'नखरेवाली' एक हिंदी ड्रामा फिल्म है जो 14 फरवरी 2025 को रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन राहुल शंकल्या ने किया है और इसमें अंश दुग्गल और प्रगति श्रीवास्तव मुख्य भूमिकाओं में हैं।

फिल्म का निर्माण कलर येलो प्रोडक्शंस और जियो स्टूडियोज़ ने मिलकर किया है।

"नखरेवाली" फिल्म की कहानी एक युवा प्रेम कहानी को नए और अनोखे अंदाज में पेश करती है।

फिल्म की कहानी एक छोटे शहर के लड़के (अंश दुग्गल) और लड़की (प्रगति श्रीवास्तव) के इर्द-गिर्द घूमती है। लड़का एक सीधा-सादा, सपने देखने वाला युवक है, जबकि लड़की आत्मनिर्भर और अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली होती है। उनकी पहली मुलाकात एक मजेदार स्थिति में होती है, और धीरे-धीरे वे एक-दूसरे के करीब आने लगते हैं। लेकिन समाज की कुछ पुरानी धारणाएं और पारिवारिक दबाव उनके रिश्ते को चुनौती देने लगते हैं।



प्यार, नखरे और समाज – ये तीनों मिलकर एक ऐसी कहानी बनाते हैं जो दिल को छू जाती है। "नखरेवाली" सिर्फ एक रोमांटिक फिल्म नहीं, बल्कि यह उन अनकही कहानियों का प्रतिबिंब है, जो हर छोटे शहर में कहीं न कहीं घटती हैं। इस कहानी में प्यार है, परिवार का दबाव है, समाज की सोच है, और सबसे बढ़कर, अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष है।

लड़के (अंश दुग्गल) और लड़की प्रगति श्रीवास्तव) मुलाकात की पहली झलक

अंश (अंश दुग्गल) एक छोटे शहर में रहने वाला साधारण लड़का है। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से आता है, जिसकी ज़िंदगी के सपने उसके माता-पिता और समाज की अपेक्षाओं में उलझे रहते हैं। दूसरी तरफ़,(प्रगति श्रीवास्तव) एक आत्मनिर्भर और बेबाक लड़की है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

उनकी पहली मुलाकात बेहद दिलचस्प होती है। अंश एक दोस्त की शादी में जाता है, जहाँ प्रगति अपनी सहेली के साथ आती है। प्रगति की बेपरवाह हंसी, उसका आत्मविश्वास और बेबाकी अंश को आकर्षित करती है। वह उसकी हरकतों और नखरों को ध्यान से देखता है, और धीरे-धीरे उसके प्रति आकर्षित होने लगता है।

प्यार की शुरुआत

अंश और प्रगति के रास्ते बार-बार टकराते हैं। कभी कॉफी शॉप में, कभी किसी दोस्त की पार्टी में। हर मुलाकात में अंश प्रगति के नखरों से और अधिक प्रभावित होता जाता है। वह जानता है कि वह उससे अलग है – जहाँ अंश सीधा-सादा है, वहीं प्रगति नखरेबाज़ और बिंदास। लेकिन यही फर्क उन्हें करीब लाने लगता है।

धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती हो जाती है और फिर यह दोस्ती प्यार में बदलने लगती है। प्रगति को अंश का सादापन भाने लगता है और अंश को प्रगति का बेबाक अंदाज। लेकिन यह कहानी इतनी सीधी नहीं होती।

उसके बाद आती है समाज की चुनौतियाँ

जब अंश अपने परिवार से प्रगति के बारे में बात करता है, तो उसकी माँ उसे समझाती है कि यह लड़की उसके लिए सही नहीं है। उनका मानना है कि एक ऐसी लड़की जो अपने फैसले खुद लेती है, जो अपनी मर्जी से जीती है, वह एक ‘अच्छी बहू’ नहीं बन सकती। अंश के माता-पिता उसे एक ‘संस्कारी’ लड़की से शादी करने की सलाह देते हैं।

दूसरी तरफ, प्रगति का परिवार भी उसे समझाने लगता है कि वह एक ऐसे लड़के से शादी करे, जो उसके स्तर का हो। वे अंश को महत्वाकांक्षाहीन समझते हैं और मानते हैं कि वह प्रगति के सपनों को पूरा नहीं कर पाएगा।

अब दोनों के सामने एक बड़ी चुनौती है – क्या वे समाज की इन पुरानी धारणाओं को तोड़ पाएंगे? या फिर वे भी उन्हीं बेड़ियों में बंधकर रह जाएंगे?


फिर इन दोने के लाइफ में आता है संघर्ष और आत्मनिरीक्षण

अंश को पहली बार अहसास होता है कि प्यार इतना आसान नहीं होता। वह समाज और परिवार के बीच फंसा हुआ महसूस करता है। दूसरी ओर, प्रगति भी सोच में पड़ जाती है कि क्या वह अंश के साथ रहकर अपने सपनों से समझौता कर रही है?

इस दौरान दोनों के बीच कई बार झगड़े होते हैं, गलतफहमियां पैदा होती हैं, और एक समय ऐसा भी आता है जब वे अलग होने का फैसला कर लेते हैं।

लेकिन सच्चा प्यार इतनी आसानी से हार नहीं मानता। अंश को एहसास होता है कि अगर वह प्रगति से सच में प्यार करता है, तो उसे उसके सपनों का सम्मान करना होगा। वही, प्रगति समझती है कि अंश भले ही उसके जैसा न हो, लेकिन वह उसकी दुनिया को संवार सकता है।

और फिर होती है नखरों की जीत

अंततः, दोनों अपने परिवारों से लड़ने का फैसला करते हैं। वे समाज को दिखाना चाहते हैं कि प्यार किसी की ‘संस्कारी’ छवि या सामाजिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि आपसी समझ और सम्मान पर टिका होता है।

वे एक नई राह चुनते हैं – एक ऐसा रिश्ता जहाँ नखरे, प्यार और सम्मान सब साथ चलते हैं।

फिल्म में रोमांस, हल्का-फुल्का कॉमेडी, और इमोशनल ड्रामा का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिलेगा। इसकी स्टोरी युवाओं को खासतौर पर पसंद आ सकती है, क्योंकि यह आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों के बीच के संघर्ष को दर्शाती है।

फिल्म में ट्विस्ट और ड्रामा: की बात करे तो

लड़के को लड़की की "नखरेबाज़ी" से प्यार हो जाता है, लेकिन लड़की की सोच अलग होती है।

उनके रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जिनमें परिवार का हस्तक्षेप, समाज की सोच, और खुद के सपनों की लड़ाई शामिल होती है।

कहानी यह दिखाती है कि कैसे प्यार को पारंपरिक मान्यताओं से ऊपर रखा जा सकता है, और क्या वे दोनों अपने रिश्ते को एक खूबसूरत मुकाम तक पहुंचा पाते हैं या नहीं।

मुझे कैसा लगा यह मूवी अब ये आपको बताता हु

"नखरेवाली" एक ऐसी फिल्म है जो प्यार की परिभाषा को नए तरीके से दर्शाती है। यह हमें यह सिखाती है कि असली प्यार सिर्फ रोमांस नहीं, बल्कि एक-दूसरे के सपनों और व्यक्तित्व का सम्मान करना भी है।

क्योंकि असली प्यार वही है, जो नखरों के बावजूद बना रहे – और उन्हें पसंद भी करे। फिल्म अच्छी है आप भी देखे

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