कैबिनेट मिनिस्टर को मिलने जाते हैं वे कैबिनेट मिनिस्टर से मधुसूदन मिश्रा के प्रमोशन की बात करते हैं लेकिन मिनिस्टर उनको डांट कर भगा देता है है मिनिस्टर का असिस्टेंट पी गुप्ता उन लोगों को अपने रूम में ले जाता है और कहता है कि यह काम मुझ पर छोड़ दो फिर अब्दुल बिना किसी गारंटी के 25 लाख का रिस्क ले लेता है और सारे पैसे कैबिनेट मिनिस्टर के असिस्टेंट पी गुप्ता को देकर आ जाता है इस बात के लिए जेके भी उसे डांटता है लेकिन अब्दुल कहता है पैसा बनाना है तो रिस्क तो लेना ही पड़ेगा तभी अब्दुल के पास पी गुप्ता का फोन आता है और वह खुशखबरी देता है कि प्रमोशन लेटर मिल गया है अब्दुल फिर से मधुसूदन मिश्रा के घर जाता है और उन्हें बधाई देता है लेकिन मिश्रा जी अब्दुल का लाया हुआ सामान डिस्ट बिन में फेंक देते हैं जब मिश्रा जी अपने ऑफिस पहुंचते हैं तो सब लोग उनका स्वागत तालियों से करते हैं और उन्हें बधाई देते हैं अब मिश्रा जी को पता चल गया था कि वह जनरल मैनेजर बन गए हैं मिश्रा जी फिर से अब्दुल को डांटने पहुंच जाते हैं और कहते हैं कि मैंने 10 साल मेहनत की तो भी मुझे प्रमोशन नहीं मिला और एक बदमाश ने एक झटके में मेरी ईमानदारी खरीद ली अब्दुल कहता है आपको जो प्रमोशन मिला है इसके आप हकदार थे जिस सिस्टम ने 10 साल तक आपकी काबिलियत नहीं पहचानी अब आपको उस सिस्टम के साथ रहना है या जिसने एक झटके में आप आपकी काबिलियत पहचान ली उसका साथ देना है अब फैसला आपका है फिर मिश्रा जी घर जाकर डस्टबिन में से वह गिफ्ट उठाकर देखते हैं उसमें जनरल मैनेजर की नेम प्लेट थी जो अब मिश्रा जी ने घर के बाहर लगा ली थी अब मिश्रा जी उनके साथ मिल गए थे और उन्होंने एक सही मशीन को डिसकमिशन कर दिया अब इस मशीन को भी पहले की ही तरह अलग-अलग हिस्सों में नीलाम कर दिया जाएगा यह पार्ट्स उनको मिलेंगे जो सबसे बड़ी बोली लगाएंगे इसलिए सलीम सुलेमान जुबन जेके और अब्दुल इन पांचों के नाम से अलग-अलग कंपनी रजिस्टर करवाई जाती है फिर वे ब्लैंक बीड सबमिट करते हैं ताकि जिसने भी सबसे बड़ी बोली लगाई हो अफसर उससे भी बड़ी बोली खुद लगा ले क्योंकि वो भी अब्दुल के हाथ बिक चुका था फिर उस मशीन के सारे पार्ट्स उन पांचों की कंपनियों को ही मिल जाते हैं यह सारा काम मधुसूदन मिश्रा की देखरेख में ही होता है प्रोसीजर के हिसाब से सारी प्लेट्स को ऑडिटर के सामने ही कट करना पड़ता है लेकिन मधुसूदन मिश्रा असली प्लेट्स की जगह नकली प्लेट्स को डिस्ट्रॉय करवा देता है और असली प्लेट्स को वो अपने घर ले जाता है फिर उस मशीन के सभी अलग-अलग पार्ट्स मुंबई में चाचा की प्रेस में पहुंचा दिए जाते हैं फिर वे भोपर और छतरे की मदद से मशीन को असेंबल कर लेते हैं लेकिन उस सामान में प्लेट्स नहीं थी फिर जब अब्दुल मधुसूदन मिश्रा से बात करता है तो मिश्रा जी कहते हैं कि मुझे उचित कीमत नहीं मिल रही और वो कीमत थी ₹10 लाख फिर अब्दुल कहता है कि ₹10 लाख तो नहीं है लेकिन आप ये हार रख लो जैसे ही पैसा आएगा सबसे पहले आपको ही दूंगा फिर वे उस पेपर में यूज होने वाली इंक का जुगाड़ करते हैं और उसके बाद वे कॉटन बेस्ड पेपर लेने पहुंच जाते हैं इस पेपर का सिर्फ दो ही जगह इस्तेमाल होता था एक तो स्टैंप पेपर में और दूसरा कॉलेज की डिग्री में जब वे पहला पेपर छापक उसकी क्वालिटी चेक करते हैं तो भोपर कहता है बधाई हो आप बाप बन गए स्टम पेपर पैदा हुआ है अब फाइनली अब्दुल ने व काम कर दिया था जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी फिर अब्दुल भराड़े के पास जाता है जेल से आने के बाद वह पहली बार भराड़े के पास गया था अब्दुल कहता है कि मुझे मेरे सभी साथियों के लिए लाइसेंस चाहिए लेकिन भराड़े उससे बात करने में भी डर रहा था फिर अब्दुल उसे दिखाता है कि उसके सभी पुराने साथी आज भी उसी के साथ हैं यानी काम करो तो खुल के करो वरना ना करो अब अब्दुल अपना नया ऑफिस खोल लेता है सभी रिश्तेदार आते हैं शौकत भाई भी आते हैं शौकत भाई अपनी बेटी को कहते हैं कि एक स्टम पेपर बेचकर ₹10 बचते होंगे इसमें ऑफिस खोलने की क्या जरूरत थी लेकिन उनको नहीं पता था कि अब्दुल ने स्टैंप पेपर बेचकर कितना माल जमा कर लिया है अब सुलेमान नई बाइक लेकर आता है फिर अब्दुल उसे धमकता है कि हमें लोगों को अपने ऊपर शक नहीं होने देना हम दौलत के चौकीदार हैं मालिक नहीं अब्दुल कहता है खाली मुंबई से काम नहीं चलेगा अब हमें पूरे इंडिया में पेपर बेचने होंगे अब्दुल का बिजनेस बहुत आगे बढ़ गया था अब उसने खुद का कुबेर का किला बना लिया था अब तो उसने हजारों लोगों को जॉब भी दे दी थी वे स्टैंप पेपर बेचा करते थे अब अब्दुल ने अपने भाई सलीम को कर्नाटक में ऑफिस खुलवा के दे दिया अब यह पैसे कमा नहीं रहे थे बल्कि बना रहे थे अब्दुल भी खुश था और उसके सारे लक्कड़ बग्ग भी खुश थे अब्दुल ने वापस अपना सिस्टम सेट कर दिया था और इस सिस्टम का रिमोट अब अब्दुल के ही हाथ में था लेकिन उसे नहीं पता था कि कर्नाटक में भी बहुत सारे लक्कड़ बगे हैं जो भूखे हैं फिर अब्दुल बेंगलोर जाता है और वहां फहीम शेख से मिलता है जो एक करप्ट मिनिस्टर था मिनिस्टर उसे अपने सभी धंधों में इन्वेस्ट करने को कहता है अब्दुल मान जाता है फिर अब्दुल सलीम को कहता है कि अगर सिस्टम से भिड़ना है तो अपने पास भी जनता की भीड़ होनी चाहिए जिसके पास लोगों की भीड़ होती है उसे कोई भी छू नहीं पाता फिर अब्दुल सलीम को कहता है कि पूरे खानापूर को ले जाकर बाबा अजमेर शरीफ की दरगाह में हाजरी लगा करा और फिर खानापुर की डेवलपमेंट की तरफ ध्यान दे अब वे खानापुर में खुद का ही एक बड़ा घर ले लेते हैं अब शौकत भाई भी इस दुनिया को छोड़कर चले जाते हैं हैं फिर जून 1998 में वे अपने ऑफिस में एक मीटिंग रखते हैं अब्दुल को समझाया जाता है कि अगर और ज्यादा माल बेचना है तो कंपटीशन खत्म करना होगा और उनका कंपटीशन सीधा सरकार से था अब यह सरकार को तो अपने रास्ते से हटाने से रहे फिर अब्दुल मधुसूदन मिश्रा के पास जाता है और उसे यह सरकारी प्रेस बंद करने के लिए कहता है यानी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की सबसे बड़ी प्रेस नासिक प्रेस मधुसूदन गुस्से में कहता है तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है क्या पूरे देश की इकोनॉमी की बैकबोन है यह प्रेस अब्दुल कहता है परमानेंट ना सही मेंटेनेंस के नाम पर कुछ दिन के लिए बंद की जा सकती है एक बार मार्केट में स्टैंप पेपर की किल्लत हो गई तो हमारे ही स्टैंप पेपर बिकेंगे अब अब्दुल ने सीधा सरकार से पंगा ले लिया था और इसी के साथ 4th एपिसोड खत्म हो जाता है

5th एपिसोड में हम देखते हैं नासिक प्रेस में मशीन ठीक करने के लिए इंजीनियर बुलाए जाते हैं अगर मशीन अपने आप खराब हुई होती तो ठीक भी हो जाती लेकिन इस मशीन को खराब किया गया था अब बारी थी माल की यानी कि जो माल ऑलरेडी दूसरे शहरों में जाने के लिए तैयार है उसको कैसे रोका जाए फिर अब्दुल भराड़े को एक फ्लॉपी देता है और उसको आई लव यू कहता है फिर जब ऑफिस जाकर भराड़े उस फ्लफी को कंप्यूटर में लगाता है तो सभी कंप्यूटर्स में आई लव यू नाम का वायरस फैल जाता है अब भराड़े के ऑफिस में भी हाहाकार मच जाता है ऐसा करने के पीछे अब्दुल का मकसद यह था कि कौन से शहर में कितना माल भेजना है ये सारा रिकॉर्ड इन्हीं कंप्यूटर्स में था अब मान लो जहां पर 3000 पेपर्स भेजने थे वहां 300 पेपर्स जाएंगे और जहां 30000 पेपर्स भेजने थे वहां 3000 जाएंगे और फिर माल मिसमैच हो जाएगा तो वापस भराड़े के ऑफिस में आ जाएगा और 20-25 दिन अब्दुल खूब माल छाप सकता था कर्नाटक में सलीम भी खूब माल छाप रहा था फिर अब्दुल उसे फोन करता है और कहता है कि खानापुर में लोगों की खूब भलाई करता जा ताकि आगे जाके हालातों से लड़ना ना पड़े तो यह लोग हमारा साथ देंगे तभी अब्दुल की मशीन बंद पड़ जाती है वर्कर कहता है कि अगर इस मशीन से और काम लिया गया तो पेपर की क्वालिटी खराब हो जाएगी
इसका मतलब अब टाइम आ गया था एक और मशीन बढ़ाने का फिर अब्दुल मधुसूदन मिश्रा के पास 50 पेटी भेजता है और बदले में उनके लिए एक और मशीन का जुगाड़ हो जाता है अब सारे मशीन मिलकर 24 घंटे पैसा छाप रहे थे लेकिन पैसा चीज ही ऐसी है मन में लालच आए बिना रहता नहीं है सुलेमान लालची हो गया था इसलिए वह अब हेराफेरी करने लगा था यह उसका रोज का काम हो गया था उधर कैबिनेट सेक्रेटेरिएट मुंबई में एक कमेटी बिठाई जाती है भराड़े और मधुसूदन मिश्रा से यह जो मिसमैनेजमेंट हुई है इसका हिसाब मांगा जाता है फिर वे उनसे 10 दिन का समय मांगते हैं ताकि सब कुछ पहले जैसे ठीक कर सके उधर हेलो यस खानापुर में लोगों को खुश करने के लिए कभी स्कूल तो कभी शौचालय का उद्घाटन किया जा रहा था लोग वहां पर सड़क बनवाने की डिमांड करते हैं अब्दुल उनको आश्वासन देता है कि बहुत जल्दी ही सड़क बनवा दी जाएगी फिर अब्दुल फरहीन शेख के पास फोन करता है और उसे बताता है कि पूरा खानापुर तो समझो अपने अंडर हो गया अब टिकट देने का इंतजाम करो फरहीन शेख कहता है इलेक्शन तो आने दो देखेंगे फिर अब्दुल कहता है कि हवा बदलने से पहले हमें कुछ लोगों की हवा निकालनी पड़ेगी फिर अब्दुल मुंबई में एसीपी और डीसीपी के साथ भी दोस्ती कर लेता है उधर सुलेमान अब भी अब्दुल को चुना लगा रहा था तभी वहां अब्दुल आ जाता है वह सुलेमान को कहता है कि मेरी कार खराब हो गई थी चलो अड्डे पर चलते हैं अचानक अब्दुल के आ जाने के कारण सुलेमान के रंग उड़ गए थे फिर गुडाउन में जाकर अब्दुल पूछता है कि मैंने तेरे ऊपर भरोसा किया तेरे नाम से लाइसेंस लिया गुडाउन दिया मशीन लगवा कर दी सारे पैसे भी तेरे पास ही थे फिर भी तूने मेरा भरोसा तोड़ दिया फिर सुलेमान कहता है तो क्या हो गया समुंदर से एक कटोरी पानी निकाल लिया तो कोई फर्क पड़ गया तुम कौन सा सारा दिन अच्छे काम करते हो यह बात सुनकर अब्दुल को गुस्सा आ जाता है वो सुलेमान को मार-मार के उसकी सारी चर्बी उतार देता है
जुबन अब्दुल को रोकने की कोशिश करता है लेकिन अब्दुल को पता था कि अगर यह जिंदा बच गया तो बाहर जाकर सारा भंडा फोड़ देगा इसलिए अब्दुल उसको ठिकाने लगा देता है अब सन 2000 का समय था और महाराष्ट्र में डीएसजी पार्टी की सरकार आ गई थी उन्होंने यूनाइटेड शक्ति पार्टी के साथ अलायंस कर लिया था फिर अब्दुल तुकाराम को बधाई देता है तभी अब्दुल को वहां पर नाचते हुए लोगों में से एक आदमी सुलेमान के जैसे लगता है और उसे देखकर अब्दुल की तबीयत खराब हो जाती है फिर उसकी वाइफ उसे डॉक्टर के पास लेकर जाती है डॉक्टर उसे टेंशन ना लेने की सलाह देता है लेकिन इतने में अब्दुल के पास टेंशन भरा फोन आ जाता है दरअसल कुछ गुंडों ने उसके अड्डे पर आकर उसके आदमियों को पीटा और वहां आग लगा दी फिर उसके साथी पुलिस वाले कहते हैं कि जब भी कोई नई पार्टी आती है तो अक्सर ऐसा होता है अभी नए लोगों को खिलाने का वक्त आ गया है फिर अब्दुल पैसों से भरा बैग लेकर यादव के पास जाता है और उनसे खुल के धंधा करने के लिए आशीर्वाद मांगता है अब यादव साहब उसे एक खाली गुडाउन दे देते हैं जेके अब्दुल को कहता है कि ऐसे कई गुडाउन हम खरीद सकते हैं लेकिन आपने यादव से क्यों लिया फिर अब्दुल कहता है सरकार उसकी है तो लोगों की नजरों में हम भी उसके अब यहां हमें तंग करने के लिए कौन आएगा हमें बहुत माल छापना है इसलिए हमें ऐसी और कई जगह लेनी पड़ेगी अब कर्नाटक में भी इलेक्शन होने वाले थे अब अब्दुल की सलीम को इलेक्शन में खड़ा करने की पूरी तैयारी थी इसलिए लोगों से कई तरह के वादे किए जाते हैं कुछ दिन बाद 31 दिसंबर सन 2000 की रात आती है अब्दुल जेके को लेकर नए साल का जशन मनाने डिस्को में जाता है वहां और भी कई छपरी नल्ले बेरोजगार बिजनेसमैन आए हुए थे जो लड़की अब्दुल को पसंद थी फिर अब्दुल उसके ऊपर पैसे लुटाता है जेके को बहुत अजीब लगता है जैसे फर्स्ट टाइम अब्दुल को अजीब लगा था तभी वहां पर बैठा एक छपरी उठता है और जाकर उसी लड़की पर खूब पैसे उड़ाता है
यह बात अब्दुल को जमती नहीं फिर वह और पैसे मांगता है और जाकर उसी लड़की पे उड़ा देता है फिर उन दोनों में पैसे लुटाने का कंपटीशन हो जाता है दूसरी पार्टी भी तगड़ी थी फिर अब्दुल के पैसे खत्म हो जाते हैं वो छपरी अब्दुल को औकात बोलकर छेड़ता है औकात बोलता है फिर जेके अब्दुल को जबरदस्ती वहां से बाहर ले जाता है फिर बाहर जाकर अब्दुल डिस्को के मालिक शटी को फोन करता है उसके बाद अब्दुल फिर से अंदर आता है और छपरी को आवाज देकर कहता है रुक और उसके बाद वह लड़की पर इतना पैसा लुटाता है कि सिस्टम हैंग हो जाता है छपरी को नहीं पता था कि उसका पंगा किससे पड़ गया जेके खड़ा-खड़ा देखता ही रह जाता है उसे पता था कि जो भी हो रहा है सही नहीं है फिर वोह छपरी को आवाज देता है औकात जब सुबह अब्दुल उठता है तो उसका फोन बजता है फोन था मधुकर डोंबे कहता है अब्दुल तू बहुत बड़ा चुटिया है जो बार में एक लड़की के ऊपर 90 लाख उड़ा दिए अब्दुल कहता है किसी ने गलत अफवा उड़ा दी वो लड़की भी रात को अब्दुल के ही कमरे में थी तभी तुकाराम का फोन आता है वो कहता है मेरे पूरे इलेक्शन में 90 लाख खर्च नहीं हुए और तूने एक झटके में लड़की के ऊपर उड़ा दिए तभी रावत का फोन आता है वो कहता है कि पिछला हिसाब फिनिश अब नई डील के अकॉर्डिंग हिसाब होगा तभी जेके का फोन आता है वो कहता है कि सुबह से 50 फोन आ चुके हैं अब यह सभी भूखे लकड़ बग्ग हमें काटने को दौड़ रहे हैं शराब के नशे में अक्सर इंसान को पता नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है और ऐसा ही कुछ अब्दुल के साथ भी हुआ था और इसी के साथ फिफ्थ एपिसोड खत्म हो जाता है
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6th एपिसोड की शुरुआत में साल 2001 आ गया था कर्नाटक में एक कन्नड़ सुपरस्टार जिसका नाम जीवराम था उसका अपहरण हो जाता है इस सुपरस्टार का फैन बेस बहुत तगड़ा था इसलिए कर्नाटक में दंगे होने लगते हैं फिर डाकुओं ने 15 करोड़ की डिमांड की यह एक बहुत बड़ी फिरौती थी और सरकार इसके लिए रेडी नहीं थी डीजीपी मैडम कहती है कि अगर उसे कुछ हो गया तो बड़ी तबाही होगी हमें कोई तो रास्ता निकालना होगा उधर तेलगी ने पिछली रात जो भसर मचाई थी उसके लिए वो टेंशन में था क्योंकि उसका साथ देने वाले सब लोग लालची हो गए थे जेके कहता है हमें पैसा तो देना पड़ेगा क्योंकि वे बदले में प्रोटेक्शन देते हैं अब्दुल कहता है पैसे तो मैं दूंगा लेकिन इन सबको जूती के नीचे ही रखूंगा फिर वो अपने सभी लकड़ बग्गों को फोन करके उनकी कीमत पूछता है कोई 3 लाख तो कोई 2 लाख मांगता है हफ्ते का और अब्दुल इन सब की रिकॉर्डिंग कर लेता है ताकि इन सब को अपनी जूती की नोक के नीचे रख सके
लेकिन मोरे ने ₹30 लाख रुपए मांग लिए थे इन सबको यह नहीं पता था कि यह रकम अब्दुल के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन इस हरकत ने अब्दुल को शाना कर दिया था फिर वो बैंक जाता है और वे सारी रिकॉर्ड की हुई टेप लॉकर में रख देता है और उसकी चाबी जेके को के लिए वहां से चला जाता है तभी कर्नाटक से शेख का फोन आता है अब्दुल पूछता है आपको क्या चाहिए शेख साहब कहते हैं कि सारी बातें फोन प नहीं हो सकती कर्नाटक आ जाओ जब अब्दुल उसके पास जाता है तो वो बताता है कि सुपरस्टार को छोड़ने के लिए चंदन चोर ने ₹15 करोड़ मांगे हैं अब सरकार वह पैसा देगी नहीं भारत में आरबीआई के बाद सिर्फ तुम ही हो जो इतना रुपया निकाल सकते हो अब्दुल कहता है खेल बड़ा है दाम तो मैं लगा दूंगा लेकिन बदले में सलीम के लिए कर्नाटक में मिनिस्ट्री चाहिए शेख को यह सौदा मंजूर नहीं था इसलिए अब्दुल वहां से चला जाता है उसके जाने के बाद शेख राजेश के पास फोन करता है जो कि डीजीपी मैडम और यह जो मंत्री संत्री हैं इनका चेला था शेख बताता है कि तेलगी ने मना कर दिया है रास्ते में सलीम अब्दुल को कहता है कि आपने जो कल हरकत की है उसके बारे में भाभी को भी मालूम हो गया होगा फिर रात को अब्दुल अपने घर जाता है उसकी वाइफ उससे बात नहीं करती फिर जब सुबह वह उठकर देखता है तो उसकी वाइफ अपनी बेटी को लेकर वहां से जा चुकी थी फिर वो अपनी वाइफ के पास फोन करता है उसकी वाइफ कहती है कि आज के बाद हमारे पास फोन करने की कोई जरूरत नहीं है उधर राजेश डिप्टी कमिश्नर अरविंद को अब्दुल करीम तेलगी की फाइल देता है और कहता है कि याद रहे हाथ मरोड़ना है तोड़ना नहीं फिर कमिश्नर रजनीकांत नाम के पुलिस ऑफिसर को बुलाता है और उसे बताता है है कि दो-तीन साल से शहर में नकली स्टैंप पेपर का काम चल रहा है जिसके पीछे अब्दुल करीम तेलगी का हाथ है हमारे सूत्रों ने बताया है कि आज स्टैंप पेपर की डिलीवरी होने वाली है उधर सुलेमान की मां अब्दुल से मिलने जाती है और कहती है कि 7 महीने हो गए वह मुझसे मिलने नहीं आया लेकिन पैसे टाइम से भिजवा रहा है क्या आप उसे बोल देंगे कि उसकी मां को उसकी याद आ रही है अब सुलेमान बेचारा आएगा कहां से क्योंकि उसको तो अब्दुल ने मार दिया था फिर उसे सुलेमान दिखाई देने लगता है अब्दुल की शुगर डाउन हो जाती है और वह बेहोश होकर नीचे गिर जाता है
उधर रात के समय रजनीकांत अब्दुल का एक ट्रक भी पकड़ लेता है जिसमें अनुमान लगाया जाता है कि ट्रक के अंदर 90 लाख के स्टैंप पेपर थे अब यह खबर फैल जाती है और सांसद तक पहुंच जाती है अपोजिशन पार्टी के लीडर अन्ना को कीचड़ उछालने का मौका मिल जाता है और बात बिगड़ जाती है अब्दुल हॉस्पिटल में था तो उसके पास सलीम का फोन आता है वह बताता है कि बेंगलोर में हमारा ट्रक पकड़ा गया तुम्हें पता है ना उसके पीछे किसका हाथ है फिर अब्दुल बेंगलोर पहुंच जाता है वो शेख को लेकर राजेश के पास जाता है अब्दुल राजेश को कहता है कि मुझे मेरे सारे आदमी बाहर चाहिए और एसपी रजनीकांत की लगाम को थोड़ा टाइट करो राजेश कहता है बस 10-15 दिन की बात है मैं तुम्हें क्लीन चीट दिलवा दूंगा फिर अब्दुल उसे ₹1 करोड़ हैंड ओवर कर देता है और कहता है कि यह मेरा छोटा सा योगदान है अब इन पैसों से कन्नड सुपरस्टार जीवराम को भी छुड़ा लिया जाता है फिर वापस बंबे जाकर अब्दुल डॉक्टर अमर बेदी से मिलने जाता है डॉक्टर उसे बताता है कि तुम्हारी टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है यू आर एचआईवी पॉजिटिव अगर तुम इसी तरह से इधर-उधर भटकते रहे तो तुम्हें जल्द ही एड्स भी हो जाएगी यह बात सुनकर अब्दुल टेंशन में आ जाता है फिर वह अपनी छम्मक छल्लो के पास जाता है और गुस्से में उस पर चिल्लाने लगता है वो कहता है तूने मुझे गंदी बीमारी दे दी लेकिन उल्टा वो लड़की उसके सिर पर चढ़ जाती है वो कहती है चला जा यहां से नहीं तो चप्पल से पीटू तूने मेरी लाइफ खराब कर दी तूने मुझे भी यह बीमारी दे दी होगी जाके संभाल अपनी वाइफ को कहीं तूने यह बीमारी उसे भी तो नहीं दे दी फिर जेके उसे समझाता है कि तुझे एक बार तो जाकर भाभी से मिलना चाहिए फिर वह अपनी वाइफ के पास जाता है वो अपनी वाइफ को मनाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन उसकी वाइफ अबकी बार उसकी बातों में नहीं आती फिर वह अपनी वाइफ को कहता है कि अगर तू कहती है तो मैं अजमेर जाकर कसम खा लूंगा कि आज के बाद मैं तुमसे कभी झूठ नहीं बोलूंगा फिर नवंबर 2001 में अब्दुल अपनी वाइफ के साथ अजमेर शरीफ की दरगाह जाता है दूसरी तरफ रजनीकांत अपोजिशन लीडर अन्ना के पास जाता है और उसे बताता है कि मैंने स्टैंप पेपर केस पर पूरी छानबीन करके 26 नामों का पता लगाया लेकिन बदले में उन्होंने मुझे इस केस से हटा दिया अब यह नाम मैं आपको दे रहा हूं शायद आप ही कुछ कर पाओ फिर अन्ना सांसद में जाकर सरकार को धमकी देता है कि अगर जल्द ही कोई कार्रवाई ना हुई तो मैं खुद को जला लूंगा
फिर डीजीपी मैडम कमिश्नर अरविंद को अपने पास बुलाती है और पूछती है कि इन नामों में से कितने लोगों पर कार्रवाई की कमिश्नर चुप रहता है फिर वह कहती है कि यह सबसे आखिरी वाला कौन है अब्दुल करीम तेलगी यह किसी पार्टी का बंदा नहीं लगता उठा लो इसे फिर कमिश्नर यह बात जाकर राजेश को बताता है राजेश कहता है तो इंतजार किसका है उठा लो उसे फिर कमिश्नर खुद अब्दुल को गिरफ्तार करने के लिए अजमेर शरीफ की दरगाह आ जाता है उसे एक बार फिर से उसकी फैमिली के सामने ही गिरफ्तार कर लिया जाता है वहां राजेश भी आया था अब्दुल कहता है ₹15 करोड़ दिए थे मैंने ताकि मुझे कोई हाथ ना लगा पाए राजेश कहता है हमारे पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं है सिर्फ 90 दिन की बात है तब तक अन्ना चुप हो जाएगा और तू भी बेल पर बाहर आ जाएगा जेल में तुझे कोई भी कमी नहीं होने देंगे फिर अब्दुल करीम तेलगी को पकड़कर जेल में ले जाते हैं और इसी के साथ 6th एपिसोड खत्म हो जाती है

7th एपिसोड की शुरुआत जनवरी 2001 से होती है जहां जेके सलीम वकील के साथ बेंगलोर की जेल में जाता है वह अब्दुल को बताता है कि सबको लगता है तुम्हारा धंधा बंद होने की कगार पर है इसलिए सबको अपना-अपना पैसा चाहिए फिर अब्दुल कहता है और ज्यादा माल छापो और सबको ज्यादा रुपया कमाके दो मुझे शेख ने फंसाया है उसका तो मैं कोई और हल निकालूगा फिर अब्दुल शेख पर एलिगेशन लगाता है कि वह भी इस धंधे में मेरे साथ जुड़ा हुआ है अपोजिशन इस बात को खूब उछाल रही हैं वकील आकर बताता है कि शेख की मिनिस्ट्री चली गई है अब स्टेट गवर्नमेंट ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम तैयार की है स्पेशल अपने केस के लिए लेकिन अब्दुल को लगता था कि मुंबई हो या कर्नाटक सारे पुलिस वाले उसकी जेब में हैं फिर डीजीपी मैडम सूर्य प्रताप गहलोत को अपने पास बुलाती है और उसे बताती है कि तेलगी की 90 दिन की जुडिशियस कस्टडी एक हफ्ते में खत्म होने वाली है अब्दुल बाहर नहीं जाना चाहिए और हां शेख से दूर रहना फिर सूर्य प्रताप गहलोत अपनी एक छोटी सी टीम बना लेता है फिर वे अब्दुल से सवाल जवाब करने के लिए कोर्ट की परमिशन मांगते हैं लेकिन उन्हें परमिशन नहीं मिलती फिर सूर्य प्रताप रजनीकांत के पास जाता है रजनीकांत कहता है छोड़ो सर इस केस को वरना आपका भी मेरे जैसा हाल होगा सूर्य प्रताप कहता है मैं छोडूंगा नहीं निचोड़ दूंगा तुम बस यह बताओ कि इतनी जल्दी 26 नामों तक पहुंचे कैसे रजनीकांत कहता है सर 26 नहीं 25 नाम थे अब्दुल करीम तेलगी का नाम तो डीसीपी ने बाद में डाला है अब्दुल का नाम जानबूझकर जोड़ा गया है
फिर सूर्य प्रताप जाता है वकील के पास वकील उसे इनडायरेक्टली रिश्वत ऑफर करता है लेकिन उसे यह नहीं पता था कि सूर्य प्रताप ईमानदार ऑफिसर है सूर्य प्रताप कहता है अब्दुल को बोल देना जब तक नियम कानून से चल रहा हूं चल रहा हूं और एक बार उसके पीछे पड़ गया तो सारे नियम टूट जाएंगे फिर वकील यह बात जाकर अब्दुल को बताता है कि सूर्य प्रताप में बहुत अकड़ है अगर उसके हाथ अपने खिलाफ कुछ भी लग गया तो वह सॉलिड पंचनामा करेगा उधर सूर्य प्रताप जो बाकी के 25 नाम थे उन लोगों के भी पीछे पड़ जाता है लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगता फिर सूर्य प्रताप डीजीपी मैडम के पास जाता है और कहता है कि हमारे पास सफिशिएंट एविडेंस नहीं है तेलगी को बेल मिल जाएगी और जो यह 25 नाम है यह सब फेक हैं इन नामों के कोई आदमी नहीं है मैडम कहती है इसीलिए तो यह केस तुमको सौंपा गया है फिर सूर्य प्रताप जो माल ट्रक में से बरामद हुआ था वो देखने के लिए जाता है और कहता है कि दोबारा से इसका वजन करो देखते हैं कितने का माल है माल 90 लाख का नहीं बल्कि 9 करोड़ का था फिर सूर्य प्रताप मुंबई जाता है सबसे पहले वो अब्दुल की छमिया प्रवीणा के पास और पूछता है कि वह तेरे से क्या-क्या बात करता था प्रवीणा कहती कहती है कि मुझे सिर्फ यह पता है कि उसका शादी के कार्ड छापने का बिजनेस है
उसके अलावा उसके बारे में कुछ नहीं पता फिर वह उस जगह जाता है जहां अब्दुल ने प्रेस लगा रखी थी अंदर अभी भी मशीन चालू थी और पेपर छप रहे थे पुलिस वाले ताला तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करते हैं लेकिन ताला टूटने की आवाज से वहां पर एरिया के लोग इकट्ठे हो जाते हैं और उन सब पुलिस वालों को वहां से भगा देते हैं फिर सूर्य प्रताप उस मोहल्ले के पास पड़ा कचरे का डब्बा चेक करता है कचरे में उसे वेस्ट स्टैंप पेपर मिलते हैं और स्टैंप पेपर में यूज होने वाली इंक का खाली डब्बा भी मिलता है
आज अब्दुल की रिहाई का दिन था लेकिन सूर्य प्रताप पंचनामा करता है और कोर्ट में चार्ज शीट फाइल कर देता है वो जज को बताता है कि सर अब सवाल 90 लाख का नहीं बल्कि 9 करोड़ का है पहले कैलकुलेशन ठीक से नहीं की गई थी अगर इतने रुपए के स्टैंप पेपर किसी सरकारी दफ्तर से चोरी होते तो चोरी अब तक पकड़ी जाती लेकिन यह स्टैंप पेपर चोरी नहीं हुए बल्कि अब्दुल तेलगी की प्रेस में छापे गए हैं एक ट्रक में 9 करोड़ का माल मिला है ऐसे ही कितने ट्रक देश भर के अलग-अलग राज्यों में गए हो होंगे मेरा अनुमान है कि 1 साल में 2500 से 3000 करोड़ के नकली स्टैंप पेपर देश भर में बांट दिए जाते हैं यह कोई फ्रॉड नहीं स्कैम है फिर अब्दुल राजेश के पास फोन करता है और कहता है कि मैं छोटे से लेकर बड़े सबकी जेब भरता हूं और तुम लोग मुझे बेल भी नहीं दिला पाए राजेश कहता है सूर्य प्रताप ने इतना बड़ा आंकड़ा खोला है अब मैं कुछ नहीं कर सकता आंकड़ा बड़ा है तो अब हिसाब भी बड़ा होगा दोबारा जेल जाने के कारण अब्दुल फड़फड़ा रहा था और अपने लकड़ बग्गों को फोन कर रहा था उसका यह फोन सूर्यकांत की टीम टैप कर लेती है फिर सूर्य प्रताप मिनिस्टर के पास जाता है और उन्हें बताता है कि हमने उसके फोन को टैप किया है अब हमें परमिशन चाहिए कि महाराष्ट्र में जाकर छानबीन कर सकें लेकिन मिनिस्टर का पीए राजेश कहता है आपके पास महाराष्ट्र के जितने भी फाइंडिंग्स हैं वो आप हमें दे दीजिए हम यह मुद्दा असेंबली में रखेंगे असेंबली में सबसे ज्यादा मोरे चिल्लाता है और सबसे ज्यादा माल भी इसी ने खाया था वो कहता है कि यह मौजूदा सरकार की नाकामयाबी है जो उनकी नाक नीचे इतना बड़ा स्कैम हो गया अब बात तो सही थी कि महाराष्ट्र में दोनों ही पार्टी वाले अब्दुल के दोस्त थे फिर जादव पुणे के पुलिस कमिश्नर जगदीश सूरी के पास फोन करता है जादव कहता है कि अब्दुल को अपने अंडर कर लो और गले से बांध कर रखो फिर मैं तुम्हारा प्रमोशन करके मुंबई में ले आऊंगा फिर वो डीजीपी मैडम हलानी को बेंगलोर भेजता है वो अब्दुल को कर्नाटक से निकलने में मदद करने के लिए आई थी व अब्दुल की बात जादव के पीए से करवाती है वह कहता है कि हम आपको वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं फिर अब्दुल मैडम को कहता है कि मैं जान गया कि आप पावरफुल हैं लेकिन मैं भी कोई कम पावरफुल नहीं हूं सबसे ज्यादा पावर पैसे में होती है और वो मेरे पास बहुत है आप मुझे यहां से बाहर निकालो आपकी भी सेवा की जाएगी हलानी कहती है कि तुम्हें निकालने के लिए एक गाड़ी भरकर स्टैंप पेपर लगेंगे फिर उसके जाने के बाद अब्दुल रावत के पास फोन करता है और पूछता है कि यह हलानी कौन है रावत कहता है कि वह एक नंबर की हारामी औरत है है तुझे वहां से सिर्फ वही निकाल सकती है
फिर पुणे हाईवे के पास पुलिस वालों को एक स्टैंप पेपर से भरी हुई कार मिलती है फिर जगदीश सुरी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सबको बताता है कि हम ने एक स्टैंप पेपर से भरी हुई गाड़ी पकड़ी है हमें शक है कि इस केस में अब्दुल करीम तेलगी कनेक्टेड है अब सूर्य प्रताप भी एक रिकॉर्डिंग सुन रहा था जिसमें अब्दुल किसी को बोल रहा था कि एक बार महाराष्ट्र आने दो वनटू का फर नहीं बल्कि टू का 400 बना के दूंगा इसी के साथ सेवंथ एपिसोड खत्म हो जाता है
8th एपिसोड में हम देखते हैं कि सूर्य प्रताप मिनिस्टर के पास जाता है और कहता है कि महाराष्ट्र की सरकार जोर लगा रही है कि वे तेलगी को निकालकर महाराष्ट्र ले जाए लेकिन हम ऐसा नहीं होने दे सकते फिर मिनिस्टर कहता है कि आप यह कैसेट हमारे पास छोड़ दीजिए बाकी का काम हम संभाल लेंगे फिर राजेश मिनिस्टर को कहता है कि हमें कुछ करना होगा ताकि तेलगी कर्नाटक से बाहर ना जा पाए फिर असेंबली में कर्नाटक का मंत्री प्रस्ताव रखता है कि तेलगी के साथ महाराष्ट्र के कई मंत्री जुड़े हुए हैं इसलिए मैं गुजारिश करता हूं कि तेलगी को महाराष्ट्र ना भेजा जाए फिर सूर्य प्रताप तेलगी से मिलने के लिए जेल जाता है और उससे सवाल करता है कि आप इस व्यवसाय में कब से हैं जब उन्हें सही जवाब नहीं मिलता तो पुलिस वाले टाइम बे टाइम तेलगी को सवाल-जवाब के लिए तंग करने लगते हैं अब दिन हो या रात उसे बार-बार यही सवाल पूछे जा रहे थे तेलगी कहता है कि आप कितनी भी कोशिश कर लीजिए मेरी तकदीर बदलने में आपको सालों लग जाएंगे अब महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकार तेलगी को लेकर एक दूसरे के साथ भिड़ गई थी और दूसरी तरफ दोनों स्टेट की रूलिंग पार्टी 2004 में होने वाले इलेक्शन के लिए एक दूसरे के साथ महागठबंधन बनाने में जुटी थी अब्दुल वकील को बुलाता है और कहता है कि तीन महीने से ज्यादा हो गए हैं मैं बाहर आना चाहता हूं कुछ भी करके मुझे बाहर निकालो फिर वकील देव साहब के पास आने वाले इलेक्शन के लिए मिठाई पहुंचाता है कर्नाटक में राजेश मंत्री शशिधर को कहता है कि अब शेख को सूली पर चढ़ाने का समय आ गया है अब फाइनली शेख अंदर और अब्दुल कर्नाटक की जेल से बाहर आ गया था जब यह बात सूर्य प्रताप को पता चलती है तो वह जेल में आकर उछल कूद करता है मैडम हलानी कहती है कि कोर्ट का ऑर्डर है पूछताछ के लिए महाराष्ट्र लेकर जा रहे हैं फिर अब्दुल सूर्य प्रताप को कहता है कि सर आपने सही सुना था मैं पैसे कमाता नहीं बनाता हूं अब तेलगी उनकी नाक नीचे से निकल जाता है और सूर्य प्रताप की हेकड़ी धरी की धरी रह जाती है
अब्दुल को पुणे की सेंट्रल जेल में पहुंचा दिया जाता है रात को जब अब्दुल खाना खा रहा था तो पुलिस वाले आकर उसे धोते हैं पुलिस वाले पूछते हैं बता तुम्हारी कितनी बड़ी सिंडिकेट थी अब्दुल कहता है जाकर जादव से पूछ पुलिस वाले कहते हैं अगर किसी मंत्री का नाम लिया तो हर रोज आकर तुझे ऐसे ही मारेंगे फिर अब्दुल वकील से पूछता है कि यह क्या हो रहा है दो पुलिस वाले मुझे मार कर गए हैं वकील बताता है कि उन्होंने अपने दो वेयरहाउस पर रेड भी मारा है अब यह सब अपने हिसाब से काम कर रहे हैं जादव सूरी हलानी इन सब का इरादा अब तुझे जेल में ही सुली चढ़ाने का है अगले दिन वे पुलिस वाले फिर से आते हैं और अब्दुल को मारते हैं फिर अब्दुल कहता है मारने आए हो मुझे मारो सालो एड्स है तुझे एक पप्पी ले लूंगा तो तुमको भी एड्स हो जाएगी आओ किधर भाग रहे हो अब्दुल भी एक नंबर का हरामखोर था अब वो अपने तेज दिमाग के घोड़े को दौड़ते है
अब उसके मुंबई के लक्कड़ बग्गगे उसे बंबे लाने की प्लानिंग कर रहे थे क्योंकि उन्हें पता था कि हलानी उसे पीट-पीट कर मार डालेगी अब्दुल के कहने पर वे सुलेमान के मर्डर का इल्जाम अब्दुल करीम तेलगी पर लगा देते हैं अब उसे ट्रायल के लिए मुंबई लाने का ऑर्डर मिल जाता है अब फाइनली उसके खुद के लक्कड़ बग्गगे उसे पुणे से मुंबई ले जाने के लिए आ गए थे अब वहां पर हलानी आ जाती है और उछल कूद दिखाती है अब तेलगी अपना दिमाग चलाकर हलानी की नाक नीचे से निकल गया था अब्दुल को पुलिस स्टेशन में 15 दिन की कस्टडी मिलती है कोर्ट में जब जज साहब उससे पूछते हैं कि क्या तुम अपना जुर्म कबूल करते हो तो अब्दुल मना कर देता है फिर रावत उसे उसकी वाइफ और बेटी से मिलने के लिए भेजता है नफीसा उसे घर के अंदर नहीं आने देती क्योंकि अब्दुल के कारण उसकी भी जिंदगी खराब हो गई थी फिर वो अपनी बेटी को कहता है कि मम्मी का ख्याल रखना और पढ़ाई पर ध्यान देना सांसद में मोरे फिर से सवाल उठाता है कि पुलिस अपनी इन्वेस्टिगेशन क्यों नहीं कर रही क्या सरकार अब्दुल के साथ मिली हुई है फिर खाली दिखावे के लिए जाधव इन्वेस्टिगेशन शुरू करवाने का फैसला लेता है
अब अब्दुल करीम तेलगी कभी भी अंदर से बाहर और बाहर से अंदर आ जा सकता था वापस अपने शहर आकर अब्दुल खुश था इसीलिए वो पार्टी करता है उसकी पार्टी में उसके सारे लक्कड़ बग्ग आए थे उसके साथी उसे बताते हैं कि जाधव ने एक टीम बनाई है और तुम्हारा केस प्रमोद जयसिंह को दिया है और उसको बताया गया है कि तुम्हारा काम है कुछ भी काम ना करना अब्दुल को प्रमोद जयसिंह की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी और यही उसकी सबसे बड़ी गलती होने वाली थी अब वह खुद को मुंबई का किंग समझने लगा था क्योंकि मुंबई के सारे करप्ट पुलिस वाले और मंत्री संत्री सब उसके साथ थे उस रात वे खूब मौज मस्ती करते हैं
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9th एपिसोड में देखते हैं कि कहीं ये उसकी आखिरी मौज मस्ती तो नहीं थी अब्दुल स्टैंप पेपर की खुशबू सूंघने के लिए तरस गया था इसलिए वह अपनी प्रेस में जाता है और वहां काम करने वाले सभी वर्कर्स को उसके गैर हाजिरी में में भी मशीन रुकने नहीं दी उसके वर्कर्स और मोहल्ले वाले सब अब्दुल को दोबारा काम पर देखकर खुश होते हैं उधर जयसिंह को अपनी नई एसआईटी टीम मिल गई थी और उसकी टीम में सब लोग बूढ़े शेर थे बिना दांत वाले जयसिंह को अब्दुल की जो फाइल मिली थी उसमें सिर्फ चार पेज थे तभी उसके साथी बताते हैं कि हम लोगों को वो केस दिया जाता है जो कभी सॉल्व ही ना करना हो फिर जयसिंह से मिलने के लिए सूर्य प्रताप आता है वो जयसिंह को बताता है कि पूरे सिस्टम में कोई भी नहीं चाहता कि हम यह केस सॉल्व करें जयसिंह कहता है सर कुछ भी हो जाए मैं यह केस सॉल्व करके ही रहूंगा फिर सूर्य प्रताप उसे चार फाइलें देता है जिसमें उसकी सात महीने की मेहनत थी फिर जयसिंह अपने बिना दांत वाले शेरों के पास जाता है और उनको सूर्य प्रताप की दी हुई फाइलें देकर कहता है बिना दांत वाला शेर शिकार को खा नहीं सकता लेकिन उसे मार तो सकता है फिर वे बूढ़े शेर नासिक प्रेस में जाकर मधुसूदन मिश्रा को घेर लेते हैं मिश्रा जी के पास उनके सवालों का कोई भी जवाब नहीं था फिर वे जाते हैं भराड़े के पास और सवालों की झड़ी लगा देते हैं फिर जयसिंह शिंदे से जाकर पूछता है कि पुलिस को कैसे पता चला इस केस में तेलगी इवॉल्व है दूसरी तरफ अब्दुल खानापुर अपनी मां से मिलने जाता है पुलिस वाले उसके साथ ही जाते हैं क्योंकि ऑफिशियल तो वह एक कैदी था फिर वहां वह अपनी पत्नी और बेटी से मिलता है फिर सलीम अब्दुल को अपने फ्यूचर पर डिस्कस करने के लिए घुमाने ले जाता है अब्दुल कहता है कि अपना फ्यूचर सेट है सारा सिस्टम अपनी जेब में है अपने को कोई भी हाथ नहीं लगा सकता
लेकिन सलीम पूछता है कि मेरे फ्यूचर के बारे में क्या मुझे 5 हजार भी चाहिए होते हैं तो मुझे आपसे मांगने पड़ते हैं जब तक यह नाव चल रही है चल रही है कल को यह नाव डूब गई तो मैं क्या करूंगा तुम्हारे साथ मैंने भी मेहनत की है मुझे उसकी कीमत चाहिए फिर अब्दुल उसकी चप्पल से पिटाई करता है जिस हलवे के एक चम्मच के लिए अब्दुल तरसा करता था अब वैसा ही हलवा वह पूरे गांव में बटवाता है फिर वह अनाउंस करता है कि जिसको जो भी चाहिए मांग लो आज सबकी इच्छा पूरी होगी लेकिन उसका भाई इस बात से नाखुश था अब्दुल के साथ उसके लकड़ बग्गगे भी चार दिन से पुलिस स्टेशन से गायब थे और जयसिंह उनको चार दिन से ढूंढ रहा था फिर वो मैडम हलानी से पूछताछ करने जाता है और उसके बाद जाता है वह जगदीश सूरी के पास जयसिंह की इन्वेस्टिगेशन के कारण अब जादव भी परेशान हो गया था फिर वह जयसिंह से मिलने के लिए जाता है और उससे पूछता है कि अब तक उसने क्या किया जयसिंह बताता आता है कि हवलदार से लेकर कमिश्नर तक और कुछ आपके साथी भी सब तेलगी से मिले हुए हैं
फिर मुद्दे से भटकाने के लिए मुंबई में ब्लास्ट कराए जाते हैं ताकि तेलगी का केस ठंडा हो जाए फिर जयसिंह सूर्य प्रताप से मिलता है और उसे बताता है कि जब तक तेलगी महाराष्ट्र में है उसको कोई छू भी नहीं सकता क्योंकि इस चोर ने पुलिस वालों को सोने की हथकड़ी पहना रखी है हमें उसका एड्रेस चेंज करना होगा फिर जयसिंह और सूर्य प्रताप अब्दुल को अनऑफिशियली उसके घर से उठा लेते हैं महाराष्ट्र की पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगता फिर सीपी जगदीश सूरी सूर्य प्रताप से पूछता है कि यह तुम लोग क्या कर रहे हो सूर्य प्रताप कहता है सर आप मीडिया वालों को ना तो यह कह सकते हो कि हमने जेल ब्रेक करके तेलगी को उठाया है और ना ही आप यह कह सकते हो कि हमने उसको उसके घर से उठाया है दोनों ही सूरत में उंगली आपके ऊपर उठेगी तेलगी को अनऑफिशियली कर्नाटक पहुंचा दिया जाता है
संजय सिंह यह एक ईमानदार रिपोर्टर है इसके पास एक अज्ञात नंबर से किसी अज्ञात आदमी का फोन आता है और इसको तेलगी के रिलेटेड एक फाइल देता है फिर संजय सिंह उस पर रिसर्च करके अपने एडिटर से सीपी सूरी का इंटरव्यू लेने की परमिशन मांगता है इंटरव्यू शुरू तो होता है मुंबई ब्लास्ट से लेकिन खत्म होता है स्टैंप पेपर पर संजय सिंह बताता है कि प्रमोद जयसिंह की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में छोटे से लेकर बड़ा पुलिस वाला सब अब्दुल करीम तेलगी से मिले हुए हैं इस घोटाले में कई मंत्री भी शामिल हैं यह बात सुनकर सबको दस्त लग जाते हैं मोरे सदन में चिल्लाता है कि अगर इस केस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मैं यहीं अनशन पर बैठ जाऊंगा फिर वकील आकर अब्दुल को बताता है कि अब मुंबई से कोई भी तुम्हारी हेल्प नहीं करेगा अब अपनी धोती बचाने के चक्कर में जाधव सीपी जगदीश सुरी को भेजकर खुद के ही एक गोडाउन पर रेड डलवा आता है जो उसने तेलगी को दे रखा था उसमें 2000 करोड़ के स्टैंप पेपर पाए जाते हैं अब पुलिस की भी नाक बच गई थी सीपी सूरी इंटरव्यू देते हैं कि अब महाराष्ट्र पुलिस और कर्नाटक पुलिस इस केस पर मिलकर काम करेगी जब यह बात अब्दुल को पता चलती है तो वह उदास होने की बजाय खुश हो जाता है और कहता है कि सबकी फटी पड़ी है यह सोचकर कि मेरे मुंह से किस-किस के नाम निकलेंगे और यहीं पर नाइंथ एपिसोड खत्म हो जाता है
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10th एपिसोड में हम देखते हैं कि काफी दिनों से स्टैंप पेपर केस में कोई भी खास हलचल नहीं हुई थी इसलिए एक जानेमाने सोशल एक्टिविस्ट दत्ता दादा ने 2003 में एक पीआईएल फाइल कर दी और कहा कि मैं आम जनता का पैसा किसी और को खाने नहीं दूंगा जितने भी लोग तेलगी के साथ जुड़े हैं सबको सजा दिलवाऊंगा अब जगदीश सूरी को भी चिंता थी कि रिटायरमेंट से पहले उसके ऊपर कोई एलिगेशन ना लग जाए फिर पेपर में न्यूज़ आती है यह न्यूज़ तेलगी पढ़ लेता है फिर वह इंस्पेक्टर डोंबे के पास फोन करता है डोंबे कहता है जयसिंह किस-किस को गिरफ्तार करेगा तुम चिंता मत करो कुछ भी नहीं होने वाला डोंबे ने जयसिंह को जितना भी आंका था कम ही आंका था जयसिंह अब्दुल करीम तेलगी के सभी लकड़ बग्गों को गिरफ्तार कर लेता है जिसमें मैडम हलानी मधुसूदन मिश्रा और सीपी जगदीश सूरी भी शामिल थे अब कर्नाटक सरकार को भी टेंशन होने लगी थी क्योंकि वहां भी तेलगी के कुछ लकड़ बग्ग थे वकील अब्दुल को जाकर बताता है कि मैंने मशीनें कहीं और शिफ्ट करवा दी हैं जेके और सलीम छुपे हुए हैं अब्दुल कहता है कि अब मुझे यह साबित करना होगा कि यह सब मैंने अकेले नहीं किया कुछ इंपोर्टेंट लोग हैं जिन्होंने मेरे साथ मिलकर काम किया है ताकि फोकस सिर्फ एक मछली पर ना आए बल्कि पूरे तालाब पर आए
लेकिन इंडिया की सच्चाई यह है कि पैसा चाहे हार जाए पावर कभी नहीं हारती फिर अब्दुल की मां उसके पास फोन करती है और कहती है कि बेटा तूने पैसा तो बहुत कमा लिया लेकिन बदनामी उससे भी ज्यादा कमा ली मुझे मेरा वही पुराना अब्दुल लौटा दे अब पुलिस नारको टेस्ट करवाने का प्लान बना रही थी जो अब तक इंडिया में दो या तीन बार ही किया गया था यह पुलिस की नेक्स्ट लेवल इन्वेस्टिगेशन थी अकॉर्डिंग टू रूल किसी की मर्जी के बिना उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जा सकता था वकील अब्दुल को कहता है कि तुम पेपर पर साइन मत करना फिर सूर्य प्रताप नार्को टेस्ट के पेपर लेकर अब्दुल के पास जाता है अब्दुल के दिमाग में पता नहीं क्या प्लानिंग चल रही थी वह पेपर पर साइन कर देता है अब्दुल आदमी जरूर छोटा था लेकिन उसकी कहानी बहुत बड़ी थी जो अभी खत्म नहीं हुई थी दिसंबर 2003 में अब्दुल का नारको टेस्ट किया जाता है उस टेस्ट में उसके साथी पॉलिटिशियन का नाम पूछा जाता है अब्दुल जाधव शेख और धूमल का नाम लेता है और बताता है कि अब यह लोग मुझे मरवाने की कोशिश करेंगे अब यह वीडियो फुटेज हर टीवी चैनल की न्यूज़ बन जाती है वकील इंटरव्यू देता है कि अब्दुल तो एक छोटा सा प्यादा है असली महारथी तो पॉलिटिशियन हैं अब 2 साल बीत जाते हैं अब्दुल की मां का देहांत हो जाता है सलीम अब्दुल को कहता है कि मां ने बहुत इंतजार किया तेरा तुझे तरसती हुई ही चली गई फिर सलीम अब्दुल से मयत का खर्चा मांगता है और कहता है कि मैंने बहुत खर्चा किया है इस पर अब्दुल फिर से उसे पीट देता है क्योंकि उसके काम ही मार खाने वाले थे
मार्च 2005 में अब्दुल सूर्य प्रताप को मिलने के लिए बुलाता है और कहता है कि मैं एक किताब लिखना चाहता हूं जिसमें हर उस इंसान का जिक्र होगा जिसको आप पकड़ना चाहते हैं उनका नाम पता और सबूत सब कुछ मेरे पास है अब कर्नाटक के पॉलिटिशियन को भी खतरा हो गया था फिर वे एक गेम खेलते हैं वे भारत के अलग-अलग राज्यों से अब्दुल के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाते हैं मामला पहुंचता है सुप्रीम कोर्ट के पास और कोर्ट का ऑर्डर आता है कि यह केस अब स्टेट एजेंसी नहीं बल्कि सेंट्रल एजेंसी संभालेगी जैय सिंह और सूर्य प्रताप से यह केस वापस ले लिया जाता है 2007 में स्टैंप पेपर पर सुनवाई होनी थी वकील बताता है कि वे अब आपकी पत्नी नफीसा की गवाही लेने वाले हैं फिर पुणे कोर्ट में नफीसा को लाया जाता है अब्दुल अपनी बेटी और पत्नी से मिलता है नफीसा कहती है कि मैंने तुम्हारी टूटी हुई चप्पल देखकर तुमसे शादी की थी तब तुम्हारे पांव जमीन पर थे फिर वह अब्दुल को कोसती है और और कहती है कि अगर तुम सब कुछ ठीक करना चाहते हो तो खत्म कर दो यह सब कुछ तुमने मेरी जिंदगी तो खराब कर दी कम से कम अपनी बच्ची की जिंदगी तो खराब होने से बचा लो
फिर अब्दुल कोर्ट में बयान देता है this whole scame was deside and exiguate by me इस स्कैम के लिए मैं अकेला ही जिम्मेदार हूं नारको टेस्ट जो मेरे ऊपर किया गया था वो फेक था और उस टेस्ट में मैंने जिन-जिन लोगों के नाम लिए थे मैं उनसे कभी मिला ही नहीं अपनी वाइफ के कहने पर अब्दुल ने जुर्म कबूल कर लिया था फिर संजय सिंह उससे पूछता है कि आपने किसी का नाम क्यों नहीं लिया अब्दुल कहता है कि इस सिस्टम से लड़ते-लड़ते मुझे सिस्टम से प्यार हो गया था बस इसीलिए मैंने सिस्टम के किसी बंदे का नाम नहीं लिया 10 साल बाद 23 अक्टूबर 2017 को बेंगलोर की जेल में अब्दुल बेहोश पाया गया फिर उसे हॉस्पिटल एडमिट कराया गया अब वह हर पल अपने बीते हुए समय को याद करता था
हर वह इंसान जिसने उसके अच्छे बुरे समय में उसका साथ दिया वह पल-पल उन्हें याद करता था फिर उसी हॉस्पिटल में ही अब्दुल करीम तेलगी की मौत हो जाती है 30000 करोड़ का स्कैम करने वाला खाली हाथ अपने अंतिम सफर पर निकल पड़ता है कुछ दिन बाद वकील और जेके अब्दुल की वाइफ नफीसा के पास जाते हैं वे उसे अब्दुल की खरीदी हुई प्रॉपर्टी और उसके बैंक अकाउंट डिटेल्स सब कुछ नफीसा को सौंप देते हैं फिर दिसंबर 2017 में अब्दुल की वाइफ अब्दुल के कमाए हुए काले पैसे से खरीदी हुई प्रॉपर्टी सरकार को सरेंडर कर देती है 1998 से लेकर 2002 के बीच स्टांप पेपर्स की मात्रा को देखते हुए फाइनेंस मिनिस्टर ने सभी स्टम पेपर्स को इलीगल घोषित कर दिया अब्दुल ने किसी की जिंदगी खराब नहीं की थी किसी का घर नहीं उजाड़ा था जो भी पैसा कमाया गवर्नमेंट से कमाया था उसने किसी आम इंसान को नहीं लूटा था जैसे गवर्नमेंट लूट रही है
हालांकि यह पैसा उसका नहीं था यह पैसा देश की जनता का था वो पैसा जो अब्दुल ने कमाया गरीबों की वेलफेयर स्कीम में लग सकता था स्कूल कॉलेज और हॉस्पिटल बन सकते थे अब्दुल झुग्गी में पैदा हुआ उधर ही बड़ा हुआ दूसरों का झूठा खाना खाया ट्रेन की पटरी पर हकता था जिस सिस्टम ने उसे गरीब बनाकर रखा था उसी सिस्टम को जेब में करके अब्दुल ने अपनी गरीबी मिटाई अगर अब्दुल इस सिस्टम को नहीं तोड़ता तो यह सिस्टम कब का अब्दुल को तोड़ चुकी होती दोस्तों मेरा मानना है कि पैसा कमाओ खूब पैसा कमाओ लेकिन सही तरीके से मैं किसी स्कैम या फ्रॉड को प्रमोट नहीं करता अगर आपके पास परिवार हैं और अच्छे दोस्त हैं तो आप दुनिया के सबसे अमीर इंसान हैं क्योंकि अंत समय में आपके साथ रिश्ते खड़े होते हैं पैसा नहीं
यह स्टोरी सच्ची घटना पर आधारित थी आप इसे शेयर कर सकते हैं ताकि आपके दोस्तों और आपके रिश्तेदारों को भी पता चले कि फ्रूट बेचने वाले ने किस तरह से पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया था
तो फ्रेंड्स अगर आप मूवी देखने के शौकीन है या फिर मूवी को देखने पहले से मूवी की स्टोरी को जानना चाहते हैं या फिर मूवी आपके लिए है या नहीं है या आपके पैसे कहीं वेस्ट ना हो तो हमारे इस चैनल पर आपको इसी तरह के वीडियो मिलते रहेंगे अगर यह रिव्यू आपको पसंद आया हो तो इस Blog को लाइक करें अगर आपने इस Web Series को देख लिया है तो हमें कमेंट करें कि आपको यह Web Series कैसी लगी और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि हमारे आने वाले मूवी रिव्यू के वीडियो सबसे पहले पहुंचे आप तक तो फ्रेंड्स मिलते हैं नेक्स्ट Blog में फिर किसी और धमाकेदार मूवी के रिव्यु के साथ तब तक के लिए आप हमें दें इजाजत धन्यवाद
3 घंटे 1 मिनट की BIOGRAPHY, CRIME और DRAMA वेब सीरीज Scam 2003 The Telgi Story 1 SEPTEMBER 2023 को Hindi, Tamil, Marathi, Telugu, Bengali, Kannada, और Malayalam लैंग्वेज में SONY LIV पर एक्सट्रीम कर दी गई थी
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इस वेब सीरीज मैं तेलगी के कैरेक्टर को जो प्ले कर रहे हैं उनका नाम Gagandev Riar है इनके अलावा और भी कलाकार इस वेब सीरीज में दिखाई देंगे
इस इस वेब सीरीज में वॉल्यूम वन में 10 एपिसोड है इस वीडियो में हम वॉल्यूम वन के 10 एपिसोड को कभर करेंगे
यह वेब सीरीज हमें साल 2003 में स्टांप पेपर स्कैम हुआ था वह स्कैम कैसे हुआ था इस वेब सीरीज के द्वारा आज हम आपको इस वेब सीरीज के टोटल 10 एपिसोड को कर करेंगे यह स्कैम कोई छोटा-मोटा स्कैम नहीं था बल्कि 30 हजार करोड़ का स्कैम था जो एक फ्रूट बेचने वाले ने किया था कोई भी स्कैम यूं ही एक झटके में नहीं हो जाते इनको प्लान करने में कई लोगों की मेहनत और कई साल लग जाते हैं तब जाकर एक स्कैम होता है 2003 में इस स्कैम का पर्दाफाश होने के बाद जिसने यह स्कैम किया यानी अब्दुल करीम तेलगी उसे हॉस्पिटल में सोडियम पैथॉल का इंजेक्शन लगाकर उसका नारको टेस्ट किया है और उससे पूछा जाता है कि इस स्कैम में उसके साथ कौन-कौन जुड़ा था फिर अब्दुल यह कहानी कैसे शुरू हुई वह बताता है
1982 में अब्दुल करीम तेलगी कर्नाटक के एक गांव खानापुर के आसपास आने वाली ट्रेनों में फ्रूट बेचा करता था उसके फ्रूट बेचने का अंदाज सबको पसंद आता था उसी ट्रेन में शौकत भाई भी बैठे थे उनको भी अब्दुल का अंदाज पसंद आया इसलिए उन्होंने अब्दुल को अपना एड्रेस दिया और मुंबई आने को कहा उन दिनों अब्दुल खानापुर गांव की झोपड़पट्टी में रहा करता था जगह जरूर छोटी थी लेकिन उसके ख्वाब बहुत बड़े थे इसलिए वो अपनी मां से इजाजत लेकर मुंबई पहुंच जाता है पहुंच गया शौकत भाई के पास उसे वक्त मुंबई का नाम बंबई हुआ करता था बंबई में पांव रखते ही उसमें पॉजिटिव एनर्जी आ गई थी फिर अब्दुल शौकत भाई के पास जाता है उन दिनों शौकत भाई के कमरे और तिजोरी दोनों ही खाली थी फिर अब्दुल ने अपना दिमाग चलाया और विजिटिंग कार्ड को हर पान बीड़ी वाले और टैक्सी वाले को बांट आया और साथ में उनको कमीशन का भी लालच दे दिया अब धंधा चार गुना हो गया इसलिए अब्दुल की इज्जत और पगार दोनों डबल हो गए उन दिनों अब्दुल का लक बड़ा ही सॉलिड चल रहा था शौकत भाई की बेटी नफीसा के साथ अब्दुल का टांका भिड़ा और उन दोनों का निकाह हो गया फिर अब्दुल के सपने और भी बड़े हो गए और वह इंडिया से बाहर गल्फ में काम करने चला गया फिर 7 साल बाद उसे अपने घर परिवार की याद सताने लगी इसलिए वह अपना तामझाम लेकर वापस इंडिया आ गया अब इंडिया में उसने कबूतरबाजी का धंधा शुरू कर दिया
कबूतरबाजी हम उसे कह रहे हैं जिसमें नकली कागजात पासपोर्ट बनाकर लोगों को विदेश भेजना लेकिन यह धंधा भी ज्यादा चल नहीं पाया और अब्दुल को पुलिस पकड़ कर ले गई उनका केस आया इंस्पेक्टर मधुकर डोंबे के पास उन्होंने अब्दुल की अच्छी सेवा पानी की फिर उसको लोकप में बंद कर दिया गया वहां उसकी मुलाकात कौशल झावेरी के साथ हुई उसका यहां पर रोज का आना जाना था उसका मानना था कि डांस बार हो या पुलिस स्टेशन एक बार जो यहां आ जाए वो बार-बार आता ही रहता है फिर शौकत भाई अब्दुल की जमानत करवाते हैं
घर जाकर अब्दुल अपनी सफाई देता है कि मैं तो लोगों का भला ही कर रहा था जो बेचारे अपना भविष्य बनाने वहां जाना चाहते थे और जिनके पास ज्यादा पैसे भी नहीं है मैं उनको किस्मत आजमाने का मौका दे रहा था फिर शौकत भाई कहते हैं दायरे में रहकर काम करो आइंदा से मुझे कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने ना पड़े अब्दुल को आगे कुछ भी करने के लिए पुलिस रिकॉर्ड में से अपना नाम हटवाना होता है इसलिए वह एडवोकेट गणेश कांबले के पास जाता है इस एडवोकेट के बारे में अब्दुल को कौशल झावेरी ने बताया था व कहता है इंस्पेक्टर मधुकर डोंबे को रिश्वत खिलानी पड़ेगी फिर अब्दुल अपना दिमाग चलाता है और गणेश कामले को कहता है कि आप इंस्पेक्टर को अपनी जेब से रिश्वत दें और समझ लो कि यह आपने मुझ पर इन्वेस्ट किया है बदले में मैं आपके पास बहुत सारे क्लाइंट लेकर आऊंगा गणेश कामले अब्दुल की बातों में आ गया कुछ दिन बाद अब्दुल शौकत भाई के होटल की रिसेप्शन पर बैठा था तभी उससे मिलने के लिए कौशल आया वो कहता है अगर खुद के पैसे कमाना चाहते हो तो चलो मेरे साथ प्लान समझाता हूं फिर कौशल अब्दुल को अपने अड्डे पर ले जाता है वहां वह अब्दुल को शेयर मार्केट के फिजिकल डेट सर्टिफिकेट दिखाता है एक सर्टिफिकेट ज्यादा से ज्यादा पांच बार किसी पार्टी के नाम ट्रांसफर हो सकता है और उसके बाद वह पुराने सर्टिफिकेट को रद्दी बनाकर संभाल कर रख देते हैं और फिर नया सर्टिफिकेट इशू कर दिया जाता है उस रद्दी में से अगर थोड़ी बहुत रद्दी गायब हो भी जाए तो किसको परवाह है और इस रद्दी में छिपा है खजाना यानी ADESHIV स्टैंप हर स्टैंप की की कीमत अलग-अलग होती है 10 से लेकर ₹125 तक अब आगे का कमाल होता है केमिकल का जो पेपर से स्टैंप को अलग कर देता है और फिर कुछ केमिकल की हेल्प से स्टैंप के ऊपर से सियाही हटाई जाती है अब जो स्टैंप बच जाती है उसको बम्बे स्टॉक एक्सचेंज में कम कीमत में बेच दिया जाता है
अबकी बार जब वे स्टैंप बेचने जाते हैं तो अब की बार वहां उनकी बहुत ही कम कीमत लगाई जाती है इसलिए वे अपनी स्टैंप नहीं बेचते फिर बाहर जाते समय उनको समझ में आ जाता है कि वे कोलकाता गैंग वालों से बहुत ही कम कीमत में स्टैंप खरीद रहे हैं फिर जब कौशल उनसे पूछता है कि हमारे धंधे में क्यों टांग अड़ा रहे हो तो कोलकाता गैंग वाला बाबू कहता है यहां जिसके पास लाठी होती है भैंस उसी की होती है फिर कौशल अब्दुल को समझाता है कि सबसे पहले यह रिवेन्यू स्टैंप ओल्ड कस्टम हाउस में आते हैं फिर वहां से कुछ कर्मचारियों से सेटिंग करके यह आधे भाव में उनसे खरीद लेते हैं और अपना थोड़ा बहुत मार्जिन रखकर यहां आकर बेच देते हैं इनका गम वाश का खर्चा भी नहीं लगता और ना ही मेहनत अब अगले दिन वे कोलकाता गैंग वालों का पीछा करते हैं जो टिफिन में उनके के लिए बिरयानी लाया करते थे वे जिस टिफिन में उनके लिए बिरयानी लाया करते थे उसी टिफिन में उनके लिए स्टैंप दिया जाता था लेकिन अब्दुल समझ जाता है कि एक कर्मचारी ऐसा भी है जिसको खाने के लिए बिरयानी नहीं मिलती फिर वे आधी रात को उसे गली के नुक्कड़ उससे मिलते हैं और उसे कहते हैं कि अगर तुम भी बिरयानी खाना चाहते हो तो कल बीएससी के सामने वाले पार्क में आ जाना
फिर उम्मीद के अनुसार वह उन दोनों से मिलने जाता है वो उनके लिए रिवेन्यू स्टैंप तो नहीं बल्कि स्टैंप पेपर लेकर आया था लेकिन इतने में वहां कोलकाता गैंग वाले आ जाते हैं और उन तीनों को खूब पीटते हैं फिर वे स्टैंप पेपर अपने साथ ले जाते हैं और ऐसा करते हुए उन्हें अब्दुल देख लेता है फिर रात को घर पर शौकत भाई अब्दुल के वैसे ही एक स्टैंप पेपर पर साइन लेते हैं दरअसल वो उनकी वसीयत थी जिसमें उन्होंने अपना सब कुछ अब्दुल की बेटी के नाम कर दिया था फिर अगले दिन अब्दुल हॉस्पिटल पहुंच जाता है विट्ठल भाऊ के पास और उनसे पूछता है कि इस
पेपर में ऐसा क्या था जो वे उसे लूट कर ले गए विट्ठल भाऊ बताता है कि तुम जिस टैंप के पीछे पड़े हो वह तो कुछ भी नहीं है स्टम पेपर बादशाह है हर मंथ लगभग ₹33000 करोड़ के स्टैंप पेपर बेचे जाते हैं है और उसमें से 2500 करोड़ केवल मुंबई से रेवेन्यू जनरेट होता है चाहे किसी को प्रॉपर्टी खरीदनी हो या बेचनी हो चाहे किसी की वसीयत लिखनी हो कंपनी डीड सेल डीड पार्टनरशिप डीड हर तरह के एग्रीमेंट या कोर्ट मैरिज ही क्यों ना करनी हो सब कुछ इन स्टैंप पेपर के ऊपर ही लिखा जाता है बस यह समझ लो कि यह पेपर कुबेर के खजाने की चाबी है अब अगर हम 33000 करोड़ में से 7000 करोड़ चुरा भी लेंगे तो किसको पता चलेगा अगर लाइफ में आगे बढ़ना है तो डेरिंग तो करना ही पड़ेगा क्योंकि मुझे पैसा कमाना नहीं बनाना है और इसी के साथ फर्स्ट एपिसोड का एंड हो जाता है
सेकंड एपिसोड की शुरुआत का समय था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिंहा राव देश के प्रधानमंत्री बन गए थे अब विदेशी कंपनियों के लिए भारत के दरवाजे खोल दिए गए थे सभी कंपनियों को भारत में पैसे का पहाड़ नजर आ रहा था इसलिए सभी अपने पैर जमाने में जुटे हुए थे फिर बाबरी मस्जिद वाली घटना हुई और उसके कारण देश भर में दंगे शुरू हो गए थे ऐसे माहौल में भी इन दोनों की प्लानिंग चल रही थी कि 33000 करोड़ के हलवे में से एक चम्मच हलवा कैसे निकाला जाए अब्दुल बताता है कि स्टैंप पेपर का फर नासिक से शुरू होता है देश भर में बिकने वाले स्टैंप पेपर यहीं पर छपते हैं अलग-अलग कीमत वाले स्टैंप पेपर का वजन भी अलग-अलग होता है लाखों रुपए के स्टैंप पेपर पूरी सिक्योरिटी के साथ ट्रकों में भर दिए जाते हैं इनको देश भर में पहुंचाने के लिए ट्रेन का भी यूज किया जाता है नासिक से ट्रेन बंबे भेजी जाती है और वहां से बंबई की खपत के हिसाब से बहुत सारे स्टैंप पेपर ओल्ड कस्टम हाउस आते हैं फिर लाखों करोड़ों रुपए के स्टैंप पेपर पूरे देश भर में डिस्ट्रीब्यूटर दिए जाते हैं लेकिन इनको ट्रेन के बंबे पहुंचने से पहले चोरी को अंजाम देना था लेकिन मुश्किल यह थी कि रेलवे सिक्योरिटी के नाक के नीचे से चोरी करी कैसे जाए फिर यह रेलवे स्टेशन पर जाकर पूरी सिचुएशन का जायजा लेते हैं पेपर्स को डबल चेक करने के बाद पूरे माल को नोट किया जाता है फिर उनको बक्सों में डालकर सरकारी सील लगा दी जाती है और उसके बाद उसे मालगाड़ी में रख दिया जाता है अब मान लो मालगाड़ी में चोरी करके यह ना भी पकड़े जाएं लेकिन इनकी चोरी पकड़ी जाएगी अब प्लान ऐसा बनाना था कि चोरी एक बार नहीं बार-बार की जा सके अब उनका पहला निशाना था स्टेशन मास्टर साहिब राव कदम अब्दुल को पता था कि हर इंसान की कोई ना कोई कीमत होती है इसलिए वह साहिब राव कदम को खरीदने पहुंच जाता है लेकिन कौशल किसी को एक चवन्नी भी देना नहीं चाहता था फिर अब्दुल उसे समझाता है कि यह काम हम अकेले नहीं कर सकते हमें पूरी टीम बनानी पड़ेगी फिर वे एक ऐसी प्रेस में जाते हैं जहां फिल्मों के पोस्टर छपा करते थे वे वहां से स्टैंप पेपर छापने के लिए एक डाई बनवाते हैं अब उन्हें जरूरत थी तो एक प्रिंटिंग प्रेस की फिर वे एक चाचा को अपने अंडर करते हैं और उसे कहते हैं कि दिन में तुम अपने शादी ब्याह के कार्ड छापो रात को हम अपना काम करेंगे और इस काम के बदले हम आपको पैसे देंगे दोनों की ही रोजी रोटी चल जाएगी अब स्टैंप पेपर की छपाई शुरू हो जाती है इनका प्लान था असली पेपर निकाल के वहां नकली पेपर्स रखना ताकि काम भी हो जाए और किसी को पता भी ना चले यह चाहते तो यह नकली स्टैंप पेपर सीधा ही मार्केट में बेच सकते थे लेकिन इससे यह पकड़े जाते कौशल अभी भी डर रहा था लेकिन अब्दुल समझाता है कि यह स्टैंप पेपर भारत के अलग-अलग कोने में पहुंच जाएंगे और मान लो पता भी चल जाए कि यह स्टैप पेपर सही नहीं है तो कौन उल्टी कड़ियां जोड़कर हमारे पास आएगा सरकार को कहां इतना टाइम है वे इसे मिस प्रिंटिंग समझकर फेंक देंगे
अब ट्रेन बंबे पहुंचने से पहले वे चोरी को अंजाम देते हैं वे बक्से में से असली पेपर्स निकालकर वहां नकली पेपर रख देते हैं और उसके ऊपर सरकारी मोहर लगा देते हैं और अपने काम को अंजाम देकर वे स्टेशन मास्टर को उसकी मोहर वापस कर देते हैं अब अगला स्टेप था कि स्टैंप पेपर्स को बेचा कैसे जाए फिर वे स्टैंप पेपर बेचने गणेश कांबले के पास जाते हैं वे चाहे उसे कितना भी सस्ता स्टांप पेपर लगा दे लेकिन उसकी खपत एक महीने में तीन-चार पेपर्स की थी फिर वो उन्हें कॉरपोरेट वाले वकील के पास जाने को कहता है लेकिन इनका प्लान था कि हर छोटे-बड़े वकील को जाकर स्टैंप पेपर बेचना स्टैंप पेपर बेच के इनकी कमाई तो अच्छी हो रही थी लेकिन इनका माल बल्क में नहीं बिक रहा था इनके पास समुद्र भरकर स्टैंप पेपर पड़े थे लेकिन यह सिर्फ लोटा भर ही बेच पा रहे थे इतनी मेहनत करने के बाद भी इनको सिर्फ 30 से 35 हजार का ही फायदा होता है कौशल सेटिस्फाइड था लेकिन अब्दुल खुश नहीं था अब दो नंबर का पैसा कमाया है तो इसे उड़ाएंगे भी
इसलिए कौशल अब्दुल को डांस बार में ले जाता है कौशल लड़कियों पर पैसा उड़ाता है लेकिन उन पर उड़ाया एक-एक नोट अब्दुल को चुभ रहा था फिर अब्दुल का दिल एक लड़की पर आ जाता है लेकिन अब्दुल को अपनी औकात का पता था इसलिए वो वहां से बाहर आ जाता है फिर अब्दुल का भाई सलीम भी उसके पास काम करने के लिए आता है लेकिन अब्दुल उसे अपनी अम्मी की जिम्मेदारी देकर गांव वापस भेज देता है फिर वे अपना माल बेचने कॉरपोरेट वाले वकील के पास जाते हैं उसकी लागत एक महीने में 80 से 100 पेपर्स की थी वो भी 500 वाले लेकिन वो स्टैंप पेपर उसी से खरीदता है जिनके पास लाइसेंस है फिर वह गणेश कांबले की हेल्प से लाइसेंस अप्लाई करता है
एजेंट कहता है कि लाइसेंस एप्लीकेशन लगा तो देता हूं लेकिन यह भराड़े के पास जाकर अटक जाएगी अब्दुल टेंशन में था कौशल उसे समझाते हैं कि अपना जैसा भी चल रहा है बढ़िया चल रहा है रोज के 10-12 पेपर बिक जाते हैं लेकिन अब्दुल को हर रोज हजारों स्टैंप पेपर बेचने थे क्योंकि वह अपनी ऐसी औकात बनाना चाहता था कि बार डांसर पर पैसे उड़ा सके फिर एक रात उनके मोहल्ले में पुलिस की रेड पड़ जाती है पुलिस वाले उनके पास पास भी आते हैं लेकिन उनको शक भी नहीं होता कि यहां क्या गैर कानूनी काम चल रहा है फिर वे पड़ोस से नकली दारू बेचने वाले को पकड़ कर ले जाते हैं अब उनको कोई ऐसी जगह का इंतजाम करना था जहां पुलिस वाले ना पहुंच पाएं फिर अब्दुल दिमाग चलाता है कि क्यों ना पुलिस वाले के साथ दोस्ती ही कर ली जाए फिर वह 2 लाख पुलिस फंड में देता है और वो फंड वह पुलिस के हाथों दरगाह में डोनेट करवा देता है इससे कौमी एकता मिसाल भी कायम हो जाती है और पुलिस वालों की फोटो भी पेपर में आ जाती है अब पुलिस के साथ दोस्ती तो हो गई थी लेकिन कौशल झावेरी खुश नहीं नहीं था जब अब्दुल पुलिस वालों के साथ बार में बैठा था तब कौशल अकेला बैठा अंदर ही अंदर उबल रहा था अब्दुल इंस्पेक्टर डोबे से पूछता हैं कि मुझे वेंडर लाइसेंस बनवाना है क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हो डोबे कहता है कि तुम्हारी हेल्प तुकाराम ही कर सकता है पैसा फेंको और जो चाहे काम करवा लो लेकिन कौशल को लाइसेंस के लिए एक भी पैसा उड़ाना चुभ रहा था फिर अब्दुल तुकाराम के एनजीओ पर जाता है वहां उसकी मुलाकात जुबे और सुलेमान नाम के दो लड़कों से होती है अब्दुल कहता है मैं तुकाराम साहब का जन्मदिन मनाना चाहता हूं और उस दिन मैं उन्हें ₹5लाख भी डोनेट करूंगा और इस तरह से अब्दुल का कनेक्शन तुकाराम के साथ बन जाता है कौशल की अब्दुल के साथ दूरियां बढ़ती जा रही थी कार में अब्दुल तुकाराम को 5लाख देता है और कहता है कि मुझे वेंडर लाइसेंस चाहिए फिर तुकाराम अब्दुल को ऑफिसर भराड़े के पास ले जाता है वेंडर लाइसेंस की सभी एप्लीकेशंस इनके पास ही आती थी भराड़े कहता है कि अब्दुल की एप्लीकेशन से पहले 1500 एप्लीकेशन है और उनमें से 800 तो आपकी ही पार्टी में से हैं इतने कंपटीशन में क्या ही कमा लेगा फिर तुकाराम कहता है कि भाई 100 200 होते तो देख लेता अभी इतनी एप्लीकेशन में तुम्हारा मुश्किल हो जाएगा अब्दुल वहां से उठकर आ जाता है
फिर मायूस होकर अब्दुल अपने अड्डे पर जाता है वहां उसका पार्टनर कौशल दारू के नशे में बैठा था वो कहता है कि कभी तुम दरगाह पे कभी तुकाराम कभी पुलिस वालों को खूब पैसा उड़ा रहे हो यह पैसा क्या तुम्हारे अकेले का है जो उड़ाता फिर रहा है अब्दुल कहता है यह आईडिया मेरा ही था अगर लाइसेंस मिल गया तो मेरी अकेले की नहीं बल्कि दोनों की लाइफ सेट हो जाएगी कौशल कहता है कि यह सब मिलकर तुम्हें चुटिया बना रहे हैं और यह बात अब्दुल को चुभ जाती है फिर उन दोनों में हाथा पाई हो जाती है कौशल कहता है कि मेरे बिना तेरी औकात कुछ भी नहीं है फिर अब्दुल कहता है कि तू औकात से अकल नहीं खरीद सकता लेकिन मैं अकल से औकात बनाऊंगा अब्दुल की मुश्किलें अब बढ़ती जा रही थी कौशल भी उसका साथ छोड़कर चला गया था अब देखते हैं यहीं पर एपिसोड 2 खत्म हो जाता है
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3rd एपिसोड में हम देखते हैं अब्दुल तुकाराम के पास जाता है और उसे कहता है कि आगे इलेक्शन आ रहे हैं टिकट लेने के लिए आपके पास पैसे नहीं है और इंडिपेंडेंट खड़े हो गए तो बहुत सारा पैसा लुटाना पड़ेगा इसलिए आप मुझे लाइसेंस दिला दो इलेक्शन तक जितना कामआऊंगा आधा तुम्हारा फिर वे दोनों यूनाइटेड शक्ति पार्टी हेड ऑफिस में जाते हैं तुकाराम अब्दुल की मुलाकात गरिमा तलपड़े मैडम से करवाता है वो मैडम को फुल स्पोर्ट करने की बात करता है और बदले में लाइसेंस की डिमांड करता है फिर वे दोबारा भराड़े के पास जाते हैं लेकिन अबकी बार उनके पास मैडम गरिमा तलपड़े की सिफारिश थी भराड़े का मुंह उतर गया था क्योंकि उसे खाने को कुछ नहीं मिला था लेकिन सिफारिश तगड़ी थी काम तो करना ही पड़ेगा जो इंसान दूसरों को माफ कर देता है वह आदमी महान बन जाता है इसलिए अब्दुल भी महान बनने के लिए कौशल के पास जाता है और उसे कहता है कि मुझे लाइसेंस मिल गया है तुम चाहो तो अब भी मेरे साथ काम कर सकते हो लेकिन कौशल अपने काम से खुश था इसलिए वह अब्दुल को धक्के देकर बाहर निकाल देता है और कहता है कि हिसाब अब भी बाकी है अब जो कि अब्दुल का लाइसेंस बन गया था तो वो खुल के काम करने लगा पहली बार उसने हालातों को अपने आगे झुकाया था अब उसका धंधा चलने लगा था काम इतना ज्यादा था कि उसने खानापुर से अपने भाई सलीम को भी बुला लिया था तुकाराम के एनजीओ से जुबन और सुलेमान को भी उसने अपने साथ काम करने में लगा लिया अब वे महीने में एक बार की बजाय हर रोज ट्रेन में अपना हाथ साफ करते थे अब गणेश कामले भी उनके साथ मिल गया था अब वे बड़े-बड़े बिल्डरों को माल पहुंचाने लगे थे अब्दुल को समझ थी कि जंगल में शिकार करने वाले सबसे खतरनाक दो ही जानवर होते हैं शेर और लकड़ बग्गगे शेर जो भी खाता है उसका बचा हुआ लकड़ बग्गगा खत्म कर देते हैं इसलिए अब वो सिस्टम के लकड़ बग्गों को भी अपने साथ मिला लेता है क्योंकि जब तक लकड़ बग्गों को खाना मिलता रहेगा वे शेर के वफादार बने रहेंगे
शौकत भाई ने अपना घर अब्दुल की बेटी के नाम कर दिया था इसलिए अब्दुल ने भी एक घर ले लिया और शौकत भाई की बेटी के नाम कर दिया अब अब्दुल ने कार भी ले ली थी कुछ दिन बाद सरकार बदल जाती है मगर उसका रिमोट कंट्रोल मोरे के हाथ में था बस यह समझ लो कि मोरे सरकार का वजीर था जीत की खुशी में पार्टी चल रही थी इसलिए अब्दुल मोरे से मिलने जाता है है अब्दुल को पता था कि सिस्टम में रहना है तो सिस्टम के नीचे ही रहना पड़ेगा वह कहता है कि जितना गरिमा तलपड़े को दिया करता था अब वह सारा आपके पास पहुंच जाएगा अगले सीन में हम देखते हैं कि एक अमीर आदमी के गुजर जाने के बाद उसके दोनों बेटे फैक्ट्री के लिए सरकारी लड़ाई लड़ रहे थे फिर उनमें से एक भाई इमामदार से मिलने जाता है इमामदार जागृति मिल का आधा हिस्सा मांग लेता है फिर वे एक बड़ा वकील करते हैं वो कहता है कि हमें कोर्ट में साबित करना होगा कि 5 साल पहले ही इनके पिताजी ने वो फैक्ट्री इनके नाम कर दी थी अब उनको चाहिए थे 1989 से पहले के स्टैंप पेपर तभी मोरे को याद आता है कि इतना बड़ा रिस्क सिर्फ एक ही आदमी ले सकता है अब्दुल करीम तेलगी अब अब्दुल वे पेपर्स तैयार कर लेता है उनकी कीमत लाखों रुपए में थी भराड़े उसे समझाता है कि इतना बड़ा रिस्क मत लो लेकिन वह कहता है कि हमारे ऊपर इमामदार साहब का हाथ है फिर भराड़े कहता है कि तलपड़े मैडम का क्या हुआ नेताओं से इतनी जल्दी नाते नहीं तोड़ने चाहिए अब्दुल कहता है तलपड़े मैडम चल पड़े लेकिन विधानसभा में तलपड़े मैडम सवाल पूछती है कि सरकारी दस्तावेजों पर जिस वेंडर की मोहर लगी है उसे तो पिछले साल ही लाइसेंस मिला है तो 5 साल पुराने कागजात पर उसकी मोहर कैसे आई वह पूरे मामले की बारीकी से जांच करने की डिमांड करती है
अब यह साबित हो जाता है कि वे पेपर्स नकली हैं इसलिए उसका भाई केस जीत जाता है अब तलपड़े मैडम भराड़े से भी नाराज थी वो कहती है इमामदार को कुछ होगा तो तुकाराम को अब सारा मामला तुम पर आएगा इसलिए तुम सारी बात अब्दुल पर डाल दो अब सिस्टम के सारे लकड़ बग्गगे शेर को समझाते हैं कि तुम्हें ही सारा इल्जाम अपने सिर पर लेना होगा यही तो पॉलिटिक्स है एंड में सब सफेद कपड़े वाले बचकर निकल ही जाते हैं फिर कोर्ट अब्दुल का वेंडर लाइसेंस कैंसिल करके तुरंत जुडिशियस कस्टडी में भेजने का आदेश देती है अब्दुल के हाथों ने जिन-जिन लकड़ बग्गों को खाना खिलाया था वे लकड़ बग्ग अभी भी उसके खाने का स्वाद भूले नहीं थे इसलिए उसे पकड़ कर ले जाने वाले सभी पुलिस वाले एक-एक करके गायब हो जाते हैं फिर गणेश कामले कहता है भैया इधर नहीं जाना हमें तो खिसकना है अब कानून के हाथ अब्दुल को पकड़ने के लिए छोटे रह गए थे लेकिन तलपड़े मैडम संसद भवन में फिर से हंगामा कर देती है और उन पांचों लगड़ बग्गों को डांट पड़ती है और अभी की अभी अब्दुल करीम तेलगी को पकड़ कर लाने का ऑर्डर मिलता है फिर रात को पुलिस अब्दुल करीम तेलगी को पकड़ने उसके घर जाती है ऊपर से ऑर्डर आया था मानना तो पड़ेगा ही वे जबरदस्ती अब्दुल को उठा लेते हैं फिर उसे जेल भेजा जाता है अब सिस्टम में सभी को इन खिलाने वाले हाथों का पता चल गया था इसलिए अब्दुल को जेल में थोड़ा बहुत वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है फिर जेल में अब्दुल की मुलाकात जेके से होती है वो एक मशीन मैकेनिक था वो अब्दुल को एक सिक्का देता है और कहता है कि जब भी आप इसको देखेंगे आपको मेरी याद आएगी आप जब बाहर आओ तो मुझसे मिलने आना साथ मिलकर काम करेंगे 1996 में अब्दुल की रिहाई हो जाती है शौकत भाई अब्दुल को मिलने जाते हैं और कहते हैं कि आज के बाद मेरी बेटी से मिलने की कोई जरूरत नहीं हो सके तो उसे फोन प तीन बार तलाक बोल देना फिर वे उसे कुछ पैसे देकर वहां से चले जाते हैं ताकि अब्दुल अपने गांव जा सके लेकिन अब्दुल को भीख नहीं चाहिए थी वह गांव नहीं जाता बल्कि अपनी पत्नी और बेटी से मिलने जाता है और कहता है कि वक्त बुरा होने से आदमी बुरा नहीं होता फिर वह अपने साथ साथियों को कुछ पैसे देता है और कहता है कि जब धंधा शुरू करूंगा तो फिर से बुला लूंगा उनके साथियों का उसे छोड़कर जाने का दिल ही नहीं था वो सलीम को भी वापिस खानापुर भेज देता है अब सब कुछ खत्म हो गया था अगले दिन जब वह अपनी वाइफ के साथ सब्जी लेने जाता है तो उसके पेजर पर एक मैसेज आता है कॉल मी और जब अब्दुल उस नंबर पर कॉल करता है तो फोन दूसरी तरफ से जेके उठाता है जेके कहता है पैसा बनाना है तो नासिक आ जा फिर जेके अब्दुल को रिसीव करता है और अपने अड्डे पर ले जाता है वो बताता है कि नासिक में जब कोई मशीन खराब हो जाती है तो वे मुझे ही बुलाते हैं जब मैं नासिक प्रेस में मशीन ठीक करने गया था तो मेरी मुलाकात वहां बापट और छतरे से हुई थी उनके पास खतरनाक प्लान है फिर जेके अब्दुल की मुलाकात बापट और छतरे से करवाता है छतरे प्रिंटिंग क्वालिटी चेक करता था वह बताता है कि नासिक प्रेस में बहुत टाइट सिक्योरिटी है बिना परमिशन कोई भी अंदर नहीं जा सकता जो असली स्टैंप पेपर होता है उसका पेपर डिजाइन कोई भी कॉपी नहीं कर सकता इस प्रेस में हर रोज लाखों पेपर्स छपते हैं बस उसी समंदर में से हमें चुल्लू भर पानी निकालना है समझाता हूं कैसे जब पेपर छपते ते हैं तो उसकी क्वालिटी चेक होती है माल दो हिस्सों में बढ जाता है फिर नोट किया जाता है कि कितना माल एक्सेप्ट हुआ कितना माल रिजेक्ट हुआ अब करना यह है कि हम रिजेक्टेड माल में एक्सेप्टेड माल डाल देंगे और आंकड़ा चेंज कर देंगे फिर हर रोज 10000 पेपर चुरा लिया करेंगे अब्दुल पूछता है हर रोज कितना माल रिजेक्ट होता है वे बताते हैं 50 से 60 पेपर फिर अब्दुल कहता है कि बकवास आईडिया है तुम 10000 पेपर रोज चुराओग तो एक ना एक दिन चोरी पकड़ी जाएगी और तुम लोग अंदर जाओगे यह प्लान तभी कामयाब हो सकता है जब प्रेस का सबसे सीनियर ऑफिसर हमारे साथ होगा फिर अगले दिन जेके अब्दुल को पुरानी मशीनों की ऑक्शन में उसी प्रेस में ले जाता है वहां जेके कहते है कि यही है सीनियर ऑफिसर मधुसूदन मिश्रा जाओ कर लो बात लेकिन अब्दुल की नजर तो स्टैंप पेपर छापने वाली पुरानी मशीन पर थी फिर अब्दुल कहता है कि प्लान चेंज हो गया यानी अब वह इस मशीन को यहां से बाहर ले जाने की सोच रहा था ताकि खुद के ही ओरिजिनल स्टैंप पेपर छाप सके और यहीं पर थर्ड एपिसोड खत्म हो जाता है

4rd एपिसोड में हम देखते हैं अब्दुल एक तोहफा लेकर मधुसूदन मिश्रा के घर जाता है लेकिन मधुसूदन मिश्रा कानून की तीसरी किताब थी वह पार्सल को पूरा ठोक बजा कर देखता है और फिर उसको अब्दुल से ही खुलवा है उसमें एक महंगी घड़ी थी मिश्रा जी घड़ी देख ही रहे थे कि अब्दुल वहां से खिसक लेता है घड़ी वाले बॉक्स में अब्दुल करीम तेलगी ने अपना मोबाइल नंबर भी डाला था रात को भोपर और छतरे अब्दुल को बताते हैं कि स्टैंप पेपर छापने वाली मशीन को तीन-चार साल के बाद रिटायर कर दिया जाता है फिर अफसरों के आगे उसके सारे पार्ट्स को अलग-अलग कर दिया जाता है फिर मधुसूदन मिश्रा की निगरानी में सभी पार्ट्स को ऑक्शन में लाया जाता है और अलग-अलग लोगों को बेच दिया जाता है लेकिन जो सबसे जरूरी पार्ट है यानी प्लेट्स वो ऑक्शन में नहीं जाती क्योंकि उनको डिस्ट्रॉय कर दिया जाता है इसलिए भूल जाओ इस प्लान को लेकिन अब्दुल कहता है कि मेरे होते हुए चिंता मत करो फिर अगले दिन अब्दुल के पास मधुसूदन मिश्रा का फोन आता है और वह उसे मिलने के लिए बुलाता है अब्दुल की खुशी का ठिकाना ही नहीं था जब वह अंदर जाता है तो मिश्रा जी उसे कहते हैं कि तुम घड़ी देकर मेरा ईमान खरीदना चाहते हो फिर मिश्रा जी उसे गले से पकड़ लेते हैं और बेइज्जत करके उसे धक्के मारकर बाहर निकाल देते हैं अब्दुल के साथी उसे समझाते हैं कि तुम जेल जाते-जाते बचे हो अब्दुल कहता है यहां हर किसी को कुछ ना कुछ चाहिए किसी को पैसा तो किसी को रुतबा और इज्जत हर इंसान की कोई ना कोई कीमत तो होती ही है अगर पैसा कमाना है तो पहले उसको इज्जत देनी पड़ेगी फिर वह तुकाराम के पास जाता है तुकाराम कहता है कि अगर उसका प्रमोशन करवाना है तो 20-25 पेटी लगेंगी फिर अब्दुल कहता है कि मैं पैसों का जुगाड़ करता हूं आप चार दिन बाद एयरपोर्ट पर आ जाना फिर अब्दुल अपने घर के बाहर बैठ कर अपनी वाइफ के घर से बाहर निकलने का वेट करता है और जैसे ही उसकी वाइफ घर से बाहर जाती है अब्दुल घर में जाता है और वहां से छुपाया हुआ एक बैग निकालता है उसमें उसने इमरजेंसी के लिए कुछ रुपए छुपा रखे थे फिर वो अपने मकान के पेपर्स लेता है और उन्हें एक लाला के पास गिरवी रख देता है अब उसके पास करीब ₹25 लाख हो गए थे फिर वो तुकाराम के साथ दिल्ली
में कैबिनेट मिनिस्टर को मिलने जाते हैं वे कैबिनेट मिनिस्टर से मधुसूदन मिश्रा के प्रमोशन की बात करते हैं लेकिन मिनिस्टर उनको डांट कर भगा देता है है मिनिस्टर का असिस्टेंट पी गुप्ता उन लोगों को अपने रूम में ले जाता है और कहता है कि यह काम मुझ पर छोड़ दो फिर अब्दुल बिना किसी गारंटी के 25 लाख का रिस्क ले लेता है और सारे पैसे कैबिनेट मिनिस्टर के असिस्टेंट पी गुप्ता को देकर आ जाता है इस बात के लिए जेके भी उसे डांटता है लेकिन अब्दुल कहता है पैसा बनाना है तो रिस्क तो लेना ही पड़ेगा तभी अब्दुल के पास पी गुप्ता का फोन आता है और वह खुशखबरी देता है कि प्रमोशन लेटर मिल गया है अब्दुल फिर से मधुसूदन मिश्रा के घर जाता है और उन्हें बधाई देता है लेकिन मिश्रा जी अब्दुल का लाया हुआ सामान डिस्ट बिन में फेंक देते हैं जब मिश्रा जी अपने ऑफिस पहुंचते हैं तो सब लोग उनका स्वागत तालियों से करते हैं और उन्हें बधाई देते हैं अब मिश्रा जी को पता चल गया था कि वह जनरल मैनेजर बन गए हैं मिश्रा जी फिर से अब्दुल को डांटने पहुंच जाते हैं और कहते हैं कि मैंने 10 साल मेहनत की तो भी मुझे प्रमोशन नहीं मिला और एक बदमाश ने एक झटके में मेरी ईमानदारी खरीद ली अब्दुल कहता है आपको जो प्रमोशन मिला है इसके आप हकदार थे जिस सिस्टम ने 10 साल तक आपकी काबिलियत नहीं पहचानी अब आपको उस सिस्टम के साथ रहना है या जिसने एक झटके में आप आपकी काबिलियत पहचान ली उसका साथ देना है अब फैसला आपका है फिर मिश्रा जी घर जाकर डस्टबिन में से वह गिफ्ट उठाकर देखते हैं उसमें जनरल मैनेजर की नेम प्लेट थी जो अब मिश्रा जी ने घर के बाहर लगा ली थी अब मिश्रा जी उनके साथ मिल गए थे और उन्होंने एक सही मशीन को डिसकमिशन कर दिया अब इस मशीन को भी पहले की ही तरह अलग-अलग हिस्सों में नीलाम कर दिया जाएगा यह पार्ट्स उनको मिलेंगे जो सबसे बड़ी बोली लगाएंगे इसलिए सलीम सुलेमान जुबन जेके और अब्दुल इन पांचों के नाम से अलग-अलग कंपनी रजिस्टर करवाई जाती है फिर वे ब्लैंक बीड सबमिट करते हैं ताकि जिसने भी सबसे बड़ी बोली लगाई हो अफसर उससे भी बड़ी बोली खुद लगा ले क्योंकि वो भी अब्दुल के हाथ बिक चुका था फिर उस मशीन के सारे पार्ट्स उन पांचों की कंपनियों को ही मिल जाते हैं यह सारा काम मधुसूदन मिश्रा की देखरेख में ही होता है प्रोसीजर के हिसाब से सारी प्लेट्स को ऑडिटर के सामने ही कट करना पड़ता है लेकिन मधुसूदन मिश्रा असली प्लेट्स की जगह नकली प्लेट्स को डिस्ट्रॉय करवा देता है और असली प्लेट्स को वो अपने घर ले जाता है फिर उस मशीन के सभी अलग-अलग पार्ट्स मुंबई में चाचा की प्रेस में पहुंचा दिए जाते हैं फिर वे भोपर और छतरे की मदद से मशीन को असेंबल कर लेते हैं लेकिन उस सामान में प्लेट्स नहीं थी फिर जब अब्दुल मधुसूदन मिश्रा से बात करता है तो मिश्रा जी कहते हैं कि मुझे उचित कीमत नहीं मिल रही और वो कीमत थी ₹10 लाख फिर अब्दुल कहता है कि ₹10 लाख तो नहीं है लेकिन आप ये हार रख लो जैसे ही पैसा आएगा सबसे पहले आपको ही दूंगा फिर वे उस पेपर में यूज होने वाली इंक का जुगाड़ करते हैं और उसके बाद वे कॉटन बेस्ड पेपर लेने पहुंच जाते हैं इस पेपर का सिर्फ दो ही जगह इस्तेमाल होता था एक तो स्टैंप पेपर में और दूसरा कॉलेज की डिग्री में जब वे पहला पेपर छापक उसकी क्वालिटी चेक करते हैं तो भोपर कहता है बधाई हो आप बाप बन गए स्टम पेपर पैदा हुआ है अब फाइनली अब्दुल ने व काम कर दिया था जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी फिर अब्दुल भराड़े के पास जाता है जेल से आने के बाद वह पहली बार भराड़े के पास गया था अब्दुल कहता है कि मुझे मेरे सभी साथियों के लिए लाइसेंस चाहिए लेकिन भराड़े उससे बात करने में भी डर रहा था फिर अब्दुल उसे दिखाता है कि उसके सभी पुराने साथी आज भी उसी के साथ हैं यानी काम करो तो खुल के करो वरना ना करो अब अब्दुल अपना नया ऑफिस खोल लेता है सभी रिश्तेदार आते हैं शौकत भाई भी आते हैं शौकत भाई अपनी बेटी को कहते हैं कि एक स्टम पेपर बेचकर ₹10 बचते होंगे इसमें ऑफिस खोलने की क्या जरूरत थी लेकिन उनको नहीं पता था कि अब्दुल ने स्टैंप पेपर बेचकर कितना माल जमा कर लिया है अब सुलेमान नई बाइक लेकर आता है फिर अब्दुल उसे धमकता है कि हमें लोगों को अपने ऊपर शक नहीं होने देना हम दौलत के चौकीदार हैं मालिक नहीं अब्दुल कहता है खाली मुंबई से काम नहीं चलेगा अब हमें पूरे इंडिया में पेपर बेचने होंगे अब्दुल का बिजनेस बहुत आगे बढ़ गया था अब उसने खुद का कुबेर का किला बना लिया था अब तो उसने हजारों लोगों को जॉब भी दे दी थी वे स्टैंप पेपर बेचा करते थे अब अब्दुल ने अपने भाई सलीम को कर्नाटक में ऑफिस खुलवा के दे दिया अब यह पैसे कमा नहीं रहे थे बल्कि बना रहे थे अब्दुल भी खुश था और उसके सारे लक्कड़ बग्ग भी खुश थे अब्दुल ने वापस अपना सिस्टम सेट कर दिया था और इस सिस्टम का रिमोट अब अब्दुल के ही हाथ में था लेकिन उसे नहीं पता था कि कर्नाटक में भी बहुत सारे लक्कड़ बगे हैं जो भूखे हैं फिर अब्दुल बेंगलोर जाता है और वहां फहीम शेख से मिलता है जो एक करप्ट मिनिस्टर था मिनिस्टर उसे अपने सभी धंधों में इन्वेस्ट करने को कहता है अब्दुल मान जाता है फिर अब्दुल सलीम को कहता है कि अगर सिस्टम से भिड़ना है तो अपने पास भी जनता की भीड़ होनी चाहिए जिसके पास लोगों की भीड़ होती है उसे कोई भी छू नहीं पाता फिर अब्दुल सलीम को कहता है कि पूरे खानापूर को ले जाकर बाबा अजमेर शरीफ की दरगाह में हाजरी लगा करा और फिर खानापुर की डेवलपमेंट की तरफ ध्यान दे अब वे खानापुर में खुद का ही एक बड़ा घर ले लेते हैं अब शौकत भाई भी इस दुनिया को छोड़कर चले जाते हैं हैं फिर जून 1998 में वे अपने ऑफिस में एक मीटिंग रखते हैं अब्दुल को समझाया जाता है कि अगर और ज्यादा माल बेचना है तो कंपटीशन खत्म करना होगा और उनका कंपटीशन सीधा सरकार से था अब यह सरकार को तो अपने रास्ते से हटाने से रहे फिर अब्दुल मधुसूदन मिश्रा के पास जाता है और उसे यह सरकारी प्रेस बंद करने के लिए कहता है यानी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की सबसे बड़ी प्रेस नासिक प्रेस मधुसूदन गुस्से में कहता है तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है क्या पूरे देश की इकोनॉमी की बैकबोन है यह प्रेस अब्दुल कहता है परमानेंट ना सही मेंटेनेंस के नाम पर कुछ दिन के लिए बंद की जा सकती है एक बार मार्केट में स्टैंप पेपर की किल्लत हो गई तो हमारे ही स्टैंप पेपर बिकेंगे अब अब्दुल ने सीधा सरकार से पंगा ले लिया था और इसी के साथ 4th एपिसोड खत्म हो जाता है

5th एपिसोड में हम देखते हैं नासिक प्रेस में मशीन ठीक करने के लिए इंजीनियर बुलाए जाते हैं अगर मशीन अपने आप खराब हुई होती तो ठीक भी हो जाती लेकिन इस मशीन को खराब किया गया था अब बारी थी माल की यानी कि जो माल ऑलरेडी दूसरे शहरों में जाने के लिए तैयार है उसको कैसे रोका जाए फिर अब्दुल भराड़े को एक फ्लॉपी देता है और उसको आई लव यू कहता है फिर जब ऑफिस जाकर भराड़े उस फ्लफी को कंप्यूटर में लगाता है तो सभी कंप्यूटर्स में आई लव यू नाम का वायरस फैल जाता है अब भराड़े के ऑफिस में भी हाहाकार मच जाता है ऐसा करने के पीछे अब्दुल का मकसद यह था कि कौन से शहर में कितना माल भेजना है ये सारा रिकॉर्ड इन्हीं कंप्यूटर्स में था अब मान लो जहां पर 3000 पेपर्स भेजने थे वहां 300 पेपर्स जाएंगे और जहां 30000 पेपर्स भेजने थे वहां 3000 जाएंगे और फिर माल मिसमैच हो जाएगा तो वापस भराड़े के ऑफिस में आ जाएगा और 20-25 दिन अब्दुल खूब माल छाप सकता था कर्नाटक में सलीम भी खूब माल छाप रहा था फिर अब्दुल उसे फोन करता है और कहता है कि खानापुर में लोगों की खूब भलाई करता जा ताकि आगे जाके हालातों से लड़ना ना पड़े तो यह लोग हमारा साथ देंगे तभी अब्दुल की मशीन बंद पड़ जाती है वर्कर कहता है कि अगर इस मशीन से और काम लिया गया तो पेपर की क्वालिटी खराब हो जाएगी
इसका मतलब अब टाइम आ गया था एक और मशीन बढ़ाने का फिर अब्दुल मधुसूदन मिश्रा के पास 50 पेटी भेजता है और बदले में उनके लिए एक और मशीन का जुगाड़ हो जाता है अब सारे मशीन मिलकर 24 घंटे पैसा छाप रहे थे लेकिन पैसा चीज ही ऐसी है मन में लालच आए बिना रहता नहीं है सुलेमान लालची हो गया था इसलिए वह अब हेराफेरी करने लगा था यह उसका रोज का काम हो गया था उधर कैबिनेट सेक्रेटेरिएट मुंबई में एक कमेटी बिठाई जाती है भराड़े और मधुसूदन मिश्रा से यह जो मिसमैनेजमेंट हुई है इसका हिसाब मांगा जाता है फिर वे उनसे 10 दिन का समय मांगते हैं ताकि सब कुछ पहले जैसे ठीक कर सके उधर हेलो यस खानापुर में लोगों को खुश करने के लिए कभी स्कूल तो कभी शौचालय का उद्घाटन किया जा रहा था लोग वहां पर सड़क बनवाने की डिमांड करते हैं अब्दुल उनको आश्वासन देता है कि बहुत जल्दी ही सड़क बनवा दी जाएगी फिर अब्दुल फरहीन शेख के पास फोन करता है और उसे बताता है कि पूरा खानापुर तो समझो अपने अंडर हो गया अब टिकट देने का इंतजाम करो फरहीन शेख कहता है इलेक्शन तो आने दो देखेंगे फिर अब्दुल कहता है कि हवा बदलने से पहले हमें कुछ लोगों की हवा निकालनी पड़ेगी फिर अब्दुल मुंबई में एसीपी और डीसीपी के साथ भी दोस्ती कर लेता है उधर सुलेमान अब भी अब्दुल को चुना लगा रहा था तभी वहां अब्दुल आ जाता है वह सुलेमान को कहता है कि मेरी कार खराब हो गई थी चलो अड्डे पर चलते हैं अचानक अब्दुल के आ जाने के कारण सुलेमान के रंग उड़ गए थे फिर गुडाउन में जाकर अब्दुल पूछता है कि मैंने तेरे ऊपर भरोसा किया तेरे नाम से लाइसेंस लिया गुडाउन दिया मशीन लगवा कर दी सारे पैसे भी तेरे पास ही थे फिर भी तूने मेरा भरोसा तोड़ दिया फिर सुलेमान कहता है तो क्या हो गया समुंदर से एक कटोरी पानी निकाल लिया तो कोई फर्क पड़ गया तुम कौन सा सारा दिन अच्छे काम करते हो यह बात सुनकर अब्दुल को गुस्सा आ जाता है वो सुलेमान को मार-मार के उसकी सारी चर्बी उतार देता है
जुबन अब्दुल को रोकने की कोशिश करता है लेकिन अब्दुल को पता था कि अगर यह जिंदा बच गया तो बाहर जाकर सारा भंडा फोड़ देगा इसलिए अब्दुल उसको ठिकाने लगा देता है अब सन 2000 का समय था और महाराष्ट्र में डीएसजी पार्टी की सरकार आ गई थी उन्होंने यूनाइटेड शक्ति पार्टी के साथ अलायंस कर लिया था फिर अब्दुल तुकाराम को बधाई देता है तभी अब्दुल को वहां पर नाचते हुए लोगों में से एक आदमी सुलेमान के जैसे लगता है और उसे देखकर अब्दुल की तबीयत खराब हो जाती है फिर उसकी वाइफ उसे डॉक्टर के पास लेकर जाती है डॉक्टर उसे टेंशन ना लेने की सलाह देता है लेकिन इतने में अब्दुल के पास टेंशन भरा फोन आ जाता है दरअसल कुछ गुंडों ने उसके अड्डे पर आकर उसके आदमियों को पीटा और वहां आग लगा दी फिर उसके साथी पुलिस वाले कहते हैं कि जब भी कोई नई पार्टी आती है तो अक्सर ऐसा होता है अभी नए लोगों को खिलाने का वक्त आ गया है फिर अब्दुल पैसों से भरा बैग लेकर यादव के पास जाता है और उनसे खुल के धंधा करने के लिए आशीर्वाद मांगता है अब यादव साहब उसे एक खाली गुडाउन दे देते हैं जेके अब्दुल को कहता है कि ऐसे कई गुडाउन हम खरीद सकते हैं लेकिन आपने यादव से क्यों लिया फिर अब्दुल कहता है सरकार उसकी है तो लोगों की नजरों में हम भी उसके अब यहां हमें तंग करने के लिए कौन आएगा हमें बहुत माल छापना है इसलिए हमें ऐसी और कई जगह लेनी पड़ेगी अब कर्नाटक में भी इलेक्शन होने वाले थे अब अब्दुल की सलीम को इलेक्शन में खड़ा करने की पूरी तैयारी थी इसलिए लोगों से कई तरह के वादे किए जाते हैं कुछ दिन बाद 31 दिसंबर सन 2000 की रात आती है अब्दुल जेके को लेकर नए साल का जशन मनाने डिस्को में जाता है वहां और भी कई छपरी नल्ले बेरोजगार बिजनेसमैन आए हुए थे जो लड़की अब्दुल को पसंद थी फिर अब्दुल उसके ऊपर पैसे लुटाता है जेके को बहुत अजीब लगता है जैसे फर्स्ट टाइम अब्दुल को अजीब लगा था तभी वहां पर बैठा एक छपरी उठता है और जाकर उसी लड़की पर खूब पैसे उड़ाता है
यह बात अब्दुल को जमती नहीं फिर वह और पैसे मांगता है और जाकर उसी लड़की पे उड़ा देता है फिर उन दोनों में पैसे लुटाने का कंपटीशन हो जाता है दूसरी पार्टी भी तगड़ी थी फिर अब्दुल के पैसे खत्म हो जाते हैं वो छपरी अब्दुल को औकात बोलकर छेड़ता है औकात बोलता है फिर जेके अब्दुल को जबरदस्ती वहां से बाहर ले जाता है फिर बाहर जाकर अब्दुल डिस्को के मालिक शटी को फोन करता है उसके बाद अब्दुल फिर से अंदर आता है और छपरी को आवाज देकर कहता है रुक और उसके बाद वह लड़की पर इतना पैसा लुटाता है कि सिस्टम हैंग हो जाता है छपरी को नहीं पता था कि उसका पंगा किससे पड़ गया जेके खड़ा-खड़ा देखता ही रह जाता है उसे पता था कि जो भी हो रहा है सही नहीं है फिर वोह छपरी को आवाज देता है औकात जब सुबह अब्दुल उठता है तो उसका फोन बजता है फोन था मधुकर डोंबे कहता है अब्दुल तू बहुत बड़ा चुटिया है जो बार में एक लड़की के ऊपर 90 लाख उड़ा दिए अब्दुल कहता है किसी ने गलत अफवा उड़ा दी वो लड़की भी रात को अब्दुल के ही कमरे में थी तभी तुकाराम का फोन आता है वो कहता है मेरे पूरे इलेक्शन में 90 लाख खर्च नहीं हुए और तूने एक झटके में लड़की के ऊपर उड़ा दिए तभी रावत का फोन आता है वो कहता है कि पिछला हिसाब फिनिश अब नई डील के अकॉर्डिंग हिसाब होगा तभी जेके का फोन आता है वो कहता है कि सुबह से 50 फोन आ चुके हैं अब यह सभी भूखे लकड़ बग्ग हमें काटने को दौड़ रहे हैं शराब के नशे में अक्सर इंसान को पता नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है और ऐसा ही कुछ अब्दुल के साथ भी हुआ था और इसी के साथ फिफ्थ एपिसोड खत्म हो जाता है
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6th एपिसोड की शुरुआत में साल 2001 आ गया था कर्नाटक में एक कन्नड़ सुपरस्टार जिसका नाम जीवराम था उसका अपहरण हो जाता है इस सुपरस्टार का फैन बेस बहुत तगड़ा था इसलिए कर्नाटक में दंगे होने लगते हैं फिर डाकुओं ने 15 करोड़ की डिमांड की यह एक बहुत बड़ी फिरौती थी और सरकार इसके लिए रेडी नहीं थी डीजीपी मैडम कहती है कि अगर उसे कुछ हो गया तो बड़ी तबाही होगी हमें कोई तो रास्ता निकालना होगा उधर तेलगी ने पिछली रात जो भसर मचाई थी उसके लिए वो टेंशन में था क्योंकि उसका साथ देने वाले सब लोग लालची हो गए थे जेके कहता है हमें पैसा तो देना पड़ेगा क्योंकि वे बदले में प्रोटेक्शन देते हैं अब्दुल कहता है पैसे तो मैं दूंगा लेकिन इन सबको जूती के नीचे ही रखूंगा फिर वो अपने सभी लकड़ बग्गों को फोन करके उनकी कीमत पूछता है कोई 3 लाख तो कोई 2 लाख मांगता है हफ्ते का और अब्दुल इन सब की रिकॉर्डिंग कर लेता है ताकि इन सब को अपनी जूती की नोक के नीचे रख सके
लेकिन मोरे ने ₹30 लाख रुपए मांग लिए थे इन सबको यह नहीं पता था कि यह रकम अब्दुल के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन इस हरकत ने अब्दुल को शाना कर दिया था फिर वो बैंक जाता है और वे सारी रिकॉर्ड की हुई टेप लॉकर में रख देता है और उसकी चाबी जेके को के लिए वहां से चला जाता है तभी कर्नाटक से शेख का फोन आता है अब्दुल पूछता है आपको क्या चाहिए शेख साहब कहते हैं कि सारी बातें फोन प नहीं हो सकती कर्नाटक आ जाओ जब अब्दुल उसके पास जाता है तो वो बताता है कि सुपरस्टार को छोड़ने के लिए चंदन चोर ने ₹15 करोड़ मांगे हैं अब सरकार वह पैसा देगी नहीं भारत में आरबीआई के बाद सिर्फ तुम ही हो जो इतना रुपया निकाल सकते हो अब्दुल कहता है खेल बड़ा है दाम तो मैं लगा दूंगा लेकिन बदले में सलीम के लिए कर्नाटक में मिनिस्ट्री चाहिए शेख को यह सौदा मंजूर नहीं था इसलिए अब्दुल वहां से चला जाता है उसके जाने के बाद शेख राजेश के पास फोन करता है जो कि डीजीपी मैडम और यह जो मंत्री संत्री हैं इनका चेला था शेख बताता है कि तेलगी ने मना कर दिया है रास्ते में सलीम अब्दुल को कहता है कि आपने जो कल हरकत की है उसके बारे में भाभी को भी मालूम हो गया होगा फिर रात को अब्दुल अपने घर जाता है उसकी वाइफ उससे बात नहीं करती फिर जब सुबह वह उठकर देखता है तो उसकी वाइफ अपनी बेटी को लेकर वहां से जा चुकी थी फिर वो अपनी वाइफ के पास फोन करता है उसकी वाइफ कहती है कि आज के बाद हमारे पास फोन करने की कोई जरूरत नहीं है उधर राजेश डिप्टी कमिश्नर अरविंद को अब्दुल करीम तेलगी की फाइल देता है और कहता है कि याद रहे हाथ मरोड़ना है तोड़ना नहीं फिर कमिश्नर रजनीकांत नाम के पुलिस ऑफिसर को बुलाता है और उसे बताता है है कि दो-तीन साल से शहर में नकली स्टैंप पेपर का काम चल रहा है जिसके पीछे अब्दुल करीम तेलगी का हाथ है हमारे सूत्रों ने बताया है कि आज स्टैंप पेपर की डिलीवरी होने वाली है उधर सुलेमान की मां अब्दुल से मिलने जाती है और कहती है कि 7 महीने हो गए वह मुझसे मिलने नहीं आया लेकिन पैसे टाइम से भिजवा रहा है क्या आप उसे बोल देंगे कि उसकी मां को उसकी याद आ रही है अब सुलेमान बेचारा आएगा कहां से क्योंकि उसको तो अब्दुल ने मार दिया था फिर उसे सुलेमान दिखाई देने लगता है अब्दुल की शुगर डाउन हो जाती है और वह बेहोश होकर नीचे गिर जाता है
उधर रात के समय रजनीकांत अब्दुल का एक ट्रक भी पकड़ लेता है जिसमें अनुमान लगाया जाता है कि ट्रक के अंदर 90 लाख के स्टैंप पेपर थे अब यह खबर फैल जाती है और सांसद तक पहुंच जाती है अपोजिशन पार्टी के लीडर अन्ना को कीचड़ उछालने का मौका मिल जाता है और बात बिगड़ जाती है अब्दुल हॉस्पिटल में था तो उसके पास सलीम का फोन आता है वह बताता है कि बेंगलोर में हमारा ट्रक पकड़ा गया तुम्हें पता है ना उसके पीछे किसका हाथ है फिर अब्दुल बेंगलोर पहुंच जाता है वो शेख को लेकर राजेश के पास जाता है अब्दुल राजेश को कहता है कि मुझे मेरे सारे आदमी बाहर चाहिए और एसपी रजनीकांत की लगाम को थोड़ा टाइट करो राजेश कहता है बस 10-15 दिन की बात है मैं तुम्हें क्लीन चीट दिलवा दूंगा फिर अब्दुल उसे ₹1 करोड़ हैंड ओवर कर देता है और कहता है कि यह मेरा छोटा सा योगदान है अब इन पैसों से कन्नड सुपरस्टार जीवराम को भी छुड़ा लिया जाता है फिर वापस बंबे जाकर अब्दुल डॉक्टर अमर बेदी से मिलने जाता है डॉक्टर उसे बताता है कि तुम्हारी टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है यू आर एचआईवी पॉजिटिव अगर तुम इसी तरह से इधर-उधर भटकते रहे तो तुम्हें जल्द ही एड्स भी हो जाएगी यह बात सुनकर अब्दुल टेंशन में आ जाता है फिर वह अपनी छम्मक छल्लो के पास जाता है और गुस्से में उस पर चिल्लाने लगता है वो कहता है तूने मुझे गंदी बीमारी दे दी लेकिन उल्टा वो लड़की उसके सिर पर चढ़ जाती है वो कहती है चला जा यहां से नहीं तो चप्पल से पीटू तूने मेरी लाइफ खराब कर दी तूने मुझे भी यह बीमारी दे दी होगी जाके संभाल अपनी वाइफ को कहीं तूने यह बीमारी उसे भी तो नहीं दे दी फिर जेके उसे समझाता है कि तुझे एक बार तो जाकर भाभी से मिलना चाहिए फिर वह अपनी वाइफ के पास जाता है वो अपनी वाइफ को मनाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन उसकी वाइफ अबकी बार उसकी बातों में नहीं आती फिर वह अपनी वाइफ को कहता है कि अगर तू कहती है तो मैं अजमेर जाकर कसम खा लूंगा कि आज के बाद मैं तुमसे कभी झूठ नहीं बोलूंगा फिर नवंबर 2001 में अब्दुल अपनी वाइफ के साथ अजमेर शरीफ की दरगाह जाता है दूसरी तरफ रजनीकांत अपोजिशन लीडर अन्ना के पास जाता है और उसे बताता है कि मैंने स्टैंप पेपर केस पर पूरी छानबीन करके 26 नामों का पता लगाया लेकिन बदले में उन्होंने मुझे इस केस से हटा दिया अब यह नाम मैं आपको दे रहा हूं शायद आप ही कुछ कर पाओ फिर अन्ना सांसद में जाकर सरकार को धमकी देता है कि अगर जल्द ही कोई कार्रवाई ना हुई तो मैं खुद को जला लूंगा
फिर डीजीपी मैडम कमिश्नर अरविंद को अपने पास बुलाती है और पूछती है कि इन नामों में से कितने लोगों पर कार्रवाई की कमिश्नर चुप रहता है फिर वह कहती है कि यह सबसे आखिरी वाला कौन है अब्दुल करीम तेलगी यह किसी पार्टी का बंदा नहीं लगता उठा लो इसे फिर कमिश्नर यह बात जाकर राजेश को बताता है राजेश कहता है तो इंतजार किसका है उठा लो उसे फिर कमिश्नर खुद अब्दुल को गिरफ्तार करने के लिए अजमेर शरीफ की दरगाह आ जाता है उसे एक बार फिर से उसकी फैमिली के सामने ही गिरफ्तार कर लिया जाता है वहां राजेश भी आया था अब्दुल कहता है ₹15 करोड़ दिए थे मैंने ताकि मुझे कोई हाथ ना लगा पाए राजेश कहता है हमारे पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं है सिर्फ 90 दिन की बात है तब तक अन्ना चुप हो जाएगा और तू भी बेल पर बाहर आ जाएगा जेल में तुझे कोई भी कमी नहीं होने देंगे फिर अब्दुल करीम तेलगी को पकड़कर जेल में ले जाते हैं और इसी के साथ 6th एपिसोड खत्म हो जाती है

7th एपिसोड की शुरुआत जनवरी 2001 से होती है जहां जेके सलीम वकील के साथ बेंगलोर की जेल में जाता है वह अब्दुल को बताता है कि सबको लगता है तुम्हारा धंधा बंद होने की कगार पर है इसलिए सबको अपना-अपना पैसा चाहिए फिर अब्दुल कहता है और ज्यादा माल छापो और सबको ज्यादा रुपया कमाके दो मुझे शेख ने फंसाया है उसका तो मैं कोई और हल निकालूगा फिर अब्दुल शेख पर एलिगेशन लगाता है कि वह भी इस धंधे में मेरे साथ जुड़ा हुआ है अपोजिशन इस बात को खूब उछाल रही हैं वकील आकर बताता है कि शेख की मिनिस्ट्री चली गई है अब स्टेट गवर्नमेंट ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम तैयार की है स्पेशल अपने केस के लिए लेकिन अब्दुल को लगता था कि मुंबई हो या कर्नाटक सारे पुलिस वाले उसकी जेब में हैं फिर डीजीपी मैडम सूर्य प्रताप गहलोत को अपने पास बुलाती है और उसे बताती है कि तेलगी की 90 दिन की जुडिशियस कस्टडी एक हफ्ते में खत्म होने वाली है अब्दुल बाहर नहीं जाना चाहिए और हां शेख से दूर रहना फिर सूर्य प्रताप गहलोत अपनी एक छोटी सी टीम बना लेता है फिर वे अब्दुल से सवाल जवाब करने के लिए कोर्ट की परमिशन मांगते हैं लेकिन उन्हें परमिशन नहीं मिलती फिर सूर्य प्रताप रजनीकांत के पास जाता है रजनीकांत कहता है छोड़ो सर इस केस को वरना आपका भी मेरे जैसा हाल होगा सूर्य प्रताप कहता है मैं छोडूंगा नहीं निचोड़ दूंगा तुम बस यह बताओ कि इतनी जल्दी 26 नामों तक पहुंचे कैसे रजनीकांत कहता है सर 26 नहीं 25 नाम थे अब्दुल करीम तेलगी का नाम तो डीसीपी ने बाद में डाला है अब्दुल का नाम जानबूझकर जोड़ा गया है
फिर सूर्य प्रताप जाता है वकील के पास वकील उसे इनडायरेक्टली रिश्वत ऑफर करता है लेकिन उसे यह नहीं पता था कि सूर्य प्रताप ईमानदार ऑफिसर है सूर्य प्रताप कहता है अब्दुल को बोल देना जब तक नियम कानून से चल रहा हूं चल रहा हूं और एक बार उसके पीछे पड़ गया तो सारे नियम टूट जाएंगे फिर वकील यह बात जाकर अब्दुल को बताता है कि सूर्य प्रताप में बहुत अकड़ है अगर उसके हाथ अपने खिलाफ कुछ भी लग गया तो वह सॉलिड पंचनामा करेगा उधर सूर्य प्रताप जो बाकी के 25 नाम थे उन लोगों के भी पीछे पड़ जाता है लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगता फिर सूर्य प्रताप डीजीपी मैडम के पास जाता है और कहता है कि हमारे पास सफिशिएंट एविडेंस नहीं है तेलगी को बेल मिल जाएगी और जो यह 25 नाम है यह सब फेक हैं इन नामों के कोई आदमी नहीं है मैडम कहती है इसीलिए तो यह केस तुमको सौंपा गया है फिर सूर्य प्रताप जो माल ट्रक में से बरामद हुआ था वो देखने के लिए जाता है और कहता है कि दोबारा से इसका वजन करो देखते हैं कितने का माल है माल 90 लाख का नहीं बल्कि 9 करोड़ का था फिर सूर्य प्रताप मुंबई जाता है सबसे पहले वो अब्दुल की छमिया प्रवीणा के पास और पूछता है कि वह तेरे से क्या-क्या बात करता था प्रवीणा कहती कहती है कि मुझे सिर्फ यह पता है कि उसका शादी के कार्ड छापने का बिजनेस है
उसके अलावा उसके बारे में कुछ नहीं पता फिर वह उस जगह जाता है जहां अब्दुल ने प्रेस लगा रखी थी अंदर अभी भी मशीन चालू थी और पेपर छप रहे थे पुलिस वाले ताला तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करते हैं लेकिन ताला टूटने की आवाज से वहां पर एरिया के लोग इकट्ठे हो जाते हैं और उन सब पुलिस वालों को वहां से भगा देते हैं फिर सूर्य प्रताप उस मोहल्ले के पास पड़ा कचरे का डब्बा चेक करता है कचरे में उसे वेस्ट स्टैंप पेपर मिलते हैं और स्टैंप पेपर में यूज होने वाली इंक का खाली डब्बा भी मिलता है
आज अब्दुल की रिहाई का दिन था लेकिन सूर्य प्रताप पंचनामा करता है और कोर्ट में चार्ज शीट फाइल कर देता है वो जज को बताता है कि सर अब सवाल 90 लाख का नहीं बल्कि 9 करोड़ का है पहले कैलकुलेशन ठीक से नहीं की गई थी अगर इतने रुपए के स्टैंप पेपर किसी सरकारी दफ्तर से चोरी होते तो चोरी अब तक पकड़ी जाती लेकिन यह स्टैंप पेपर चोरी नहीं हुए बल्कि अब्दुल तेलगी की प्रेस में छापे गए हैं एक ट्रक में 9 करोड़ का माल मिला है ऐसे ही कितने ट्रक देश भर के अलग-अलग राज्यों में गए हो होंगे मेरा अनुमान है कि 1 साल में 2500 से 3000 करोड़ के नकली स्टैंप पेपर देश भर में बांट दिए जाते हैं यह कोई फ्रॉड नहीं स्कैम है फिर अब्दुल राजेश के पास फोन करता है और कहता है कि मैं छोटे से लेकर बड़े सबकी जेब भरता हूं और तुम लोग मुझे बेल भी नहीं दिला पाए राजेश कहता है सूर्य प्रताप ने इतना बड़ा आंकड़ा खोला है अब मैं कुछ नहीं कर सकता आंकड़ा बड़ा है तो अब हिसाब भी बड़ा होगा दोबारा जेल जाने के कारण अब्दुल फड़फड़ा रहा था और अपने लकड़ बग्गों को फोन कर रहा था उसका यह फोन सूर्यकांत की टीम टैप कर लेती है फिर सूर्य प्रताप मिनिस्टर के पास जाता है और उन्हें बताता है कि हमने उसके फोन को टैप किया है अब हमें परमिशन चाहिए कि महाराष्ट्र में जाकर छानबीन कर सकें लेकिन मिनिस्टर का पीए राजेश कहता है आपके पास महाराष्ट्र के जितने भी फाइंडिंग्स हैं वो आप हमें दे दीजिए हम यह मुद्दा असेंबली में रखेंगे असेंबली में सबसे ज्यादा मोरे चिल्लाता है और सबसे ज्यादा माल भी इसी ने खाया था वो कहता है कि यह मौजूदा सरकार की नाकामयाबी है जो उनकी नाक नीचे इतना बड़ा स्कैम हो गया अब बात तो सही थी कि महाराष्ट्र में दोनों ही पार्टी वाले अब्दुल के दोस्त थे फिर जादव पुणे के पुलिस कमिश्नर जगदीश सूरी के पास फोन करता है जादव कहता है कि अब्दुल को अपने अंडर कर लो और गले से बांध कर रखो फिर मैं तुम्हारा प्रमोशन करके मुंबई में ले आऊंगा फिर वो डीजीपी मैडम हलानी को बेंगलोर भेजता है वो अब्दुल को कर्नाटक से निकलने में मदद करने के लिए आई थी व अब्दुल की बात जादव के पीए से करवाती है वह कहता है कि हम आपको वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं फिर अब्दुल मैडम को कहता है कि मैं जान गया कि आप पावरफुल हैं लेकिन मैं भी कोई कम पावरफुल नहीं हूं सबसे ज्यादा पावर पैसे में होती है और वो मेरे पास बहुत है आप मुझे यहां से बाहर निकालो आपकी भी सेवा की जाएगी हलानी कहती है कि तुम्हें निकालने के लिए एक गाड़ी भरकर स्टैंप पेपर लगेंगे फिर उसके जाने के बाद अब्दुल रावत के पास फोन करता है और पूछता है कि यह हलानी कौन है रावत कहता है कि वह एक नंबर की हारामी औरत है है तुझे वहां से सिर्फ वही निकाल सकती है
फिर पुणे हाईवे के पास पुलिस वालों को एक स्टैंप पेपर से भरी हुई कार मिलती है फिर जगदीश सुरी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सबको बताता है कि हम ने एक स्टैंप पेपर से भरी हुई गाड़ी पकड़ी है हमें शक है कि इस केस में अब्दुल करीम तेलगी कनेक्टेड है अब सूर्य प्रताप भी एक रिकॉर्डिंग सुन रहा था जिसमें अब्दुल किसी को बोल रहा था कि एक बार महाराष्ट्र आने दो वनटू का फर नहीं बल्कि टू का 400 बना के दूंगा इसी के साथ सेवंथ एपिसोड खत्म हो जाता है
8th एपिसोड में हम देखते हैं कि सूर्य प्रताप मिनिस्टर के पास जाता है और कहता है कि महाराष्ट्र की सरकार जोर लगा रही है कि वे तेलगी को निकालकर महाराष्ट्र ले जाए लेकिन हम ऐसा नहीं होने दे सकते फिर मिनिस्टर कहता है कि आप यह कैसेट हमारे पास छोड़ दीजिए बाकी का काम हम संभाल लेंगे फिर राजेश मिनिस्टर को कहता है कि हमें कुछ करना होगा ताकि तेलगी कर्नाटक से बाहर ना जा पाए फिर असेंबली में कर्नाटक का मंत्री प्रस्ताव रखता है कि तेलगी के साथ महाराष्ट्र के कई मंत्री जुड़े हुए हैं इसलिए मैं गुजारिश करता हूं कि तेलगी को महाराष्ट्र ना भेजा जाए फिर सूर्य प्रताप तेलगी से मिलने के लिए जेल जाता है और उससे सवाल करता है कि आप इस व्यवसाय में कब से हैं जब उन्हें सही जवाब नहीं मिलता तो पुलिस वाले टाइम बे टाइम तेलगी को सवाल-जवाब के लिए तंग करने लगते हैं अब दिन हो या रात उसे बार-बार यही सवाल पूछे जा रहे थे तेलगी कहता है कि आप कितनी भी कोशिश कर लीजिए मेरी तकदीर बदलने में आपको सालों लग जाएंगे अब महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकार तेलगी को लेकर एक दूसरे के साथ भिड़ गई थी और दूसरी तरफ दोनों स्टेट की रूलिंग पार्टी 2004 में होने वाले इलेक्शन के लिए एक दूसरे के साथ महागठबंधन बनाने में जुटी थी अब्दुल वकील को बुलाता है और कहता है कि तीन महीने से ज्यादा हो गए हैं मैं बाहर आना चाहता हूं कुछ भी करके मुझे बाहर निकालो फिर वकील देव साहब के पास आने वाले इलेक्शन के लिए मिठाई पहुंचाता है कर्नाटक में राजेश मंत्री शशिधर को कहता है कि अब शेख को सूली पर चढ़ाने का समय आ गया है अब फाइनली शेख अंदर और अब्दुल कर्नाटक की जेल से बाहर आ गया था जब यह बात सूर्य प्रताप को पता चलती है तो वह जेल में आकर उछल कूद करता है मैडम हलानी कहती है कि कोर्ट का ऑर्डर है पूछताछ के लिए महाराष्ट्र लेकर जा रहे हैं फिर अब्दुल सूर्य प्रताप को कहता है कि सर आपने सही सुना था मैं पैसे कमाता नहीं बनाता हूं अब तेलगी उनकी नाक नीचे से निकल जाता है और सूर्य प्रताप की हेकड़ी धरी की धरी रह जाती है
अब्दुल को पुणे की सेंट्रल जेल में पहुंचा दिया जाता है रात को जब अब्दुल खाना खा रहा था तो पुलिस वाले आकर उसे धोते हैं पुलिस वाले पूछते हैं बता तुम्हारी कितनी बड़ी सिंडिकेट थी अब्दुल कहता है जाकर जादव से पूछ पुलिस वाले कहते हैं अगर किसी मंत्री का नाम लिया तो हर रोज आकर तुझे ऐसे ही मारेंगे फिर अब्दुल वकील से पूछता है कि यह क्या हो रहा है दो पुलिस वाले मुझे मार कर गए हैं वकील बताता है कि उन्होंने अपने दो वेयरहाउस पर रेड भी मारा है अब यह सब अपने हिसाब से काम कर रहे हैं जादव सूरी हलानी इन सब का इरादा अब तुझे जेल में ही सुली चढ़ाने का है अगले दिन वे पुलिस वाले फिर से आते हैं और अब्दुल को मारते हैं फिर अब्दुल कहता है मारने आए हो मुझे मारो सालो एड्स है तुझे एक पप्पी ले लूंगा तो तुमको भी एड्स हो जाएगी आओ किधर भाग रहे हो अब्दुल भी एक नंबर का हरामखोर था अब वो अपने तेज दिमाग के घोड़े को दौड़ते है
अब उसके मुंबई के लक्कड़ बग्गगे उसे बंबे लाने की प्लानिंग कर रहे थे क्योंकि उन्हें पता था कि हलानी उसे पीट-पीट कर मार डालेगी अब्दुल के कहने पर वे सुलेमान के मर्डर का इल्जाम अब्दुल करीम तेलगी पर लगा देते हैं अब उसे ट्रायल के लिए मुंबई लाने का ऑर्डर मिल जाता है अब फाइनली उसके खुद के लक्कड़ बग्गगे उसे पुणे से मुंबई ले जाने के लिए आ गए थे अब वहां पर हलानी आ जाती है और उछल कूद दिखाती है अब तेलगी अपना दिमाग चलाकर हलानी की नाक नीचे से निकल गया था अब्दुल को पुलिस स्टेशन में 15 दिन की कस्टडी मिलती है कोर्ट में जब जज साहब उससे पूछते हैं कि क्या तुम अपना जुर्म कबूल करते हो तो अब्दुल मना कर देता है फिर रावत उसे उसकी वाइफ और बेटी से मिलने के लिए भेजता है नफीसा उसे घर के अंदर नहीं आने देती क्योंकि अब्दुल के कारण उसकी भी जिंदगी खराब हो गई थी फिर वो अपनी बेटी को कहता है कि मम्मी का ख्याल रखना और पढ़ाई पर ध्यान देना सांसद में मोरे फिर से सवाल उठाता है कि पुलिस अपनी इन्वेस्टिगेशन क्यों नहीं कर रही क्या सरकार अब्दुल के साथ मिली हुई है फिर खाली दिखावे के लिए जाधव इन्वेस्टिगेशन शुरू करवाने का फैसला लेता है
अब अब्दुल करीम तेलगी कभी भी अंदर से बाहर और बाहर से अंदर आ जा सकता था वापस अपने शहर आकर अब्दुल खुश था इसीलिए वो पार्टी करता है उसकी पार्टी में उसके सारे लक्कड़ बग्ग आए थे उसके साथी उसे बताते हैं कि जाधव ने एक टीम बनाई है और तुम्हारा केस प्रमोद जयसिंह को दिया है और उसको बताया गया है कि तुम्हारा काम है कुछ भी काम ना करना अब्दुल को प्रमोद जयसिंह की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी और यही उसकी सबसे बड़ी गलती होने वाली थी अब वह खुद को मुंबई का किंग समझने लगा था क्योंकि मुंबई के सारे करप्ट पुलिस वाले और मंत्री संत्री सब उसके साथ थे उस रात वे खूब मौज मस्ती करते हैं
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9th एपिसोड में देखते हैं कि कहीं ये उसकी आखिरी मौज मस्ती तो नहीं थी अब्दुल स्टैंप पेपर की खुशबू सूंघने के लिए तरस गया था इसलिए वह अपनी प्रेस में जाता है और वहां काम करने वाले सभी वर्कर्स को उसके गैर हाजिरी में में भी मशीन रुकने नहीं दी उसके वर्कर्स और मोहल्ले वाले सब अब्दुल को दोबारा काम पर देखकर खुश होते हैं उधर जयसिंह को अपनी नई एसआईटी टीम मिल गई थी और उसकी टीम में सब लोग बूढ़े शेर थे बिना दांत वाले जयसिंह को अब्दुल की जो फाइल मिली थी उसमें सिर्फ चार पेज थे तभी उसके साथी बताते हैं कि हम लोगों को वो केस दिया जाता है जो कभी सॉल्व ही ना करना हो फिर जयसिंह से मिलने के लिए सूर्य प्रताप आता है वो जयसिंह को बताता है कि पूरे सिस्टम में कोई भी नहीं चाहता कि हम यह केस सॉल्व करें जयसिंह कहता है सर कुछ भी हो जाए मैं यह केस सॉल्व करके ही रहूंगा फिर सूर्य प्रताप उसे चार फाइलें देता है जिसमें उसकी सात महीने की मेहनत थी फिर जयसिंह अपने बिना दांत वाले शेरों के पास जाता है और उनको सूर्य प्रताप की दी हुई फाइलें देकर कहता है बिना दांत वाला शेर शिकार को खा नहीं सकता लेकिन उसे मार तो सकता है फिर वे बूढ़े शेर नासिक प्रेस में जाकर मधुसूदन मिश्रा को घेर लेते हैं मिश्रा जी के पास उनके सवालों का कोई भी जवाब नहीं था फिर वे जाते हैं भराड़े के पास और सवालों की झड़ी लगा देते हैं फिर जयसिंह शिंदे से जाकर पूछता है कि पुलिस को कैसे पता चला इस केस में तेलगी इवॉल्व है दूसरी तरफ अब्दुल खानापुर अपनी मां से मिलने जाता है पुलिस वाले उसके साथ ही जाते हैं क्योंकि ऑफिशियल तो वह एक कैदी था फिर वहां वह अपनी पत्नी और बेटी से मिलता है फिर सलीम अब्दुल को अपने फ्यूचर पर डिस्कस करने के लिए घुमाने ले जाता है अब्दुल कहता है कि अपना फ्यूचर सेट है सारा सिस्टम अपनी जेब में है अपने को कोई भी हाथ नहीं लगा सकता
लेकिन सलीम पूछता है कि मेरे फ्यूचर के बारे में क्या मुझे 5 हजार भी चाहिए होते हैं तो मुझे आपसे मांगने पड़ते हैं जब तक यह नाव चल रही है चल रही है कल को यह नाव डूब गई तो मैं क्या करूंगा तुम्हारे साथ मैंने भी मेहनत की है मुझे उसकी कीमत चाहिए फिर अब्दुल उसकी चप्पल से पिटाई करता है जिस हलवे के एक चम्मच के लिए अब्दुल तरसा करता था अब वैसा ही हलवा वह पूरे गांव में बटवाता है फिर वह अनाउंस करता है कि जिसको जो भी चाहिए मांग लो आज सबकी इच्छा पूरी होगी लेकिन उसका भाई इस बात से नाखुश था अब्दुल के साथ उसके लकड़ बग्गगे भी चार दिन से पुलिस स्टेशन से गायब थे और जयसिंह उनको चार दिन से ढूंढ रहा था फिर वो मैडम हलानी से पूछताछ करने जाता है और उसके बाद जाता है वह जगदीश सूरी के पास जयसिंह की इन्वेस्टिगेशन के कारण अब जादव भी परेशान हो गया था फिर वह जयसिंह से मिलने के लिए जाता है और उससे पूछता है कि अब तक उसने क्या किया जयसिंह बताता आता है कि हवलदार से लेकर कमिश्नर तक और कुछ आपके साथी भी सब तेलगी से मिले हुए हैं
फिर मुद्दे से भटकाने के लिए मुंबई में ब्लास्ट कराए जाते हैं ताकि तेलगी का केस ठंडा हो जाए फिर जयसिंह सूर्य प्रताप से मिलता है और उसे बताता है कि जब तक तेलगी महाराष्ट्र में है उसको कोई छू भी नहीं सकता क्योंकि इस चोर ने पुलिस वालों को सोने की हथकड़ी पहना रखी है हमें उसका एड्रेस चेंज करना होगा फिर जयसिंह और सूर्य प्रताप अब्दुल को अनऑफिशियली उसके घर से उठा लेते हैं महाराष्ट्र की पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगता फिर सीपी जगदीश सूरी सूर्य प्रताप से पूछता है कि यह तुम लोग क्या कर रहे हो सूर्य प्रताप कहता है सर आप मीडिया वालों को ना तो यह कह सकते हो कि हमने जेल ब्रेक करके तेलगी को उठाया है और ना ही आप यह कह सकते हो कि हमने उसको उसके घर से उठाया है दोनों ही सूरत में उंगली आपके ऊपर उठेगी तेलगी को अनऑफिशियली कर्नाटक पहुंचा दिया जाता है
संजय सिंह यह एक ईमानदार रिपोर्टर है इसके पास एक अज्ञात नंबर से किसी अज्ञात आदमी का फोन आता है और इसको तेलगी के रिलेटेड एक फाइल देता है फिर संजय सिंह उस पर रिसर्च करके अपने एडिटर से सीपी सूरी का इंटरव्यू लेने की परमिशन मांगता है इंटरव्यू शुरू तो होता है मुंबई ब्लास्ट से लेकिन खत्म होता है स्टैंप पेपर पर संजय सिंह बताता है कि प्रमोद जयसिंह की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में छोटे से लेकर बड़ा पुलिस वाला सब अब्दुल करीम तेलगी से मिले हुए हैं इस घोटाले में कई मंत्री भी शामिल हैं यह बात सुनकर सबको दस्त लग जाते हैं मोरे सदन में चिल्लाता है कि अगर इस केस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मैं यहीं अनशन पर बैठ जाऊंगा फिर वकील आकर अब्दुल को बताता है कि अब मुंबई से कोई भी तुम्हारी हेल्प नहीं करेगा अब अपनी धोती बचाने के चक्कर में जाधव सीपी जगदीश सुरी को भेजकर खुद के ही एक गोडाउन पर रेड डलवा आता है जो उसने तेलगी को दे रखा था उसमें 2000 करोड़ के स्टैंप पेपर पाए जाते हैं अब पुलिस की भी नाक बच गई थी सीपी सूरी इंटरव्यू देते हैं कि अब महाराष्ट्र पुलिस और कर्नाटक पुलिस इस केस पर मिलकर काम करेगी जब यह बात अब्दुल को पता चलती है तो वह उदास होने की बजाय खुश हो जाता है और कहता है कि सबकी फटी पड़ी है यह सोचकर कि मेरे मुंह से किस-किस के नाम निकलेंगे और यहीं पर नाइंथ एपिसोड खत्म हो जाता है
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10th एपिसोड में हम देखते हैं कि काफी दिनों से स्टैंप पेपर केस में कोई भी खास हलचल नहीं हुई थी इसलिए एक जानेमाने सोशल एक्टिविस्ट दत्ता दादा ने 2003 में एक पीआईएल फाइल कर दी और कहा कि मैं आम जनता का पैसा किसी और को खाने नहीं दूंगा जितने भी लोग तेलगी के साथ जुड़े हैं सबको सजा दिलवाऊंगा अब जगदीश सूरी को भी चिंता थी कि रिटायरमेंट से पहले उसके ऊपर कोई एलिगेशन ना लग जाए फिर पेपर में न्यूज़ आती है यह न्यूज़ तेलगी पढ़ लेता है फिर वह इंस्पेक्टर डोंबे के पास फोन करता है डोंबे कहता है जयसिंह किस-किस को गिरफ्तार करेगा तुम चिंता मत करो कुछ भी नहीं होने वाला डोंबे ने जयसिंह को जितना भी आंका था कम ही आंका था जयसिंह अब्दुल करीम तेलगी के सभी लकड़ बग्गों को गिरफ्तार कर लेता है जिसमें मैडम हलानी मधुसूदन मिश्रा और सीपी जगदीश सूरी भी शामिल थे अब कर्नाटक सरकार को भी टेंशन होने लगी थी क्योंकि वहां भी तेलगी के कुछ लकड़ बग्ग थे वकील अब्दुल को जाकर बताता है कि मैंने मशीनें कहीं और शिफ्ट करवा दी हैं जेके और सलीम छुपे हुए हैं अब्दुल कहता है कि अब मुझे यह साबित करना होगा कि यह सब मैंने अकेले नहीं किया कुछ इंपोर्टेंट लोग हैं जिन्होंने मेरे साथ मिलकर काम किया है ताकि फोकस सिर्फ एक मछली पर ना आए बल्कि पूरे तालाब पर आए
लेकिन इंडिया की सच्चाई यह है कि पैसा चाहे हार जाए पावर कभी नहीं हारती फिर अब्दुल की मां उसके पास फोन करती है और कहती है कि बेटा तूने पैसा तो बहुत कमा लिया लेकिन बदनामी उससे भी ज्यादा कमा ली मुझे मेरा वही पुराना अब्दुल लौटा दे अब पुलिस नारको टेस्ट करवाने का प्लान बना रही थी जो अब तक इंडिया में दो या तीन बार ही किया गया था यह पुलिस की नेक्स्ट लेवल इन्वेस्टिगेशन थी अकॉर्डिंग टू रूल किसी की मर्जी के बिना उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जा सकता था वकील अब्दुल को कहता है कि तुम पेपर पर साइन मत करना फिर सूर्य प्रताप नार्को टेस्ट के पेपर लेकर अब्दुल के पास जाता है अब्दुल के दिमाग में पता नहीं क्या प्लानिंग चल रही थी वह पेपर पर साइन कर देता है अब्दुल आदमी जरूर छोटा था लेकिन उसकी कहानी बहुत बड़ी थी जो अभी खत्म नहीं हुई थी दिसंबर 2003 में अब्दुल का नारको टेस्ट किया जाता है उस टेस्ट में उसके साथी पॉलिटिशियन का नाम पूछा जाता है अब्दुल जाधव शेख और धूमल का नाम लेता है और बताता है कि अब यह लोग मुझे मरवाने की कोशिश करेंगे अब यह वीडियो फुटेज हर टीवी चैनल की न्यूज़ बन जाती है वकील इंटरव्यू देता है कि अब्दुल तो एक छोटा सा प्यादा है असली महारथी तो पॉलिटिशियन हैं अब 2 साल बीत जाते हैं अब्दुल की मां का देहांत हो जाता है सलीम अब्दुल को कहता है कि मां ने बहुत इंतजार किया तेरा तुझे तरसती हुई ही चली गई फिर सलीम अब्दुल से मयत का खर्चा मांगता है और कहता है कि मैंने बहुत खर्चा किया है इस पर अब्दुल फिर से उसे पीट देता है क्योंकि उसके काम ही मार खाने वाले थे
मार्च 2005 में अब्दुल सूर्य प्रताप को मिलने के लिए बुलाता है और कहता है कि मैं एक किताब लिखना चाहता हूं जिसमें हर उस इंसान का जिक्र होगा जिसको आप पकड़ना चाहते हैं उनका नाम पता और सबूत सब कुछ मेरे पास है अब कर्नाटक के पॉलिटिशियन को भी खतरा हो गया था फिर वे एक गेम खेलते हैं वे भारत के अलग-अलग राज्यों से अब्दुल के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाते हैं मामला पहुंचता है सुप्रीम कोर्ट के पास और कोर्ट का ऑर्डर आता है कि यह केस अब स्टेट एजेंसी नहीं बल्कि सेंट्रल एजेंसी संभालेगी जैय सिंह और सूर्य प्रताप से यह केस वापस ले लिया जाता है 2007 में स्टैंप पेपर पर सुनवाई होनी थी वकील बताता है कि वे अब आपकी पत्नी नफीसा की गवाही लेने वाले हैं फिर पुणे कोर्ट में नफीसा को लाया जाता है अब्दुल अपनी बेटी और पत्नी से मिलता है नफीसा कहती है कि मैंने तुम्हारी टूटी हुई चप्पल देखकर तुमसे शादी की थी तब तुम्हारे पांव जमीन पर थे फिर वह अब्दुल को कोसती है और और कहती है कि अगर तुम सब कुछ ठीक करना चाहते हो तो खत्म कर दो यह सब कुछ तुमने मेरी जिंदगी तो खराब कर दी कम से कम अपनी बच्ची की जिंदगी तो खराब होने से बचा लो
फिर अब्दुल कोर्ट में बयान देता है this whole scame was deside and exiguate by me इस स्कैम के लिए मैं अकेला ही जिम्मेदार हूं नारको टेस्ट जो मेरे ऊपर किया गया था वो फेक था और उस टेस्ट में मैंने जिन-जिन लोगों के नाम लिए थे मैं उनसे कभी मिला ही नहीं अपनी वाइफ के कहने पर अब्दुल ने जुर्म कबूल कर लिया था फिर संजय सिंह उससे पूछता है कि आपने किसी का नाम क्यों नहीं लिया अब्दुल कहता है कि इस सिस्टम से लड़ते-लड़ते मुझे सिस्टम से प्यार हो गया था बस इसीलिए मैंने सिस्टम के किसी बंदे का नाम नहीं लिया 10 साल बाद 23 अक्टूबर 2017 को बेंगलोर की जेल में अब्दुल बेहोश पाया गया फिर उसे हॉस्पिटल एडमिट कराया गया अब वह हर पल अपने बीते हुए समय को याद करता था
हर वह इंसान जिसने उसके अच्छे बुरे समय में उसका साथ दिया वह पल-पल उन्हें याद करता था फिर उसी हॉस्पिटल में ही अब्दुल करीम तेलगी की मौत हो जाती है 30000 करोड़ का स्कैम करने वाला खाली हाथ अपने अंतिम सफर पर निकल पड़ता है कुछ दिन बाद वकील और जेके अब्दुल की वाइफ नफीसा के पास जाते हैं वे उसे अब्दुल की खरीदी हुई प्रॉपर्टी और उसके बैंक अकाउंट डिटेल्स सब कुछ नफीसा को सौंप देते हैं फिर दिसंबर 2017 में अब्दुल की वाइफ अब्दुल के कमाए हुए काले पैसे से खरीदी हुई प्रॉपर्टी सरकार को सरेंडर कर देती है 1998 से लेकर 2002 के बीच स्टांप पेपर्स की मात्रा को देखते हुए फाइनेंस मिनिस्टर ने सभी स्टम पेपर्स को इलीगल घोषित कर दिया अब्दुल ने किसी की जिंदगी खराब नहीं की थी किसी का घर नहीं उजाड़ा था जो भी पैसा कमाया गवर्नमेंट से कमाया था उसने किसी आम इंसान को नहीं लूटा था जैसे गवर्नमेंट लूट रही है
हालांकि यह पैसा उसका नहीं था यह पैसा देश की जनता का था वो पैसा जो अब्दुल ने कमाया गरीबों की वेलफेयर स्कीम में लग सकता था स्कूल कॉलेज और हॉस्पिटल बन सकते थे अब्दुल झुग्गी में पैदा हुआ उधर ही बड़ा हुआ दूसरों का झूठा खाना खाया ट्रेन की पटरी पर हकता था जिस सिस्टम ने उसे गरीब बनाकर रखा था उसी सिस्टम को जेब में करके अब्दुल ने अपनी गरीबी मिटाई अगर अब्दुल इस सिस्टम को नहीं तोड़ता तो यह सिस्टम कब का अब्दुल को तोड़ चुकी होती दोस्तों मेरा मानना है कि पैसा कमाओ खूब पैसा कमाओ लेकिन सही तरीके से मैं किसी स्कैम या फ्रॉड को प्रमोट नहीं करता अगर आपके पास परिवार हैं और अच्छे दोस्त हैं तो आप दुनिया के सबसे अमीर इंसान हैं क्योंकि अंत समय में आपके साथ रिश्ते खड़े होते हैं पैसा नहीं
यह स्टोरी सच्ची घटना पर आधारित थी आप इसे शेयर कर सकते हैं ताकि आपके दोस्तों और आपके रिश्तेदारों को भी पता चले कि फ्रूट बेचने वाले ने किस तरह से पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया था
तो फ्रेंड्स अगर आप मूवी देखने के शौकीन है या फिर मूवी को देखने पहले से मूवी की स्टोरी को जानना चाहते हैं या फिर मूवी आपके लिए है या नहीं है या आपके पैसे कहीं वेस्ट ना हो तो हमारे इस चैनल पर आपको इसी तरह के वीडियो मिलते रहेंगे अगर यह रिव्यू आपको पसंद आया हो तो इस Blog को लाइक करें अगर आपने इस Web Series को देख लिया है तो हमें कमेंट करें कि आपको यह Web Series कैसी लगी और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि हमारे आने वाले मूवी रिव्यू के वीडियो सबसे पहले पहुंचे आप तक तो फ्रेंड्स मिलते हैं नेक्स्ट Blog में फिर किसी और धमाकेदार मूवी के रिव्यु के साथ तब तक के लिए आप हमें दें इजाजत धन्यवाद
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