12th Fail 2023 Movie Explained In Hindi, Real Story of 12th Fail IPS Motivational story

तो नमस्कार भाइयों और उनकी प्यारी बहनों फिर से स्वागत है हमारे इस चैनल फिल्मी फीडबैक में आज हम बात करने वाले हैं साल 2023 में आई हुई BIOGRAPHY और  DRAMA MOVIE 12th Fail के बारे में 2 घंटे 27 मिनट की यह मूवी आपको रुलाने पर मजबूर कर देगी अगर आप अपनी जिंदगी से हताश हो चुके हैं गिर कर उठने की अब आप में क्षमता नहीं है तो यह मूवी आपको जिंदगी के उसे पहलू को सिखाएगा कि अगर आप किसी चीज में फेल हो गए हैं तो फिर से आप रीस्टार्ट कैसे कर सकते हैं दोस्तों इस मूवी को देखकर एक चीज तो समझ में जरूर आई मुझे कि हमें किसी भी हाल में टूटना और पीछे हटना नहीं चाहिए कहीं आपने सुना होगा जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं इसीलिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपको किस हद तक की मेहनत करनी होगी यह मूवी आपको यही सिखाएगा

दोस्तों मूवी तो रोज नई आती है जो हमें एंटरटेनमेंट करती है और उनमें से एक मूवी ऐसी बनती है जो आपको कुछ सीख कर जाती है तो वह यही मूवी है जो आपके अंदर जोश भर देगी 

इस कहानी को बिल्कुल ध्यान से सुनिएगा और हो सके किस कहानी से आपको भी कुछ सीख मिले

यह MOVIE 27 OCTOBER 2023 को Hindi, लैंग्वेज में disney+ हॉटस्टार पर STREEM कर दी गई थी अगर आप इस मूवी को वॉच करना चाहते हैं तो इस वीडियो के बीच में मैं आपको बता दूंगा कि आप इस मूवी को कैसे फ्री में देख पाएंगे तो प्लीज वीडियो को पूरा देखें

इस मूवी के स्टार कास्ट की बात करें तो  Vikrant Massey है इस MOVIE में जिन्हें Manoj Sharma के नाम से जानेंगे

Medha Shankr है इस MOVIE में जिन्हें  Shraddha Joshi के नाम से जानेंगे

इस मूवी में और भी कलाकार है मगर यह मूवी इन दोनों के इर्द-गिर्द ही घूमती है

इस मूवी के डायरेक्टर Vidhu Vinod Chopra और WRITER Vidhu Vinod Chopra और  Jaskunwar Kohli है

इस मूवी की स्टार्टिंग चंबल से होती है वही चंबल जहां की लोगों का मानना है कि वहां पर गुंडे बदमाश ही पैदा हुआ करते हैं वहां पर हम मनोज नाम के एक लड़के को देखते हैं जो कि अपनी 12वीं की परीक्षा पास करने के लिए चिट बना रहा होता है जिस विद्यालय में वह पढ़ता है वह एक विधायक का है जो कि खुलेआम बच्चों को चीटिंग कराता है पूरे गांव में विधायक का ही राज चलता है और उन्हीं के कहने पर सब होता है हम देखते हैं कि घर में एक सरकारी आदमी आता है मनोज के पिताजी का सस्पेंशन लेटर देने के लिए 

बात यहां यह थी कि चौहान साहब ने बीज वितरण की फाइल पर साइन करने को कहा था लेकिन मनोज के पिताजी ने उसे फाइल पर साइन नहीं किया और यह कहते हैं कि सारे बीज तो विधायक के यहां जा रहे हैं तो  घोटालेबाजी की फाइल में साइन क्यों करूं इस बात पर दोनों में बहस हो गई और पिताजी ने विधायक की दलाली के लिए चौहान पर चप्पल बरसा दी तो मनोज के पिताजी की ईमानदारी उनके सस्पेंशन की वजह बन गई अगले दिन पूरी तैयारी के साथ गया था मनोज परीक्षा देने लेकिन तभी वहां डीएसपी दुष्यंत पहुंच जाता है जिस स्कूल में हो रहे धांधली के बारे में पता चलता है और वहां पहुंचकर वह चीटिंग बंद करा देते हैं वह बहुत ईमानदार और वफादार थे अपनी नौकरी के प्रति तो घूसखोरी भी उनके सामने नहीं चलती मनोज के पिताजी फैसला करते हैं कि इस भ्रष्टाचारी के खिलाफ वह हाई कोर्ट में केस लड़ेंगे मनोज के पिताजी के पिताजी ने देश की सेवा में अपनी जान दे दी थी तो उनी का खून इनके अंदर दौड़ रहा था और उनकी मां यानी कि मनोज की दादी जी भी पूरे सपोर्ट में थी बस उनकी बीवी को अच्छा नहीं लग रहा था कि घर बार छोड़कर दिल्ली जाकर केस लड़ें क्योंकि ऐसा करने से कुछ नहीं होगा पर मनोज के पिताजी ने ठान लिया था तो उनकी धर्मपत्नी उनकी भावनाओं को समझ  कर उन्हें जाने देती हैं परेशानी यह थी कि घर का कमाऊ इंसान चला गया तो पैसा कहां से आएगा क्योंकि दादी ने तो दादाजी की पेंशन का पैसा देने से ही मना कर दिया था तो मनोज और उसका भाई कमलेश एक जुगाड़ू सवारी ढोने वाला टैंपू चलाना शुरू कर देते हैं पैसे कमाने के लिए विधायक की बस भी चलती थी तो उनके आदमियों से यह देखा नहीं जाता कि वह सवारी ले जा रहे हैं तो दोनों में खूब बहस होती है और कमलेश अपने पिता की तरह अन्याय से लड़ते हुए विधायक के आदमी के ऊपर चप्पल चला देता है वो थोड़ी दूर चले ही थे कि तभी पुलिस उन्हें उठा के ले चली जाती है पुलिस वाला उन्हें मारते हुए उनके पिताजी के बारे में उल्टा सीधा बोलने लग जाता है तो मनोज को यह बर्दाश्त नहीं होता और कहता है कि पिताजी के बारे में कुछ बोला तो दोनाली से खोपड़ी उड़ा दूंगा पुलिस वाला कहता है कि जा दोनाली लेक आजा या तो तू मुझे उड़ा दे वरना मैं तेरे भाई को उड़ा दूंगा मनोज भागता है लेकिन दोनाली लेने नहीं बल्कि डीएसपी के घर की ओर और उन्हें पूरी बात बताते हुए विनती करता है अपने भाई को छुड़ाने की डीएसपी साहब उसके साथ साथ आते हैं और भाई को छुड़वा देते हैं क्योंकि वह अच्छे से जानते थे कि बाकी पुलिस वाले विधायक के दलाल हैं डीएसपी साहब उन्हें अपनी गाड़ी से घर छोड़ते हैं 

मनोज उनके रुतबे और उनकी ईमानदारी से इतना आकर्षित हो गया था कि वह कहता है कि मैं आपके जैसा बनना चाहता हूं कैसे बनूंगा डीएसपी सर मुस्कुरा कर कहते हैं कि चीटिंग छोड़नी होगी बस और फिर इतना कहकर वो चले जाते हैं अगले साल तक डीएसपी साहब का ट्रांसफर हो गया तो फिर से स्कूलों में वही होने लगा जो होता था पर मनोज ने इस बार नकल नहीं करी क्योंकि उसके मन में डीएसपी साहब की आवाज गूंज रही थी कि चीटिंग नहीं करनी है बिना नकल किए पास होकर वह अगले 3 साल ऐसे ही मन लगाकर पढ़ता रहा घर का खर्चा उठाने के लिए मां ने घर की सबसे कीमती पूंजी एक-एक करके बेच दी  जिससे कि मनोज ने बीए पास  कर लिया 

एक दिन उसकी दादी उसे अपने पास बुलाती हैं और अपने बक्से से निकालकर उसे खूब सारे पैसे देती हैं यह पैसे उन्होंने मनोज की पढ़ाई के लिए इकट्ठा  किया था ताकि वह बाहर जाकर पढ़ाई  करें और जब वापस वह वापस घर वर्दी में ही आए मनोज सभी को अलविदा कहकर बस पकड़ के निकल पड़ता है ग्वालियर की ओर डीएसपी बनने का सपना लेकर अगली सुबह जब उसकी नींद खुलती है तो पता लगता है कि उसकी बैग गायब है उसे पता चलता है कि जो महिला उसके बगल में बैठी थी वह बैग चोरी करके ले गई और सारे पैसे उसी में थे मनोज को समझ ही नहीं आता कि अब वो क्या करें कहां जाए यह मुसीबत कम थी कि तभी उसे पता चलता है कि सरकार ने 3 साल के लिए भर्ती पर रोक लगा दी है अब मनोज और हताश हो जाता है कि जो सपना लेकर वह निकला था अब उसका क्या मनोज कई दिन ऐसे ही भूखे प्यासे रहकर निकाल देता है लेकिन एक दिन उससे भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो अपना स्वाभिमान किनारे करके वह  रेस्टोरेंट में खाना मांगने चला जाता है खाना मिलते ही वह उस पर टूट पड़ता है क्योंकि वह बहुत दिन से नहीं खाया था और वहीं उसकी मुलाकात होती है पांडे से जोकि वो भी पीसीएस की तैयारी करने  के लिए ग्वालियर आया था पर अब जा रहा था दिल्ली यूपीएससी की तैयारी करने पांडे और मनोज के बीच बातचीत होती है तो मनोज को पता ही नहीं था कि डीएसपी से भी बड़ा कोई पद होता है 

वो अब ठान लेता है कि वह आईपीएस बनेगा पर दिल्ली जाने के पैसे थे नहीं तो अपनी दुविधा बताते हुए पांडे से ही कह देता है कि उसे भी अपने साथ ले चले पांडे अच्छा इंसान था तो उसे साथ लेके चला जाता है और जब वो लोग दिल्ली  के मुखर्जी नगर पहुंचते हैं तो मनोज हैरान हो जाता है कि अकेला सिर्फ वो नहीं बल्कि लाखों लोग आए हैं अफसर बनने वहां उनकी मुलाकात होती है गौरी भैया से जो कि पांच अटेंप्ट दे चुके थे यूपीएससी के और छटा देने जा रहे थे 8 साल से वह पढ़ाई कर रहे थे तो उन्हें पूरी जानकारी थी कि कैसे प्रीलेम्स निकालना है फिर मेंस और इंटरव्यू पास करना है 

अब दिक्कत यह हो जाती है कि वह अपना छठा अटेंप्ट भी नहीं निकाल पाते और अब अफसर बनने के उनके सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं पांडे को लगता है कि वह एक हारे हुए को गुरु बनाकर चल रहा था तो वो  फेलियर का साथ छोड़ के अंग्रेजी मीडियम वाले के पास चला जाता है जिसका सिलेक्शन हो गया था गौरी भैया फिर भी हार नहीं मानते और वहीं खोल लेते हैं रीस्टार्ट नाम की चाय की दुकान यह सोचकर कि हम नहीं बन पाए तो क्या हुआ हमारे जैसा कोई और बन गया तो यही सोचेंगे कि हम भी बन गए मनोज को पैसों की तंगी थी तो वो एक लाइब्रेरी में काम करना शुरू कर देता है फिर चाहे झाड़ू लगाना हो या बाथरूम साफ करना वो हर काम करता था और समय निकालकर वहीं पढ़ भी लेता था  मनोज अपनी तरफ से खूब मेहनत करता है पर अफसोस कि वह अपने पहले अटेम्प्ट में प्रीलेम्स भी पास नहीं कर पाता है गौरी भैया समझाते हैं कि उदास मत हो फिर से रीस्टार्ट करो मनोज गौरी भैया के काम में भी मदद कर दिया करता था तो एक दिन वो चाय लेके अंग्रेजी मीडियम वाले ग्रुप में पहुंच जाता है जहां उसे कोचिंग के गुरु थे आईएस ऑफिसर और मनोज का दोस्त यानी पांडे उन्हीं का चेला बन गया था

और दीप मोहन मनोज को चाय वाला समझ लेता है तभी पांडे बताता है कि सर मनोज चाय वाला नहीं है बल्कि वो भी भी यूपीएससी स्टूडेंट है तब दीप मोहन उस पर दया दिखाने लगता है पर भोला भाला मनोज कुछ समझ नहीं पाता अब एक दिन पांडे अपने दोस्तों के साथ बैठा मनोज के बारे में बता रहा होता है तो उसका एक दोस्त कहता है कि मुझे यह समझ नहीं आता कि यह लोग भेड़ बकरियों की तरह यहां पढ़ने तो आ जाते हैं लेकिन फिर ऐसे ही छोटे-मोटे काम में लग जाते हैं कम से कम देश के संसाधन तो बर्बाद ना करें और मान लें कि नहीं बन सकते अफसर तो नहीं बन सकते गौरी भैया वहीं खड़े सब सुन रहे थे तो वह कहते हैं कि सही बात है बिल्कुल चले आते हैं भेड़ बकरियों की तरह बसों और ट्रेनों में भर-भर के कुछ नहीं होता इनके पास बस  गरीबी के सिवाय इनका बाप कोई सब्जी बेचता है कोई ट्रक चलाता है तो कोई झाड़ू लगाता है नहीं पढ़ा पाता एक बाप अपने बच्चों को महंगे स्कूल कॉलेज में नहीं  दे पाता है कोचिंग के पैसा इनके जेब में 

लेकिन पता है फिर भी ये लोग खाली हाथ नहीं आते जज्बा लेके आते हैं कि ये लोग भी ना एक ना एक दिन आईएस पीसीएस बनेंगे किसी लाइब्रेरी में झाड़ू लगाना पड़े या किसी का टॉयलेट साफ करना पड़े यह पीछे नहीं  हटते हार नहीं मानते बड़ा पक्का होता है इनका जज्बा और यह जज्बा इंसान के अंदर किसी महंगे स्कूल कॉलेज में पढ़ने से नहीं आता है यह आता है करोड़ों हिंदुस्तानियों की उम्मीद से और यही इनका पूंजी होता है हार जीत सब लगा रहता है लेकिन जिस दिन हम में से किसी एक का जीत होता है ना तो हिंदुस्तान के करोड़ों भेड़ बकरियों का जीत होता है 

उसके बाद मनोज अपने दूसरे अटेंप्ट में प्रीलिम्स पास कर जाता है जो कि उसके लिए बहुत खुशी की बात थी पांडे पास नहीं हो पाए था लेकिन मनोज की खुशी में खुश था अब मेंस की तैयारी करने के लिए मनोज एक कोचिंग सेंटर जाता है एडमिशन लेने पैसे ज्यादा थे मनोज उस कोचिंग का काम करके पढ़ने की डील कर लेता है उसे वहां आईएस दीप मोहन की फोटो दिखाई पड़ती है तो वह कहता है कि यह इस कोचिंग से पढ़े नहीं है तो इनकी फोटो यहां क्यों लग रही है कोचिंग की मालकिन की बेटी जाया कहती है कि कभी किसी बड़े फिल्म स्टार से मिले हो तुमको क्या लगता है कि वो वही तंबाकू खाते हैं जो बेचते हैं इसे एडवर्टाइजइंग कहते हैं इस कोचिंग में दीप मोहन की फोटो लगाने के लिए हमने उसे 1.5 लाख रुपए दिए हैं तभी वहां पर श्रद्धा नाम की एक लड़की आती है एडमिशन कराने तो मनोज उनके सामने सब वक देता है क्योंकि वह अपने पिता की तरह बेईमानी के सख्त खिलाफ था मनोज और श्रद्धा के बीच बातचीत होती है और जब श्रद्धा को पता चलता है कि मनोज ने खुद से पढ़कर प्रीलेम्स निकाला तो वो उससे काफी इंप्रेस हो जाती है मनोज बहुत खुश था क्योंकि पहली बार किसी लड़की ने उसका नाम पूछा और कई दिनों तक वो उसी के बारे में सोचता रहा एक दिन श्रद्धा उसे ढूंढते हुए लाइब्रेरी तक आ गई श्रद्धा ने उसके हाथ में इंजीनियरिंग की किताब देखी तो उसे लगा कि मनोज ने इंजीनियरिंग की है 

मनोज उसे समय श्रद्धा की गलतफहमी को दूर नहीं करता है क्योंकि उसे डर था कि कहीं उसने बता दिया कि वह लाइब्रेरी में काम करता है तो शायद वह उससे बात भी ना करें श्रद्धा मसूरी की रहने वाली थी और उसे डिप्यूडी कलेक्टर बनना था इसलिए यहां पढ़ने चली आई दरअसल व डॉक्टर की पढ़ाई करके एक हॉस्पिटल में इंटर्नशिप कर रही थी फिर एक दिन एक केस आया दहेज के चक्कर में औरत को मार डालने का एफआईआर में मौत का कारण एक्सीडेंट बताया गया उसने सोचा कि अगर उसके पास पावर आ जाए तो वह इन चीजों को बदल देगी तभी से उसने ठान लिया कि वह डॉक्टर नहीं डिप्यू कलेक्टर बनेगी ताकि समाज में बदलाव ला सके श्रद्धा सोच रही थी कि वह लाइब्रेरी में सिर्फ पढ़ाई करता है मगर झूठ छुपी नहीं छुपाती है एक दिन जब उसे पता चलता है कि वह वहीं पर काम करता है तो भी वह उसे बिल्कुल भी जज नहीं करती मनोज को एक बुक पसंद आती है जो कि एपीजे अब्दुल कलाम के ऊपर थी लेकिन पैसों की तंगी होने की वजह से वह नहीं ले पाता श्रद्धा यह देख लेती है तो वह उसके लिए वही बुक खरीद के लाकर उसे दे देती है जिससे कि हमें साफ-साफ पता चल रहा था कि श्रद्धा ने अपने दिल में मनोज के लिए एक जगह दे दी थी 

जिस कोचिंग में श्रद्धा का एडमिशन होता है तो वह मनोज को कहती है कि तुम भी वहां पर पढ़ने आ जाओ सर बहुत ही अच्छे हैं और अच्छे से पढ़ाते भी हैं  उसके बाद मनोज इस कोचिंग में जाने लगता है फिर यहां पर मनोज की दूसरी झूठ भी ज्यादा दिन टिक नहीं पाती है एक दिन सर इंजीनियरिंग से जुड़ा कोई सवाल करते हैं तो श्रद्धा कहती है कि तुम्हें तो आता होगा ना बताओ ना तभी उसके सामने खुलासा होता है कि मनोज ने इंजीनियरिंग नहीं की है जिस बात से उसे से बहुत बुरा लगता है कि मनोज ने उससे झूठ बोला श्रद्धा ने अगर उसे गलत समझ भी लिया तो उसने उसे गलतफहमी को दूर नहीं किया मनोज ने श्रद्धा को धोखा दिया एक दिन लाइब्रेरी का मालिक मनोज पर पैसे की घपलेबाज करने का इल्जाम लगाता है जो कि उससे बर्दाश्त नहीं होता है तो वह तुरंत नौकरी छोड़ देता है 

मनोज एकदम गायब हो चुका था पर पांडे  किसी भी तरह से उसका पता लगाकर उसके पास पहुंच जाता है और जो नजारा वह देखता है उससे देखा नहीं जाता वो देखता है कि वह एक आटा चक्की वाली मशीन में रहता है और वहीं एक बल्ब के सहारे पढ़ाई करता है पांडे बताता है कि श्रद्धा प्रीलेम्स की तैयारी करने अपने घर जा रही है तो जाने से पहले उसे सॉरी कह दो पर मनोज कहता है कि अब तो मेंस क्लियर होने के बाद ही सॉरी बोलूंगा अंग्रेजी की परीक्षा में मनोज ऐसे लिख रहा था कि उसे देख अंग्रेजी मीडियम वाले भी घबरा जाते हैं बाहर आकर उसे पता चलता है कि क्वेश्चन आया था टूरिज्म इन इंडिया के बारे में लेकिन वो  लिख कर आया टेररिज्म इन इंडिया पर तो मतलब उसका दूसरा साल भी गया मनोज ने कहा था कि मेंस होने के बाद ही वह श्रद्धा को सॉरी बोलेगा मगर मगर फिर भी वह मसूरी पहुंच जाता है श्रद्धा के घर पहुंचने पर उसे पता चलता है कि वो तो बुआ के घर गई है नौकर उसे फोन मिला के देता है तो वह उसे बताता है कि मेंस नहीं निकल पाया और साथ में सॉरी भी कहता है बातों ही बातों में व उसे आई लव यू भी कह देता है और यह कहता है कि अब तुम भी हां बोल दो हम तुम्हारे लिए दुनिया उलट-पुलट कर देंगे

श्रद्धा उससे कुछ नहीं बोलती और मनोज को बोलता है कि नौकर को फोन दे दो जिसमें श्रद्धा नौकर के जरिए मनोज को कहलाती है कि वह यहां से वापस चला जाए यह सुनकर मनोज का दिल टूट जाता है और वह वापस अपने गांव जाता है तो पता चलता है कि उसकी दादी अब नहीं रही दादी ने ही मना किया था पिताजी और मनोज को कुछ भी बताने से ताकि दोनों अपने लक्ष्य से भटके ना मनोज को बहुत दुख होता है कि आखिरी बार उनसे मिल भी नहीं पाया और ना ही अब तक उनका यह सपना पूरा हो पाया उसे वर्दी में देखने का अब घर संभालने की भी जिम्मेदारी लेते हुए मनोज वापस आकर आटे चक्की में और भी ज्यादा काम करने लगता है दिन भर काम करता और रात भर पढ़ाई अब एक दिन पिताजी मनोज से मिलने चले आते हैं उन्हें अपने बच्चे की दुर्दशा देख बड़ा दुख होता है कि वह किस हालत में रह रहा है मनोज के पिताजी कहते हैं कि गांव वापस चल घपलेबाजी कर लिया करेंगे बीजों में उसी से पैसे कमाएंगे मनोज के पिताजी अंदर से हार गए थे ईमानदारी की लड़ाई लड़ते-लड़ते अंदर से टूट चुके थे उन्हें यकीन हो गया था कि हम जैसे लोग बस लड़ाई लड़ते-लड़ते मर जाते हैं और बदलता कुछ भी नहीं मनोज उन्हें एहसास दिलाता है कि उन्होंने किस ईमानदारी से अपनी जिंदगी जी है और हमें भी अपने जैसा जीना सिखाया है तो हार नहीं मानना है आप बिल्कुल मत घबराइए मैं संभाल लूंगा आप  बस लडिया मैं आपके साथ हूं  

उस दिन के बाद से मनोज दिन रात एक कर देता है 15 घंटे काम करता 6 घंटे पढ़ता और सिर्फ 3 घंटे सोता था एक दिन श्रद्धा वापस आ जाती है और मनोज से माफी मांगती है कि उस दिन तुम अचानक से तुमने मुझे प्रपोज किया तो मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या कहूं मैंने तुरंत 1 मिनट बाद वापस फोन किया था पर तुम जा चुके थे मनोज कहता है कि मुझे तुमसे माफी मांगना है उस बात के लिए और  तुम्हारे कुछ भी ना कहने के लिए शुक्रिया प्यार मोहब्बत के लिए टाइम कहां है मेरे पास बहुत जिम्मेदारियां हैं मेरे कंधों पर अब मैं प्रीलेम्स क्लियर के बाद ही मिलूंगा जो कि 9 महीने बाद था

 उधर पांडे इस बार भी फेल हो गया तो उसके पिताजी उस पर बहुत चिल्लाते हैं उसकी प्रेमिका का क्लियर हो गया था तो खुशी के मारे वह बताने आती है पर पांडे का  मूड ठीक नहीं था तो उसी पर गुस्सा निकाल देता है जिसके कारण वो उसे छोड़ के चली जाती है मनोज का प्रीलिम्स क्लियर हो गया था पर रिजल्ट देखने नहीं गया तो श्रद्धा ही उसके पास पहुंच जाती है यह खबर देने श्रद्धा जब देखती है कि वह किस हालत में रह रहा है तो वह यही सलाह देती है कि यह सब छोड़कर तुम सिर्फ पढ़ाई करो क्योंकि मेंस आसान नहीं होता मैं मदद करूंगी मनोज कहता है कि तुम्हारी मेरी जिंदगी अलग-अलग हैं मेरे ऊपर जिम्मेदारियां हैं जो की मुझे ही संभालना है श्रद्धा कहती है कि मैं समझती हूं पर तुम यहां इस अंधेरे में पढ़ोगे कैसे मनोज कहता है कि पापा कहते थे बाहर के अंधेरे से नहीं अंदर के अंधेरे से डरो सुविधाओं के लालच में समझौतों का अंधेरा अब्दुल कलाम साहब तो स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ा करते थे और मेरे पास तो फिर भी अपना बल्ब है मनोज जोश से तो भरा हुआ था लेकिन एग्जाम पास करने के लिए प्रैक्टिकल होना भी जरूरी था जो कि उसके पास था नहीं जिसके कारण वह अपने तीसरे अटेंप्ट में भी फेल हो जाता है लेकिन श्रद्धा उसका हाथ पकड़े अभी भी उसके साथ थी तभी वहां पर नशे में धुत पांडे मनोज के पास आता है और कहता है कि अगर श्रद्धा मनोज से नहीं मिलती तो शायद मनोज पास हो जाता 

बेटा कुछ बन जाओ वरना छोड़ के चली जाएगी  जैसे मुझे छोड़कर चली गई ना क्योंकि मैं लूजर हूं जब 1 से 2 साल बाद यह वापस आएगी और तुम कुछ अच्छे पोजीशन पर नहीं होंगे तो यह तुम्हारे साथ नहीं रहने वाली ये सारी की सारी लड़कियां ना एक जैसी होती हैं लूजर्स के साथ कोई नहीं टिकता भाई श्रद्धा रोते हुए वहां से जाने लगती है तो मनोज उसे रोकता है तो श्रद्धा कहती है कि तुमने उस दिन कहा था कि मैं मैंने अगर आई लव यू बोल दिया तो मेरे लिए दुनिया उलट-पुलट कर दोगे तो  श्रद्धा मनोज को आई लव यू बोलती है और यह कहती है कि अब जाओ दुनिया उलट-पुलट कर दो मनोज भागते हुए आईएस दीप मोहन के पास जाता है टिप्स लेने के लिए और वह उससे बोलता है कि सर उसका मेंस क्लियर क्यों नहीं हो पा रहा दीप मोहन कहता है कि टाइम मैनेजमेंट करना होगा एक सवाल को सिर्फ 9 मिनट देना होगा दीप मोहन मनोज से कहता है कि किसी ऐसे टॉपिक पर पूरे 9 मिनट में कंप्लीट करनी होगी और कहता है अपने बारे में लिखो जिसे मनोज कहता है यह तो बहुत आसान है पर जब लिखने बैठता है तो 100 शब्द भी नहीं लिख पाता दीप मोहन कहता है कि बुरा मत मानना पर तुमसे नहीं हो पाएगा 

उसके बाद मनोज वापस गौरी भैया के पास आ जाता है तो गौरी भैया कहते हैं कि ऐसे कैसे बोल दिया नहीं हो पाएगा लेकिन अगर ऐसे ही आटा चक्की चाय दुकान पर काम करते रहोगे तो सही में नहीं होगा भैया डांटते हुए कहते हैं कि आज से तुम मेरे कमरे में रहोगे और खाने का पूरा बंदोबस्त हो जाएगा और घर में भी पैसा भेज दिया करूंगा तुम बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और सब चिंता भूल जाओ मैं देख लूंगा क्योंकि यह सिर्फ तुम्हारी लड़ाई नहीं है हम सब की लड़ाई है एक की जीत होगी ना तो करोड़ों भेड़ बकरियों की जीत होगी मनोज अब अपना पूरा समय पढ़ाई को देते हुए टूट पड़ता है अपने आखिरी अटेंप्ट को पास करने की जिद्द में 

उधर श्रद्धा वापस घर चली जाती है क्योंकि उसके पीसीएस मेंस के पेपर होने वाले थे कुछ टाइम बाद मनोज को खबर मिलती है कि श्रद्धा का मेंस क्लियर हो गया है और अगले महीने इंटरव्यू है कुछ महीने बाद खबर आती है कि श्रद्धा का इंटरव्यू भी क्लियर हो गया है और वह डिप्यूडी कलेक्टर बन गई है तो मनोज को बहुत खुशी होती है और अब तक जो उसकी मोटिवेशन थी अब उसकी इंस्पिरेशन बन जाती है पांडे अपने आखिरी अटेंप्ट में भी फेल हो जाता है उसे अपने पिता से बहुत सुनना पड़ता है लेकिन मनोज पास हो गया था तो वह यह खुशी पांडे को देता है पर पांडे उसके ऊपर ही भड़क जाता है कि कभी मुझसे भी पूछ ले कि मेरा क्या हुआ यूपीएससी का यू भी नहीं आता था तुझे दिल्ली तुझे मैं लेकर आया यह जो कपड़े पहने हैं वो मेरे दिए हैं लेकिन मेरे बारे में नहीं पूछेगा  तो मनोज कहता है कि अगर इतनी ही हिम्मत है तो अपने पिताजी को बोलो जो बोलना चाहता है 

दरअसल पांडे का यूपीएससी करने का कभी मन नहीं था वो तो टीवी पे आना चाहता था पर पिताजी के कहने पर यहां आ गया और अब चारों अटेंप्ट में फेल भी हो गया मनोज श्रद्धा को बताने के लिए फोन करता है कि वह मेंस में पास हो गया है लेकिन उसे पता चलता है कि वह अब दिल्ली नहीं आ रही उसके पिताजी को किसी ने फोन करके बोल दिया कि उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध  है तो श्रद्धा के पिताजी ने दिल्ली जाने से रोक लगा दी मनोज अच्छे से समझ गया था कि यह काम जरूर पांडे ने किया है तो वो उसे फोन लगाता है पर पता चलता है कि वह तो जेल में बंद है वो शराब पीकर रोड पर हंगामा कर रहा था तो पुलिस  बालों ने उसे जेल में डाल दिया और उसे छुड़ाने के लिए घूस मांग रहा था पर मनोज कायदे कानून समझाते हुए बिना घूस दिए उसे बाहर निकलवा लेता है बाहर आकर वह पांडे  का फोन मांगता है और उसके फोन के डायल में श्रद्धा के घर का नंबर था मनोज पांडे पर बहुत गुस्सा करता है कि ये तूने क्या किया पांडे माफी मांगता है कि नशे में गलती हो गई पर मनोज कहता है कि आज के बाद अपना मुंह मत दिखाना 

दूसरी तरफ श्रद्धा और मनोज के बीच वैसा कभी कुछ नहीं हुआ था तो श्रद्धा पापा को विश्वास दिलाती है कि उसने ना कभी उनका विश्वास तोड़ा है और और ना तोड़ेगी और एक अनजान कॉल पर आपने विश्वास कर लिया यह भी तो गलत है क्या आपको अपनी बेटी पर विश्वास नहीं है  इसके बाद श्रद्धा के पिताजी उसे दिल्ली जाने की अनुमति दे देते हैं अगले ही पल हम देखते हैं कि श्रद्धा मनोज के पास होती है और अब वो सिर्फ श्रद्धा नहीं बल्कि डिप्यूडी कलेक्टर श्रद्धा बनकर आई थी उससे मिलने 

अगले दिन मनोज का इंटरव्यू था तो श्रद्धा अच्छे से उसे तैयार कराती है ताकि अच्छा इंप्रेशन पड़े वो दोनों पांडे के पास जाते हैं और मनोज पांडे को शुक्रिया कहता है क्योंकि अगर वो नहीं होता तो शायद मनोज ना जाने कहां होता पांडे अपनी गलती मानते हुए श्रद्धा से माफी मांगते है और श्रद्धा उसे माफ भी कर देती है जाते समय श्रद्धा मनोज को एक कागज देकर कहती है कि अभी नहीं जब अकेले हो तब इसे पढ़ना जहां इंटरव्यू हो रहा था मनोज वहां पहुंचकर एकदम नर्वस सा हो जाता है क्योंकि कभी नहीं सोचा था कि यह दिन भी आएगा कभी वो पल भर के लिए एकदम सुन्न हो गया था जैसे सब उसके दिमाग में रिवाइंड हो रहा हो कि कहां से उसने शुरुआत की और कहां पहुंचा उसकी मार्कशीट में 12TH फेल लिखा था तो वहां का प्यून कहता है कि यह बिल्कुल मत बताना कि तुम फेल हो गए थे झूठ बोल देना कि दादा या दादी मर गई थी तो सही रहेगा वरना फिर दिक्कत हो सकती है मनोज जब अंदर जाता है तो यूपीएससी बोर्ड के चेयरमैन सबसे पहले यही सवाल करते हैं कि 10वीं में फर्स्ट डिवीजन से पास हुए और 12वीं में फेल और दोबारा 12वीं की तो थर्ड डिवीजन आप फेल कैसे हो गए 

मनोज चाहता तो झूठ बोल देता पर सच बताते हुए कहता है कि उस साल हमारे यहां नए डीएसपी आ गए थे तो उनकी वजह से चीटिंग ही नहीं हुई इसलिए मैं फेल हो गया इतना सुनकर वह मनोज को बाहर जाके इंतजार करने को कहते हैं मनोज सोचता है कि शायद अब नहीं होगा तभी उसे वह कागज याद आता है जो श्रद्धा ने दिया था उस कागज में लिखा था कि तुम चाहे आईपीएस ऑफिसर बनो या चक्की में काम करो मैं सारी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूं क्या तुम मुझसे शादी करोगे एक आम से लड़के के लिए इससे ज्यादा खुशी की क्या बात होती कि लड़की को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसका पति किस औधे पर काम करता है वो बस उसके साथ रहना चाहती है मनोज इस बात से बहुत खुश होता है और थोड़ा इमोशनल भी 

अब उसे दोबारा बुलाया जाता है तो एक मैम पूछती हैं कि आप चाहते तो झूठ भी बोल सकते थे तो आपने सच ही क्यों बताया मनोज कहता है कि मेरा मन नहीं माना कि एक चीटिंग छुपाने के लिए दूसरी चीटिंग करूं तो फिर चीटिंग की ही क्यों मैम पता ही नहीं था कि चीटिंग करना गलत है हमारे यहां टीचर्स खुद चीटिंग कराते हैं जो कि बहुत गलत है दूसरी मैम पूछती हैं कि अगले साल आप पास कैसे हुए क्या फिर से चीटिंग हुई जी मैम सबने चीटिंग की पर मैंने नहीं की अगर चीटिंग करता तो दसवीं की तरह फर्स्ट डिवीजन आती सबकी फर्स्ट डिवीजन आई पर मेरी थर्ड लेकिन मैं सबसे ज्यादा खुश था उस दिन समझ आया कि ईमानदारी की थर्ड डिवीजन बेमानी की फर्स्ट डिवीजन से ज्यादा खुशी देती है 

सभी हैरान होते हैं कि ऐसा भी कहीं होता है क्या मनोज कहता है कि हमारे यहां इसे जमी जमाई व्यवस्था कहते हैं और यह व्यवस्था हमेशा रहेगी कभी खत्म नहीं होगी क्योंकि कोई इसे बदलना ही नहीं चाहता जिसके पास पावर है वह पावर कभी छोड़ना ही नहीं चाहता गरीब अगर अनपढ़ रहेगा तभी तो भेड़ बकरियों के तरह इन नेताओं के इशारों पर चलता रहेगा और सभी जानते हैं कि यही अनपढ़ इनका वोट बैंक है जो धर्म और जात के नाम पर वोट देते आए हैं इसीलिए  डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1942 में कहा था अगर जनता पढ़ लिख गई तो नेताओं के लिए बड़ी समस्या हो जाएगी उनमें से एक सर इंग्लिश में कुछ कहते हैं तो मनोज को समझ नहीं आता तो सर कहते हैं कि आप बातें तो बड़ी-बड़ी करते हो पर आपको सिंपल इंग्लिश भी नहीं समझ आती मनोज कहता है कि भाषा तो बस एक माध्यम है तो सर कहते हैं कि यह बस एक बहाना है अपनी कमजोरी छुपाने का मनोज एक गिलास पानी पीने को मांगता है तो मैम कांच के गिलास में देती हैं तो मनोज कहता है कि मैं स्टील के गिलास में पिऊंगा सर कहते हैं कि पानी अगर साफ है तो स्टील के ग्लास में पियो या फिर कांच के क्या फर्क पड़ता है 

मनोज कहता है कि वही तो सर कि पानी साफ होना चाहिए बस फिर चाहे स्टील के ग्लास में हो या फिर कांच में वैसे ही ऑफिसर साफ होना चाहिए फिर चाहे वो इंग्लिश बोले या हिंदी सर कहते हैं कि क्या तुम्हें लगता है कि एक 12वीं फेल आईआईटी टॉपर से बेहतर है मनोज कहता है कि बेहतर तो नहीं लेकिन मैं उनसे कई ज्यादा योग्य हूं उन्होंने वो सब नहीं देखा जो मैंने देखा उन्होंने गांव में चीटिंग होते हुए नहीं देखी और अगर मुझे मौका मिला तो मैं आश्वासन देता हूं कि पूरे गांव में क्या पूरे जिले में चीटिंग नहीं होगी और सब सही चलेगा मैम पूछती हैं कि अगर आप सेलेक्ट नहीं हुए तो क्या करेंगे मनोज कहता है कि कोई बात नहीं हार नहीं मानूंगा अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक नहीं रुकूंगा मैम कहती हैं कि यह तुम्हारा लास्ट अटेंप्ट है तो लक्ष्य की प्राप्ति कैसे होगी मनोज कहता है कि आईपीएस बनना लक्ष्य नहीं है मैम 

लक्ष्य तो देश को सुधारना है अगर मेरा सिलेक्शन नहीं होता तो मैं गांव जाकर टीचर बनूंगा और बच्चों को पढ़ाऊंगा कि चीटिंग छोड़नी होगी और अगर उस उम्र में यह बात समझ जाएंगे तो कभी जीवन में चीटिंग नहीं करेंगे मैं अगर वह सूरज नहीं बन सकता जो रोशनी फैलाता है मैं फिर भी एक लैंप बन सकता हूं जो सड़क पर उजाला लाए उसके बाद इंटरव्यू खत्म हो जाता है 

और बाहर आकर मनोज यही सोचता है कि जिस हिसाब से चेयरमैन का उसके खिलाफ सख्त रवैया था उसका सिलेक्शन नहीं होगा अब वक्त आता है रिजल्ट का तो मनोज देखना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसका सिलेक्शन नहीं होगा  लेकिन श्रद्धा जबरदस्ती उसे ले आती है मनोज उसे लिस्ट में खुद का नाम देखने की वजह श्रद्धा को भेजता है 

इसके बाद पीछे की कहानी दिखाई जाती है जिसमें हम देखते हैं चेयरमैन को मनोज की बातें थोड़ी ठीक नहीं लगी मगर वही पर सभी को यह लगा कि जिस हिसाब से उसकी सोच है उस तरह के इंसान की जरूरत है पुलिस डिपार्टमेंट में अगर ऐसे कैंडिडेट को सेलेक्ट नहीं करेंगे तो इस एग्जाम का फायदा ही क्या श्रद्धा को कागज पर मनोज का नाम दिखता है जिसका मतलब वो सेलेक्ट हो गया था श्रद्धा सर हिलाकर मनोज को बताती है कि वह सेलेक्ट हो गया है तो मनोज खुशी के मारे एकदम से जमीन पर गिर पड़ता है कई सालों से वह जिस जिम्मेदारियों का बोझ लेकर दौड़ रहा था अब जाकर उसे आराम मिला इतने सालों की मेहनत लगन से आगे बढ़ते हुए और सभी कठिनाइयों को पार करते हुए आखिरकार व आईपीएस बन ही गया उसके लिए यह दिन उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत सबसे ज्यादा खुशी का दिन बन जाता है

पांडे को टीवी में आना था तो वह अब एक रिपोर्टर बन गया था तभी वहां पर वही कोचिंग वाली लड़की आती है जो कि टॉपर्स को पैसे देके उनसे अपनी कोचिंग का नाम  बुलवाती है और टॉपर का फोटो अपने कोचिंग में लगती है  फिर मनोज उस मैडम से कहता है कि आपने शायद मुझे पहचाना नहीं उसे याद आता है कि यह तो वही लड़का है जिसने उसकी पोल खोली थी तो वह तुरंत भाग लेती है जब गांव में खबर लगती है कि मनोज का सिलेक्शन हो गया है तो पूरा गांव झूम उठता है मनोज के पिताजी कहीं जाने लगते हैं तो मनोज की मां पूछती है कि कहां जा रहे हो तो पिताजी कहते हैं कि उस चौहान को बताने कि उसने एक आईपीएस के बाप से पंगा लिया है 

ड्यूटी जवाइन करने के एक साल बाद हम देखते हैं कि मनोज डीएसपी दुष्यंत सर से मिलने जाता है तो वो मनोज को सैल्यूट करते हैं लेकिन पहचान नहीं पाते कि वो कौन है मनोज उनके पैर छूता है और बताता है कि मैं वही लड़का हूं जिसको आपने कहा था कि चीटिंग छोड़नी होगी दुष्यंत सर खुशी से उसे गले से लगा लेते हैं कि उसने उसकी बात का मान रखा और आज कहां पहुंच गया उन्हें उस पर बहुत गर्व होता है 

उसके बाद हम देखते हैं की चंबल गांव से मनोज की बारात निकल रही होती है मसूरी के लिए चौहान विधायक सब वहां मौजूद थे इस जुगाड़ में जिससे कि कुछ सालों पहले विधायक ने पकड़वाया था वह सभी हाथ जोड़ बैठे थे सोचिए एक ईमानदार अफसर कितना बदलाव ला सकता है कि जो कल तक चंबल में तबाही और मनमानी मचाए थे आज वह हाथ जोड़े बैठे हैं और यहीं पर लाइफ को एक नई दिशा में दिखने वाली यह मूवी खत्म हो जाती है 

तो दोस्तों यह मूवी हमें यही सिखाती है की लाइफ अगर आपको गिर रही है और आप गिर चुके हैं तो फिर से अपनी स्टार्ट कीजिए और उठकर खड़ा होइए और उन लोगों का एक इंस्पिरेशन बनिए जो लोग आज तक गिर कर कभी उठ नहीं पाए यह मूवी हमें यह भी सिखाती है की लाइफ में हमें हार नहीं माननी है अगर फेल हो रहे हैं तो फिर से रीस्टार्ट करो आज नहीं तो कल कल नहीं तो परसों परसों नहीं तो साल दो साल 3 साल 5 साल के बाद कभी ना कभी तो  वह सक्सेस की चाबी आपको जरूर मिलेगी जिससे कि आपकी कामयाबी का दरवाजा खुलेगा 

या सिर्फ एक मूवी नहीं एक रियल स्टोरी है मनोज कुमार शर्मा और श्रद्धा की असल कहानी है कुछ सालों पहले इन दोनों के ऊपर बुक लिखी जा चुकी है अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जो लोग अपनी जिंदगी से थक गए हैं हार गए हैं वो यह मूवी जरूर से जरूर देखें और इस मूवी को देखने के बाद आपको क्या फील हुआ यह आप हमें कमेंट में जरूर बताएं ताकि हम भी यह जान पाए कि इस मूवी से आपने क्या सीखा 

फ्रेंड्स अगर हमारा वीडियो आपको पसंद आ रहा है तो आप हमें कमेंट करें कि अब आपको नेक्स्ट कौन सी मूवी कई स्टोरी को जानना है तो फ्रेंड्स मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में फिर किसी और धमाकेदार मूवी के रिव्यु के साथ तब तक के लिए आप हमें दे इजाजत धन्यवाद

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